Wednesday, November 20, 2024
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श्री जगन्नाथ संध्या आरती (SHRI JAGGANATH SANDHYA AARTI)

श्री जगन्नाथ संध्या आरती (Shri Jagganath Sandhya Aarti) एक महत्वपूर्ण और पवित्र धार्मिक अनुष्ठान है जो भगवान जगन्नाथ के सम्मान में की जाती है। यह आरती विशेष रूप से संध्या के समय, अर्थात सूर्यास्त के बाद की जाती है, और ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में इसके आयोजन का महत्व अत्यधिक है।

भगवान जगन्नाथ: एक संक्षिप्त परिचय

भगवान जगन्नाथ, जिन्हें विष्णु के रूप में पूजा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उनका मुख्य मंदिर पुरी, ओडिशा में स्थित है, और यह मंदिर विशेष रूप से चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। भगवान जगन्नाथ का स्वरूप एक विशेष प्रकार का होता है, जिसमें उनके तीन विशाल और सुंदर मुखों के साथ एक सरल, लेकिन दिव्य रूप प्रस्तुत किया गया है।

संध्या आरती का महत्व

श्री जगन्नाथ संध्या आरती दिन के अंत में भगवान के प्रति अपनी भक्ति और सम्मान प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। संध्या के समय की गई आरती विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है और इसे भगवान के दिन के समापन और रात्रि की शुरुआत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह आरती भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक दिव्य अवसर प्रदान करती है और भक्तों के दिलों में सच्चे प्रेम और श्रद्धा को उजागर करती है।

संध्या आरती का आयोजन

संध्या आरती के समय, भगवान जगन्नाथ की विशेष पूजा की जाती है जिसमें दीप, धूप, और पुष्पों से भगवान की आरती की जाती है। इस पूजा के दौरान भक्तगण मंत्रों और भजनों के माध्यम से भगवान की महिमा का गान करते हैं और उन्हें दिन की समाप्ति के लिए धन्यवाद देते हैं। आरती के इस अनुष्ठान का उद्देश्य भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और भक्ति प्रकट करना होता है।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

संध्या आरती न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह समुदाय के लोगों को एकजुट करती है और धार्मिक अनुष्ठानों के प्रति उनकी श्रद्धा को प्रबल करती है। यह एक अवसर है जब लोग भगवान के समक्ष एकत्र होते हैं, अपने पापों की क्षमा मांगते हैं, और जीवन की कठिनाइयों से उबरने की प्रार्थना करते हैं।


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|| श्री जगन्नाथ संध्या आरती ||

अनंत रूप अन्नांत नाम
अनंत रूप अन्नांत नाम,
अनंत रूप अन्नांत नाम,
आधी मूला नारायाणा
आधी मूला नारायाणा

अनंत रूप अन्नांत नाम,
अनंत रूप अन्नांत नाम,
आधी मूला नारायाणा
आधी मूला नारायाणा

विस्वा रूपा विस्वा धारा
विस्वा रूपा विस्वा धारा
विस्ववयापका नारायाणा
विस्ववयापका नारायाणा
विस्वा तेजसा प्रज्ञा स्वरूपा
विस्वा तेजसा प्रज्ञा स्वरूपा

हे ढाया सिंधो कृष्णा हे ढाया
अनंता सयाना हे जगानाथा
अनंता सयाना हे जगानाथा
कमला नयना हे माधवा
कमला नयना हे माधवा
करुणा सागरा कालिया नर्धना
करुणा सागरा कालिया नर्धना

हे ढाया सिंधो कृष्णा
हे ढाया सिंधो कृष्णा
हे कृपा सिंधो कृष्णा
हे कृपा सिंधो कृष्णा

अनंत रूप अन्नांत नाम,
अनंत रूप अन्नांत नाम,
आधी मूला नारायाणा
आधी मूला नारायाणा

|| Shri Jagganath Sandhya Aarti ||

Anant roop anant naam,
Anant roop anant naam,
Aadhi moola Narayana,
Aadhi moola Narayana.

Vishwa roopa vishwa dhara,
Vishwa roopa vishwa dhara,
Vishwavayaapaka Narayana,
Vishwavayaapaka Narayana,
Vishwa tejasa prajna swaroopa,
Vishwa tejasa prajna swaroopa.

Hey dhaaya sindho Krishna, hey dhaaya,
Ananta sayana hey Jaganatha,
Ananta sayana hey Jaganatha,
Kamala nayana hey Madhava,
Kamala nayana hey Madhava,
Karuna sagara Kaliya nardhana,
Karuna sagara Kaliya nardhana.

Hey dhaaya sindho Krishna,
Hey dhaaya sindho Krishna,
Hey krupa sindho Krishna,
Hey krupa sindho Krishna.

Anant roop anant naam,
Anant roop anant naam,
Aadhi moola Narayana,
Aadhi moola Narayana.


श्री जगन्नाथ संध्या आरती के लाभ

श्री जगन्नाथ संध्या आरती एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो भगवान श्री जगन्नाथ की पूजा में किया जाता है। यह आरती विशेषकर संध्या के समय, यानी सूर्यास्त के बाद की जाती है और इसका उद्देश्य भगवान जगन्नाथ की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। इस आरती के कई लाभ हैं जो आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक स्तर पर अनुभव किए जा सकते हैं। यहाँ हम विस्तार से इन लाभों पर चर्चा करेंगे।

आध्यात्मिक लाभ

भक्ति की वृद्धि: श्री जगन्नाथ संध्या आरती भगवान श्री जगन्नाथ के प्रति भक्ति और श्रद्धा को प्रगाढ़ करती है। नियमित रूप से इस आरती को करने से भक्तों की भक्ति में वृद्धि होती है और उनकी आध्यात्मिक साधना में सहायता मिलती है।

कृपा की प्राप्ति: संध्या आरती के माध्यम से भगवान श्री जगन्नाथ की कृपा प्राप्त होती है। यह विश्वास है कि भगवान की पूजा करने से भक्तों को उनके जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और वे भगवान की विशेष कृपा के पात्र बनते हैं।

आध्यात्मिक जागरूकता: संध्या आरती के समय, भक्त भगवान के दिव्य गुणों और उनके अद्वितीय व्यक्तित्व के बारे में ध्यान करते हैं। यह ध्यान और पूजा की प्रक्रिया भक्तों को आध्यात्मिक जागरूकता और आत्मज्ञान प्रदान करती है।

मानसिक लाभ

शांति और संतुलन: संध्या आरती के समय की गई पूजा और मंत्रोच्चारण से मानसिक शांति प्राप्त होती है। जब भक्त ईश्वर की आराधना करते हैं, तो उनके मन की चिंता और तनाव कम होते हैं और मानसिक संतुलन स्थापित होता है।

नकारात्मक विचारों से मुक्ति: संध्या आरती में भाग लेने से मन से नकारात्मक विचार और भावनाएँ समाप्त होती हैं। यह मन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है, जिससे जीवन में मानसिक स्थिरता बनी रहती है।

मनोबल में वृद्धि: नियमित रूप से संध्या आरती करने से भक्तों के मनोबल में वृद्धि होती है। इससे वे जीवन की चुनौतियों का सामना अधिक साहस और आत्मविश्वास के साथ कर सकते हैं।

शारीरिक लाभ

स्वास्थ्य में सुधार: संध्या आरती के दौरान किए जाने वाले मंत्रोच्चारण और धार्मिक अनुष्ठान शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। यह ऊर्जा शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक होती है।

तनाव और थकावट में कमी: आरती के दौरान भक्तों का ध्यान ईश्वर की आराधना में केंद्रित होता है, जिससे तनाव और थकावट कम होती है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संपूर्ण रूप से लाभ पहुंचाती है।

संगति और सामंजस्य: संध्या आरती एक सामूहिक अनुष्ठान होती है, जिसमें परिवार और समुदाय के लोग एक साथ मिलकर पूजा करते हैं। यह सामाजिक संबंधों को मजबूत करती है और सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने में मदद करती है।

धार्मिक और सांस्कृतिक लाभ

धार्मिक उत्साह: संध्या आरती का आयोजन धार्मिक उत्साह और आनंद को बढ़ावा देता है। यह भक्तों को अपने धर्म के प्रति निष्ठा और समर्पण की भावना से परिपूर्ण करता है।

संस्कृतिक परंपराओं का पालन: इस आरती के माध्यम से धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को बनाए रखा जाता है। यह पीढ़ी दर पीढ़ी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में मदद करती है।

समाज में योगदान: संध्या आरती का आयोजन धार्मिक समाज में योगदान करता है। यह धार्मिक अनुष्ठान समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाकर सामाजिक समरसता और एकता को बढ़ावा देता है।

आध्यात्मिक अनुशासन और नियमितता

अनुशासन की वृद्धि: संध्या आरती के नियमित पालन से भक्तों में अनुशासन की भावना उत्पन्न होती है। यह नियमितता उनके जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी अनुशासन बनाए रखने में सहायक होती है।

समय प्रबंधन: आरती के समय की पाबंदी से भक्तों को समय प्रबंधन की आदत पड़ती है। यह उन्हें अपने दिनचर्या को बेहतर तरीके से व्यवस्थित करने में मदद करती है।

आध्यात्मिक साधना: संध्या आरती के माध्यम से भक्त अपनी आध्यात्मिक साधना को नियमित रूप से जारी रख सकते हैं। यह साधना उन्हें आत्मा के प्रति जागरूक करती है और भगवान के साथ उनके संबंध को गहरा करती है।

आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि

सुख-समृद्धि की प्राप्ति: भगवान श्री जगन्नाथ की आराधना से भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। यह विश्वास है कि भगवान की पूजा से सभी प्रकार की समृद्धि और सुख प्राप्त होते हैं।

धन और ऐश्वर्य: संध्या आरती के माध्यम से भगवान की कृपा प्राप्त होती है, जो आर्थिक समृद्धि और ऐश्वर्य का कारण बन सकती है। भक्तों की आर्थिक समस्याएँ हल होती हैं और जीवन में धन और ऐश्वर्य आता है।

शांति और सुरक्षा: भगवान की पूजा से भक्तों के जीवन में शांति और सुरक्षा का वास होता है। यह उन्हें जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं से बचाता है और उन्हें एक सुरक्षित और खुशहाल जीवन जीने में मदद करता है।

श्री जगन्नाथ संध्या आरती न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करती है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुदृढ़ करती है। यह पूजा भक्तों के जीवन में शांति, संतुलन, और समृद्धि लाने में सहायक होती है। इस प्रकार, श्री जगन्नाथ संध्या आरती एक पूर्ण और सर्वांगीण लाभकारी अनुष्ठान है जो व्यक्ति के जीवन को सच्चे अर्थ में समृद्ध और सफल बना सकती है।

Hemlata
Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
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