श्री झूलेलाल आरती (Shri Jhulelal Aarti) का अपना एक विशिष्ट महत्व है। झूलेलाल जी को जल के देवता और सिन्धी समुदाय के आराध्य देवता माना जाता है। उनकी आराधना से भक्तों को जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। झूलेलाल जी की आरती का पाठ करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
यह आरती झूलेलाल जी की महिमा, उनके अद्भुत रूप और भक्तों के प्रति उनकी असीम कृपा का वर्णन करती है। झूलेलाल जी के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करते हुए, भक्त इस आरती का पाठ करते हैं और उनसे सुख-शांति की कामना करते हैं।
आरती के माध्यम से हम झूलेलाल जी की महिमा का गुणगान करते हुए, उनके प्रति अपनी अटूट श्रद्धा और भक्ति प्रकट करते हैं। यह आरती न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक और आत्मिक संतुलन के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।
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|| श्री झूलेलाल आरती ||
ॐ जय दूलह देवा,
साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी,
सिदुक रखी सेवा ॥
तुहिंजे दर दे केई,
सजण अचनि सवाली ।
दान वठन सभु दिलि,
सां कोन दिठुभ खाली ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
अंधड़नि खे दिनव,
अखडियूँ – दुखियनि खे दारुं ।
पाए मन जूं मुरादूं,
सेवक कनि थारू ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
फल फूलमेवा सब्जिऊ,
पोखनि मंझि पचिन ।
तुहिजे महिर मयासा अन्न,
बि आपर अपार थियनी ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
ज्योति जगे थी जगु में,
लाल तुहिंजी लाली ।
अमरलाल अचु मूं वटी,
हे विश्व संदा वाली ॥
॥ ॐ जय दूलह देवा…॥
जगु जा जीव सभेई,
पाणिअ बिन प्यास ।
जेठानंद आनंद कर,
पूरन करियो आशा ॥
ॐ जय दूलह देवा,
साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी,
सिदुक रखी सेवा ॥
|| Shri Jhulelal Aarti ||
Om Jay Dulah Deva,
Sai Jay Dulah Deva।
Puja Kani Tha Premi,
Siduk Rakhi Seva॥
Tuhinje Dar De Kaei,
Sajan Achan Sawaali।
Daan Vathan Sabh Dil,
Sa Kon Dithubh Khali॥
॥ Om Jay Dulah Deva…॥
Andhadni Khe Dinav,
Akhadiyun – Dukhiyani Khe Darun।
Paye Man Ju Muradun,
Sevak Kani Tharu॥
॥ Om Jay Dulah Deva…॥
Phal Phulmeva Sabjiu,
Pokhani Manji Pachin।
Tuhinje Mahir Mayasa Ann,
Bi Apar Apar Thiyani॥
॥ Om Jay Dulah Deva…॥
Jyoti Jage Thi Jagu Mein,
Lal Tuhinji Lali।
Amarlal Achu Mum Vati,
He Vishwa Sanda Wali॥
॥ Om Jay Dulah Deva…॥
Jagu Ja Jiv Sabhei,
Panian Bin Pyas।
Jethanand Anand Kar,
Puran Kariyo Asha॥
Om Jay Dulah Deva,
Sai Jay Dulah Deva।
Puja Kani Tha Premi,
Siduk Rakhi Seva॥
Shri Jhulelal Aarti pdf
Shri Jhulelal Aarti Benefits
श्री झूलेलाल आरती- ॐ जय दूलह देवा के लाभ
श्री झूलेलाल आरती: ॐ जय दूलह देवा हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। विशेष रूप से सिंधी समुदाय में, झूलेलाल को जल देवता और रक्षक के रूप में पूजा जाता है। आरती के माध्यम से भक्त अपने आराध्य को सम्मान देते हैं और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से श्री झूलेलाल आरती के लाभों को विस्तृत रूप से समझ सकते हैं:
मानसिक शांति और संतुलन
श्री झूलेलाल की आरती करने से मन को शांति मिलती है। इसका नियमित गायन मानसिक तनाव और चिंता को कम करता है। जब हम आरती गाते हैं, तो हमारी सारी नकारात्मक भावनाएं शांत हो जाती हैं और हमें आंतरिक शांति का अनुभव होता है।
आध्यात्मिक उन्नति
आरती के दौरान, व्यक्ति का ध्यान भगवान की ओर केन्द्रित होता है। यह प्रक्रिया आत्मा को शुद्ध करती है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है। आरती गाते समय, भक्त भगवान से सीधे संपर्क महसूस करते हैं जो उनकी आध्यात्मिक यात्रा में सहायक होता है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार
आरती के समय उत्पन्न ध्वनि और वाइब्रेशन घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है और वातावरण को पवित्र और सुखद बनाता है। आरती का नियमित गायन घर के माहौल को सकारात्मक और शुद्ध बनाए रखता है।
भक्ति और समर्पण की वृद्धि
आरती गाने से व्यक्ति की भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना बढ़ती है। यह एक माध्यम है जिसके द्वारा भक्त अपने आराध्य के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम व्यक्त करते हैं। यह भावना व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है और उसे अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करती है।
सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव
श्री झूलेलाल आरती का सामूहिक गायन समाज और समुदाय को एकजुट करता है। यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देता है। आरती के अवसर पर एकत्रित होकर, लोग अपने धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाते हैं।
आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास
आरती के नियमित अभ्यास से व्यक्ति के भीतर आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास का विकास होता है। भगवान की महिमा का गुणगान करने से व्यक्ति को आत्मबल मिलता है और वह जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है।
ईश्वर के प्रति कृतज्ञता
आरती गाते समय, व्यक्ति भगवान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता है। यह भावना व्यक्ति को जीवन में संतोष और सुख का अनुभव कराती है। कृतज्ञता का भाव व्यक्ति को विनम्र बनाता है और उसे हर परिस्थिति में भगवान का धन्यवाद करने के लिए प्रेरित करता है।
स्वास्थ्य लाभ
आरती के गायन के दौरान सांस की गति नियंत्रित रहती है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके नियमित अभ्यास से श्वास प्रक्रिया सुधरती है और ह्रदय तथा मस्तिष्क को लाभ पहुंचता है।
आत्मा का शुद्धिकरण
आरती का गायन आत्मा का शुद्धिकरण करता है। जब व्यक्ति पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ आरती गाता है, तो उसके भीतर की सभी नकारात्मकता समाप्त हो जाती है और उसकी आत्मा शुद्ध हो जाती है।
जीवन में संतुलन
आरती गाने से जीवन में संतुलन बना रहता है। यह व्यक्ति को धार्मिक, मानसिक, और शारीरिक रूप से संतुलित बनाता है। इससे व्यक्ति हर परिस्थिति में संतुलित और स्थिर रहता है।
धर्म और संस्कृति की शिक्षा
श्री झूलेलाल आरती बच्चों और युवाओं को धर्म और संस्कृति की शिक्षा देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह उन्हें अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को समझने और अपनाने में मदद करता है। आरती के माध्यम से, नई पीढ़ी अपने पूर्वजों की परंपराओं और विश्वासों से जुड़ती है।
उत्सव और समारोह का अभिन्न अंग
आरती विभिन्न धार्मिक उत्सवों और समारोहों का अभिन्न अंग है। यह उत्सवों को और भी विशेष और पवित्र बनाता है। श्री झूलेलाल के जन्मोत्सव, चैत्र चांद, और अन्य महत्वपूर्ण अवसरों पर आरती का आयोजन सामूहिक भक्ति और आनन्द का माहौल बनाता है।
समाज में शांति और सौहार्द्र
आरती के सामूहिक आयोजन से समाज में शांति और सौहार्द्र की भावना प्रबल होती है। यह विभिन्न सामाजिक और धार्मिक समूहों को एक मंच पर लाता है और उनमें आपसी समझ और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है।
कर्मों का सुधार
आरती गाने से व्यक्ति के कर्मों में सुधार होता है। यह उसे धार्मिक और नैतिक मूल्यों के प्रति जागरूक बनाता है। आरती के प्रभाव से व्यक्ति सदाचार, दया, और सहनशीलता को अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित होता है।
आत्मज्ञान और प्रेरणा
श्री झूलेलाल आरती का नियमित गायन आत्मज्ञान और प्रेरणा का स्रोत है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन के उद्देश्य को समझने और प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर होता है। आरती के शब्द और धुन व्यक्ति के भीतर नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करते हैं।
प्राकृतिक संतुलन
श्री झूलेलाल, जो जल देवता हैं, की आरती करने से प्राकृतिक संतुलन और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ती है। यह आरती हमें जल और प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को समझने और उन्हें संरक्षित करने की प्रेरणा देती है।
श्रद्धालुओं का एकत्रित होना
आरती के अवसर पर, विभिन्न स्थानों से श्रद्धालु एकत्रित होते हैं, जिससे आपसी भाईचारे और एकता की भावना मजबूत होती है। यह सामाजिक एकता और सहयोग को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
आध्यात्मिक ध्यान
आरती के दौरान, व्यक्ति का ध्यान पूरी तरह से भगवान पर केन्द्रित होता है, जो ध्यान और साधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह अभ्यास व्यक्ति को ध्यान की गहराइयों में ले जाता है और उसे आत्म-साक्षात्कार की ओर अग्रसर करता है।
श्री झूलेलाल आरती- ॐ जय दूलह देवा का गायन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव लाने वाला एक आध्यात्मिक अभ्यास है। इसका नियमित अभ्यास व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करता है। आरती का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं में भी प्रकट होता है। इससे न केवल व्यक्ति का जीवन सुधरता है, बल्कि समाज और समुदाय में भी शांति और समृद्धि का संचार होता है।
FAQs – ॐ जय दूलह देवा (Om Jai Doolah Deva)
श्री झूलेलाल आरती का महत्व क्या है?
श्री झूलेलाल आरती ‘ॐ जय दूलह देवा’ का महत्व यह है कि इसे गाने से झूलेलाल भगवान की कृपा प्राप्त होती है। यह आरती भगवान झूलेलाल के भक्तों को मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और जीवन में खुशहाली प्रदान करती है।
श्री झूलेलाल आरती कब और कैसे करनी चाहिए?
श्री झूलेलाल आरती प्रातःकाल और संध्याकाल में की जाती है। आरती के समय भगवान झूलेलाल की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर, प्रसाद चढ़ाकर और श्रद्धा से इस आरती का गान करना चाहिए।
श्री झूलेलाल आरती करने से क्या लाभ होता है?
श्री झूलेलाल आरती से भक्तों को झूलेलाल भगवान की कृपा प्राप्त होती है, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, और संकटों से मुक्ति मिलती है। आरती का नियमित पाठ करने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
क्या श्री झूलेलाल आरती का पाठ किसी विशेष दिन करना शुभ होता है?
श्री झूलेलाल आरती का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन चैती चंड (चेटीचंड), जो झूलेलाल भगवान का प्रकट उत्सव है, इस दिन इस आरती का विशेष महत्व है। इस दिन आरती करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
श्री झूलेलाल आरती में किस प्रकार का प्रसाद चढ़ाना चाहिए?
श्री झूलेलाल आरती के समय प्रसाद के रूप में मीठे पदार्थ जैसे लड्डू, फल, या मिष्ठान्न चढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, प्रसाद के रूप में धूप, दीप, और चावल (अक्षत) चढ़ाने की भी परंपरा है।