बाबा नीम करोली (Vinay Chalisa Baba Neem Karoli), जो कि करुणा और भक्ति के प्रतीक हैं, उनकी विनय चालीसा में उनके महान गुणों और दिव्य लीलाओं का वर्णन है। बाबा नीम करौरी ने अपने जीवन में अद्भुत चमत्कार किए और असंख्य भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग दिखाया। उनकी चालीसा का पाठ करने से मन की शांति, भक्तिभाव, और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
बाबा नीम करोली की विनय चालीसा उनके प्रति विनम्रता, श्रद्धा और समर्पण की भावना को व्यक्त करती है। आइए, हम सब मिलकर इस चालीसा का पाठ करें और बाबा की कृपा प्राप्त करें।
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|| विनय चालीसा ||
|| नीम करौरी बाबा ||
॥ दोहा ॥
मैं हूँ बुद्धि मलीन अति ।
श्रद्धा भक्ति विहीन ॥
करूँ विनय कछु आपकी ।
हो सब ही विधि दीन ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय नीब करोली बाबा ।
कृपा करहु आवै सद्भावा ॥
कैसे मैं तव स्तुति बखानू ।
नाम ग्राम कछु मैं नहीं जानूँ ॥
जापे कृपा द्रिष्टि तुम करहु ।
रोग शोक दुःख दारिद हरहु ॥
तुम्हरौ रूप लोग नहीं जानै ।
जापै कृपा करहु सोई भानै ॥4॥
करि दे अर्पन सब तन मन धन ।
पावै सुख अलौकिक सोई जन ॥
दरस परस प्रभु जो तव करई ।
सुख सम्पति तिनके घर भरई ॥
जय जय संत भक्त सुखदायक ।
रिद्धि सिद्धि सब सम्पति दायक ॥
तुम ही विष्णु राम श्री कृष्णा ।
विचरत पूर्ण कारन हित तृष्णा ॥8॥
जय जय जय जय श्री भगवंता ।
तुम हो साक्षात् हनुमंता ॥
कही विभीषण ने जो बानी ।
परम सत्य करि अब मैं मानी ॥
बिनु हरि कृपा मिलहि नहीं संता ।
सो करि कृपा करहि दुःख अंता ॥
सोई भरोस मेरे उर आयो ।
जा दिन प्रभु दर्शन मैं पायो ॥12॥
जो सुमिरै तुमको उर माहि ।
ताकि विपति नष्ट ह्वै जाहि ॥
जय जय जय गुरुदेव हमारे ।
सबहि भाँति हम भये तिहारे ॥
हम पर कृपा शीघ्र अब करहु ।
परम शांति दे दुःख सब हरहु ॥
रोक शोक दुःख सब मिट जावै ।
जपै राम रामहि को ध्यावै ॥16॥
जा विधि होई परम कल्याणा ।
सोई सोई आप देहु वरदाना ॥
सबहि भाँति हरि ही को पूजे ।
राग द्वेष द्वंदन सो जूझे ॥
करै सदा संतन की सेवा ।
तुम सब विधि सब लायक देवा ॥
सब कुछ दे हमको निस्तारो ।
भवसागर से पार उतारो ॥20॥
मैं प्रभु शरण तिहारी आयो ।
सब पुण्यन को फल है पायो ॥
जय जय जय गुरुदेव तुम्हारी ।
बार बार जाऊं बलिहारी ॥
सर्वत्र सदा घर घर की जानो ।
रूखो सूखो ही नित खानो ॥
भेष वस्त्र है सादा ऐसे ।
जाने नहीं कोउ साधू जैसे ॥24॥
ऐसी है प्रभु रहनी तुम्हारी ।
वाणी कहो रहस्यमय भारी ॥
नास्तिक हूँ आस्तिक ह्वै जावै ।
जब स्वामी चेटक दिखलावै ॥
सब ही धर्मन के अनुयायी ।
तुम्हे मनावै शीश झुकाई ॥
नहीं कोउ स्वारथ नहीं कोउ इच्छा ।
वितरण कर देउ भक्तन भिक्षा ॥28॥
केही विधि प्रभु मैं तुम्हे मनाऊँ ।
जासो कृपा-प्रसाद तव पाऊँ ॥
साधु सुजन के तुम रखवारे ।
भक्तन के हो सदा सहारे ॥
दुष्टऊ शरण आनी जब परई ।
पूरण इच्छा उनकी करई ॥
यह संतन करि सहज सुभाऊ ।
सुनी आश्चर्य करई जनि काउ ॥32॥
ऐसी करहु आप अब दाया ।
निर्मल होई जाइ मन और काया ॥
धर्म कर्म में रूचि होई जावे ।
जो जन नित तव स्तुति गावै ॥
आवे सद्गुन तापे भारी ।
सुख सम्पति सोई पावे सारी ॥
होय तासु सब पूरन कामा ।
अंत समय पावै विश्रामा ॥36॥
चारि पदारथ है जग माहि ।
तव कृपा प्रसाद कछु दुर्लभ नाही ॥
त्राहि त्राहि मैं शरण तिहारी ।
हरहु सकल मम विपदा भारी ॥
धन्य धन्य बड़ भाग्य हमारो ।
पावै दरस परस तव न्यारो ॥
कर्महीन अरु बुद्धि विहीना ।
तव प्रसाद कछु वर्णन कीन्हा ॥40॥
॥ दोहा ॥
श्रद्धा के यह पुष्प कछु ।
चरणन धरी सम्हार ॥
कृपासिन्धु गुरुदेव प्रभु ।
करी लीजै स्वीकार ॥
|| Vinay Chalisa Baba Neem Karoli PDF ||
{Baba Neem Karoli in English}
॥ Doha ॥
main hoon buddhi maleen ati ॥
shraddha bhakti vizan ॥
karoon vin kachhu tumhaaree ॥
ho sab hi vidhi deen ॥
॥ Chaupaee ॥
jay jay neeb karolee baaba ॥
krpa karahu aavai sahayoga ॥
kaise main tav stuti bakhaanoon ॥
naam graam kachhu main nahin jaanoon ॥
jap krpa drshti tum karahu ॥
rog duhkh shok daarid harahu ॥
tumhaarau roop log nahin jaanai ॥
jaapai krpa karahu soi bhaanai ॥4 ॥
kari de arpan sab tan man dhan ॥
paavai sukh alaukik soi jan ॥
daras paras prabhu jo tav karai ॥
sukh sampati tinake ghar bhaaree ॥
jay jay sant bhakt sukhadaayak ॥
riddhi siddhi sab sampati praapt ॥
tum hee vishnu raam shree krshna ॥
vichitr poorn karan hit trshna ॥8 ॥
jay jay jay jay shree bhagavanta ॥
ho tum saakshaat hanumanta ॥
kahi vibheeshan ne jo bola ॥
param saty kari ab main mani ॥
binu hari krpa milahi nahin santa ॥
so kari krpa karahi duhkh anta ॥
soe bharose mere ur aayo ॥
ja din prabhu darshan paayo ॥12 ॥
jo sumirai tumako ur maahi ॥
taaki vipati nasht hovai jaahee ॥
jay jay jay gurudev hamaaree ॥
sabahi bhaanti ham bhaye tihaare ॥
ham par krpaya sheeghr ab karahu ॥
param shaanti de duhkh sab harahu ॥
rok duhkh shok sab mit jaavai ॥
japai raam raamahi ko dhyaanai ॥16 ॥
ja vidhi hoee param kalyaana ॥
soi soi aap dehu shobha ॥
sabahi bhaanti hari hee ko pooje ॥
raag dvesh dandan so seekhe ॥
karai sada santan kee seva ॥
sab tum vidhi sab lo deva ॥
sab kuchh de hamako nistaaro ॥
bhavasaagar se paar utaro ॥20 ॥
main prabhu sharan tihaaree aayo ॥
sab punyon ko phal hai paayo ॥
jay jay jay gurudev jay jayakaar ॥
baar baar jaun balihaaree ॥
sarvatr sada ghar ghar kee jaano ॥
ruko sukho hi nit khaano ॥
bhesh vastr hai saada aise ॥
jaane na kou saadhu jaisa ॥24 ॥
aise hain prabhu rahanee vivaah ॥
vaanee kaho rahasyamayee bhaaree ॥
naastik hoon aastik hvai jaavai ॥
jab svaamee chetak dikhalaavai ॥
sab hee dharman ke stambh ॥
mhaara manaavai sheesha dikhaayee ॥
na kou svaarth na kou ichchha ॥
vitaran kar deu bhaktan bhiksha ॥28 ॥
kehee vidhi prabhu main haar maanoon ॥
jaso krpa-prasaad tav paoon ॥
saadhu sujaan ke tum rakhavaare ॥
bhakton ke ho sada samarpit ॥
dushtau sharan aani jab paraee ॥
pooran unakee chaah karai ॥
i santan kari sahajau subhau ॥
sundar aashchary karai jani kauu ॥32 ॥
aisee karahu tum ab daya ॥
nirmal hoee jay man aur kaaya ॥
dharm karm mein soya hoi jaave ॥
jo jan nit tav stuti gaavai ॥
aave sadgun taape bhaaree ॥
sukh sampati soi paave saaree ॥
hoy taasu sab poorn kaam ॥
ant samay paavai vishraam ॥36 ॥
chaari padaarath hai jag maaheen ॥
tav krpa prasaad kachhu durlabh nahin ॥
traahi traahi main sharan tihaari ॥
harahu sakal mam vipada bhaaree ॥
dhany-dhany bada bhaagy hamaara ॥
paavai daras paras tav nyaaro ॥
karmaheen aru buddhi visaana ॥
tav prasaad kachhu varnan kinha ॥40 ॥
॥ Doha ॥
shraddha ke yah pushp kachhoo ॥
charanan dhari samhaar ॥
krpaasindhu gurudev prabhu ॥
kari leejai sveekaar ॥
Neem Karoli Baba Dham
यदि आप भारत में महाराज जी के पावन आश्रय, कैंची धाम की यात्रा का मन बना रहे हैं, तो ठहरने हेतु निवेदन करते हुए एक पत्र प्रेषित कर सकते हैं। इस पत्र के साथ किसी पूर्व-भक्त का साक्ष्य पत्र और अपनी नवीनतम छवि संलग्न कर आप इसे कैंची आश्रम के प्रबंधक को kainchidham@gmail.com पर भेज सकते हैं। सामान्यतः, श्रद्धालुओं को यहां अधिकतम तीन रातों तक ठहरने की अनुमति प्राप्त होती है।
कैंची आश्रम का इतिहास
कैंची, उत्तराखंड के कुमाऊं की पर्वत श्रृंखलाओं में बसा एक सुरम्य और एकांत आश्रम है। इसका पहला मंदिर जून 1964 में उद्घाटित हुआ था और यह नैनीताल से लगभग 38 किमी की दूरी पर स्थित है। मौसमी अनुकूलता के साथ, यहां के मंदिरों में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
आश्रम के अनुशासन में कोई शिथिलता नहीं है; यहां निवास करने वालों के लिए प्रातः और संध्याकालीन आरती में सम्मिलित होना अनिवार्य है। यह स्थान साल के अधिकांश समय बंद रहता है, क्योंकि यहां की जलवायु अत्यधिक शीतल होती है।
आश्रम के भीतर रहने का प्रावधान
यदि आप इस दिव्य आश्रय में निवास की इच्छा रखते हैं, तो आश्रम से पूर्व में परिचय पत्र और व्यवस्था आवश्यक है। महाराजजी के कैंची धाम में ठहरने के लिए, आपको प्रबंधक को पत्र लिखकर अपनी अनुमति प्राप्त करनी होगी। सामान्यतः भक्तों को अधिकतम तीन दिनों तक रहने की स्वीकृति दी जाती है। इसके लिए आपको एक पूर्व-भक्त का साक्ष्य पत्र चाहिए होगा, जिसे आप अपने निवेदन पत्र और एक तस्वीर के साथ भेज सकते हैं।
1962 में, महाराज जी ने कैंची गांव के श्री पूर्णानंद को बुलाया, जबकि वे स्वयं सड़क किनारे दीवार पर बैठे उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। उनके आगमन पर, उन्होंने 20 वर्ष पूर्व, 1942 की अपनी पहली भेंट का स्मरण किया और क्षेत्र के विषय में चर्चा की। महाराज जी उस स्थान को देखना चाहते थे जहां साधु प्रेमी बाबा और सोमबारी महाराज निवास करते और यज्ञ संपन्न करते थे। जंगल को साफ करके महाराज जी ने यज्ञशाला को आच्छादित करने हेतु एक चबूतरा बनाने का आदेश दिया। तत्पश्चात, उन्होंने तत्कालीन वन संरक्षक से संपर्क कर पट्टे पर भूमि का अधिकार प्राप्त कर लिया।
हनुमान मंदिर उसी चबूतरे पर निर्मित है। धीरे-धीरे, भक्त दूर-दूर से आने लगे और भंडारे, कीर्तन, भजनों का सिलसिला प्रारंभ हो गया। हनुमानजी और अन्य देवताओं की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा विभिन्न वर्षों में 15 जून को की जाती थी। अतः, प्रतिवर्ष 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है, जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु कैंची आते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ और वाहनों के आवागमन को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन विशेष प्रबंध करता है, जिससे आश्रम परिसर में कुछ परिवर्तन किए गए हैं ताकि आवागमन सुचारू रूप से हो सके।
कैंची मंदिर हर श्रद्धालु के जीवन में विशिष्ट महत्व रखता है। यहीं पर रामदास और अन्य पश्चिमी भक्तों ने महाराजजी के साथ यादगार समय बिताया था। प्रत्येक भक्त को जीवन में कम से कम एक बार इस मंदिर के दर्शन अवश्य करने चाहिए।
आश्रम के बाहर ठहरने के विकल्प
अधिकांश लोग नैनीताल या भोवाली में रहते हैं और दिन में मंदिरों के दर्शन हेतु आते हैं।
निकटतम आवास की सुविधाएं इस प्रकार हैं:
- अमर वैली रिज़ॉर्ट (मध्यम मूल्य वर्ग)
- गुरु कृपा गेस्टहाउस (सस्ती दरों पर)
- भोवाली में कई गेस्ट हाउस हैं, जो यहां से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर हैं।
कैंची में महाराज जी के मंदिर का निर्माण
10 सितंबर 1973 की रात्रि को बाबाजी ने अपने भौतिक शरीर का त्याग किया। उनकी अस्थियों से युक्त कलश श्री कैंची धाम में स्थापित किया गया। इसके बाद, बिना किसी योजना और डिजाइन के बाबा के मंदिर का निर्माण 1974 में शुरू हुआ, जिसमें उनके सभी भक्तों ने स्वेच्छा से सहयोग दिया।
निर्माण कार्य में लगे कारीगर और राजमिस्त्री सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर, हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए “महाराज जी की जय” का उद्घोष करते हुए कार्य आरंभ करते। जब निर्माण कार्य प्रगति पर था, भक्तगण हनुमान चालीसा का पाठ करते और श्री राम-जय राम-जय जय राम का कीर्तन करते, माताओं ने ईंटों पर “रामनाम” लिखकर उन्हें श्रमिकों को दिया। “बाबा नीम करौली महाराज की जय” के उद्घोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया। माताओं की उत्कट भक्ति से श्रमिक भी भाव-विभोर हो गए, मानो उनमें देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा का गुण समा गया हो, और वे निर्माण कार्य में लगे रहे।
15 जून 1976 आया, महाराज जी की मूर्ति की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा का दिन। महाराज जी ने स्वयं कैंची धाम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 15 जून का दिन निश्चित किया था।
प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व भागवत सप्ताह और यज्ञादि का आयोजन हुआ। भक्तों ने घंटे, घड़ियाल, ढोल, शंख आदि की ध्वनि के साथ मंदिर पर कलश स्थापित कर ध्वजारोहण किया। तालियों की ध्वनि से आकाश गूंज उठा। कीर्तन और बाबाजी की जय के नारे चारों ओर गूंजने लगे। वातावरण उल्लास और भक्ति की भावना से भर गया और सभी को बाबाजी महाराज की प्रत्यक्ष उपस्थिति का अनुभव होने लगा। तत्पश्चात, वेद मंत्रों के उच्चारण और निर्धारित विधि के साथ महाराजजी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा और पूजन सम्पन्न हुआ। इस प्रकार, बाबाजी महाराज मूर्ति रूप में श्री कैंची धाम में प्रतिष्ठित हैं।
Vinay Chalisa Baba Neem Karoli Benefits
विनय चालीसा – नीम करोली बाबा के लाभ
विनय चालीसा – नीम करोली बाबा (Vinay Chalisa – Neem Karoli Baba) का पाठ और इसके लाभों के विषय में विस्तार से जानना एक महत्वपूर्ण विषय है। यह चालीसा बाबा नीम करोली के प्रति भक्तिभाव को प्रकट करने के साथ-साथ मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करती है। नीचे हम इस चालीसा के लाभों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे:
मानसिक शांति और स्थिरता
विनय चालीसा का नियमित पाठ करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है। यह व्यक्ति को तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाती है, जिससे जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
आस्था और विश्वास में वृद्धि
बाबा नीम करोली के प्रति आस्था और विश्वास में वृद्धि होती है। इससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
आध्यात्मिक उन्नति
विनय चालीसा का पाठ आत्मा को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। यह ध्यान और साधना में मदद करता है, जिससे व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान पाता है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार
इस चालीसा का पाठ सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इससे नकारात्मक विचारों का नाश होता है और सकारात्मक विचारों की वृद्धि होती है।
स्वास्थ्य लाभ
मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा के परिणामस्वरूप व्यक्ति का शारीरिक स्वास्थ्य भी सुधरता है। तनाव और चिंता कम होने से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, और अन्य मानसिक विकारों का जोखिम कम होता है।
समर्पण और सेवा भाव
बाबा नीम करोली की शिक्षाओं में सेवा भाव का महत्व है। विनय चालीसा का पाठ व्यक्ति में समर्पण और सेवा भाव को बढ़ावा देता है। इससे समाज में प्रेम, करुणा, और दया का प्रसार होता है।
संकटों से रक्षा
विनय चालीसा का पाठ व्यक्ति को संकटों और विपत्तियों से रक्षा करता है। बाबा नीम करोली के आशीर्वाद से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
भक्ति और श्रद्धा का विकास
इस चालीसा का पाठ भक्ति और श्रद्धा का विकास करता है। बाबा नीम करोली के प्रति गहन श्रद्धा और भक्ति से व्यक्ति का जीवन उद्देश्यपूर्ण और प्रेरणादायक बनता है।
मानसिक संतुलन
विनय चालीसा का पाठ मानसिक संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है। इससे व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है और जीवन के विभिन्न पहलुओं में संतुलन बनाए रखता है।
आत्मनिरीक्षण और आत्मज्ञान
इस चालीसा का नियमित पाठ आत्मनिरीक्षण और आत्मज्ञान में सहायक होता है। व्यक्ति अपने विचारों और कार्यों का मूल्यांकन कर सकता है और आत्मविकास की दिशा में अग्रसर होता है।
विनय चालीसा – नीम करोली बाबा का पाठ न केवल व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है, बल्कि समाज में भी प्रेम, करुणा, और सेवा भाव का प्रसार करता है। यह चालीसा बाबा नीम करोली के आशीर्वाद और मार्गदर्शन को प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है, जिससे जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि का संचार होता है।
अनुशंसा
विनय चालीसा का नियमित पाठ करने से उपरोक्त लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि पाठ को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ किया जाए, जिससे बाबा नीम करोली का आशीर्वाद प्राप्त हो सके और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सके।
Neem Karoli Baba Mandir
नीम करोली बाबा मंदिर
नीम करोली बाबा, जिन्हें बाबा नीम करौली के नाम से भी जाना जाता है, एक महान भारतीय संत थे जिनकी भक्ति और चमत्कारों के कारण दुनिया भर में श्रद्धालु उनकी पूजा करते हैं। बाबा का असली नाम लक्ष्मण दास शर्मा था, लेकिन वे अपने साधारण और विनम्र स्वभाव के कारण ‘नीम करोली बाबा’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनके अनुयायी उन्हें भगवान हनुमान का अवतार मानते हैं।
नीम करोली बाबा के प्रमुख मंदिर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में स्थित हैं। ये मंदिर न केवल भारतीय भक्तों के लिए, बल्कि विदेशों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी आध्यात्मिक केंद्र हैं।
प्रमुख नीम करोली बाबा मंदिर:
- कैंची धाम, नैनीताल (उत्तराखंड): यह सबसे प्रसिद्ध नीम करोली बाबा का मंदिर है, जो नैनीताल जिले के भवाली में स्थित है। यह मंदिर एक आश्रम के रूप में भी कार्य करता है और यहां हर साल 15 जून को एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं। कैंची धाम बाबा के आशीर्वाद और चमत्कारों के कारण प्रसिद्ध है।
- नीब करौरी धाम, नीब करोली (उत्तर प्रदेश): यह मंदिर नीम करोली बाबा का जन्मस्थान है और यहां बाबा का प्राचीन आश्रम भी स्थित है। यहां का वातावरण बहुत शांतिपूर्ण और पवित्र है, जहां भक्त ध्यान और साधना के लिए आते हैं।
- हनुमानगढ़ी, टिहरी (उत्तराखंड): यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है और इसे नीम करोली बाबा द्वारा स्थापित किया गया था। यहां बाबा ने अपने जीवन के कई वर्ष बिताए और भक्तों को आशीर्वाद दिया।
- वृंदावन आश्रम (उत्तर प्रदेश): बाबा नीम करौली ने अपने जीवन का अंतिम समय वृंदावन में बिताया। यह स्थान बाबा के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है, जहां वे बाबा के दर्शन और साधना करने आते हैं।
मंदिर की विशेषताएं:
- आध्यात्मिक शांति: नीम करोली बाबा के मंदिरों का वातावरण अत्यंत शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक होता है। यहां आने वाले भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा की अनुभूति होती है।
- भंडारा और सेवा: इन मंदिरों में नियमित रूप से भंडारा (मुफ़्त भोजन सेवा) का आयोजन किया जाता है, जो बाबा की सेवा भावना और समाज सेवा की शिक्षा को दर्शाता है।
- चमत्कार: बाबा के भक्तों का मानना है कि उनके आशीर्वाद से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। मंदिरों में बाबा की चमत्कारी कथाओं का आदान-प्रदान होता है, जो श्रद्धालुओं की आस्था को और भी मजबूत करता है।
- विदेशी भक्तों का आगमन: नीम करोली बाबा की प्रसिद्धि केवल भारत तक सीमित नहीं है। अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों से भी बाबा के अनेक अनुयायी हैं, जिनमें से कई प्रसिद्ध हस्तियां भी शामिल हैं।
नीम करोली बाबा के मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं को बाबा की उपस्थिति और उनकी कृपा का अनुभव होता है। इन मंदिरों में आकर भक्त अपने जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पाने और आध्यात्मिक विकास की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं।
FAQs- विनय चालीसा – नीम करोली बाबा (Vinay Chalisa)
नीम करोली बाबा का कौन सा मंत्र है?
नीम करोली बाबा का प्रसिद्ध मंत्र “राम नाम” है। बाबा हमेशा भक्तों को राम नाम का जाप करने की सलाह देते थे, क्योंकि वे मानते थे कि राम का नाम सभी समस्याओं का समाधान है और यह आत्मिक शांति का मार्ग है।
नीम करोली बाबा ने हनुमान चालीसा के बारे में क्या कहा?
नीम करोली बाबा ने हनुमान चालीसा को बहुत ही शक्तिशाली और प्रभावशाली बताया। वे कहते थे कि हनुमान चालीसा का नियमित पाठ भक्तों को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त कर सकता है और हनुमानजी की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
नीम करोली बाबा के चमत्कार क्या हैं?
नीम करोली बाबा के कई चमत्कारों की कहानियाँ प्रचलित हैं, जैसे कि भक्तों के जीवन में असाधारण समस्याओं का समाधान, असंभव कार्यों का सफल होना, और लोगों को जीवन के कठिन दौर से बाहर निकालना। बाबा के चमत्कार उनके भक्तों के लिए दिव्य अनुभव रहे हैं।
नीम करोली बाबा को क्या चढ़ाया जाता है?
नीम करोली बाबा को सादगी पसंद थी, इसलिए उन्हें फल, मिठाई, और विशेष रूप से गुड़ और केले का भोग चढ़ाया जाता है। बाबा ने सादगी और भक्तिभाव को महत्व दिया, इसलिए उनके भक्त इन्हीं चीज़ों का भोग चढ़ाते हैं।
मुझे नीम करोली बाबा के पास कब जाना चाहिए?
नीम करोली बाबा के दर्शन या उनकी समाधि पर कभी भी जाया जा सकता है। भक्त विशेष रूप से बाबा के जन्मदिवस या अन्य विशेष धार्मिक अवसरों पर जाते हैं। लेकिन, सच्चे भक्तों के लिए कोई विशेष समय नहीं होता; जब भी आपको आंतरिक शांति या मार्गदर्शन की आवश्यकता हो, आप बाबा के पास जा सकते हैं।
नीम करोली बाबा क्यों प्रसिद्ध है?
नीम करोली बाबा अपनी अद्वितीय आध्यात्मिक शक्तियों और चमत्कारी घटनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई चमत्कार किए, जिनसे उनके भक्तों का जीवन बदल गया। बाबा प्रेम, सेवा और करुणा का संदेश देते थे और उनका सादगी भरा जीवन लोगों को आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता है। उनके अनुयायियों में स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग जैसी हस्तियाँ भी शामिल हैं, जिससे बाबा की प्रसिद्धि वैश्विक स्तर पर फैल गई है।
नीम करोली बाबा का स्थान कहाँ है?
बाबा नीम करोली के प्रमुख आश्रम उत्तराखंड के नैनीताल जिले के कैंची धाम में स्थित है, जिसे ‘कैंची धाम’ के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा, बाबा के अन्य आश्रम वृंदावन, फ़र्रुखाबाद और अन्य जगहों पर भी स्थित हैं। कैंची धाम आश्रम हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है, जहाँ भक्त बाबा के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।
नीम करोली बाबा कब जाना चाहिए?
नीम करोली बाबा के आश्रम, विशेष रूप से कैंची धाम, का सबसे शुभ समय बाबा के प्रसिद्ध मेले के दौरान होता है, जो हर साल 15 जून को आयोजित किया जाता है। इस दिन बाबा के भक्त बड़ी संख्या में इकट्ठे होते हैं। इसके अलावा, आश्रम साल भर खुला रहता है, लेकिन भक्त अधिकतर ग्रीष्मकाल और त्योहारों के दौरान यहाँ आते हैं। आप किसी भी समय बाबा के दर्शन के लिए जा सकते हैं, लेकिन जून का समय विशेष रूप से पवित्र माना जाता है।
नीम करोली बाबा के चमत्कार क्या हैं?
बाबा नीम करोली के जीवन से जुड़े कई चमत्कारी किस्से प्रसिद्ध हैं। एक बार उन्होंने अपनी अलौकिक शक्तियों से रेलगाड़ी को बिना किसी यांत्रिक सहायता के रोक दिया था। उनके भक्तों का मानना है कि बाबा की कृपा से असाध्य रोगों का इलाज संभव हो जाता है और संकटों से मुक्ति मिलती है। उन्होंने लोगों की समस्याओं को हल करने और उन्हें मानसिक शांति देने के लिए अनेक चमत्कार किए हैं। बाबा के आश्रम में आज भी भक्त उनकी अदृश्य उपस्थिति और कृपा का अनुभव करते हैं।