श्री हनुमान अमृतवाणी (Shri Hanuman Amritwani PDF) हनुमान जी, जिन्हें अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, बजरंगबली और संकटमोचन के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय देवता हैं। वे भगवान शिव के रूद्र अवतार माने जाते हैं और भगवान राम के अनन्य भक्त हैं। उनकी भक्ति और शक्ति का वर्णन विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मिलता है, जिनमें प्रमुख हैं रामायण, महाभारत और श्रीमद्भागवत पुराण। श्री हनुमान अमृतवाणी उन भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ है जो हनुमान जी की भक्ति और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करना चाहते हैं।
श्री हनुमान अमृतवाणी का पाठ करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और सभी प्रकार की बाधाओं, कष्टों और संकटों से मुक्ति मिलती है। यह पाठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो जीवन में किसी प्रकार की समस्या या दुख से गुजर रहे हैं। हनुमान जी के नाम का जाप और उनके चरित्र का स्मरण करने से आत्मबल और साहस की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, यह भक्तों के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और उन्हें आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराता है।
हनुमान जी की महिमा का गुणगान करते हुए, श्री हनुमान अमृतवाणी में उनके विभिन्न नामों, गुणों और कार्यों का वर्णन किया गया है। इसमें उनकी भक्ति, शक्ति, सेवा भावना और साहस का विस्तार से उल्लेख होता है। हनुमान जी की कथा और उनके कार्यों को सुनने और गाने से भक्तों के मन में भक्ति की भावना जागृत होती है और वे हनुमान जी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं।
श्री हनुमान अमृतवाणी का नियमित पाठ करने से भक्तों को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। यह पाठ न केवल भक्तों के लिए आशीर्वाद का स्रोत है, बल्कि उन्हें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति भी प्रदान करता है। हनुमान जी की भक्ति और उनके प्रति समर्पण से भक्तों का जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भर जाता है।
हनुमान जी की कृपा से, श्री हनुमान अमृतवाणी का पाठ सभी भक्तों के लिए एक संजीवनी की तरह है, जो उन्हें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता और संतुष्टि प्रदान करता है। उनके प्रति अटूट विश्वास और प्रेम से भरा यह पाठ, भक्तों को उनके जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों का सामना करने की क्षमता और साहस प्रदान करता है। श्री हनुमान अमृतवाणी, हनुमान जी की महिमा और उनकी कृपा को अपने जीवन में अनुभव करने का एक अनुपम माध्यम है।
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|| श्री हनुमान अमृतवाणी (Shri Hanuman Amritwani PDF) ||
रामायण की भव्य जो माला,
हनुमत उसका रत्न निराला।
निश्चय पूर्वक अलख जगाओ,
जय जय जय बजरंग ध्याओ।।
अंतर्यामी है हनुमंता,
लीला अनहद अमर अनंता।
रामकी निष्ठा नस नस अंदर
रोम रोम रघुनाथ का मंदिर।।
सिद्धि महात्मा ये सुख धाम,
इसको कोटि कोटि प्रमाण।
तुलसीदास के भाग्य जगाये,
साक्षात के दर्श दिखाए।।
सूझ बूझ धैर्य का है स्वामी,
इसके भय खाते खलकामी।
निर्भिमान चरित्र है उसका,
हर एक खेल विचित्र है इसका।।
सुंदरकांड है महिमा इसकी,
ऐसी शोभा और है किसकी।
जिसपे मारुती की हो छाया,
माया जाल ना उसपर आया।।
मंगलमूर्ति महसुखदायक,
लाचारों के सदा सहायक।
कपिराज ये सेवा परायण,
इससे मांगो राम रसायन।।
जिसको दे भक्ति की युक्ति,
जन्म मरण से मलती मुक्ति।
स्वार्थ रहित हर काज है इसका,
राम के मन पे राज है इसका।।
वाल्मीकि ने लिखी है महिमा,
हनुमान के गुणों की गरिमा।
ये ऐसी अनमोल कस्तूरी,
जिसके बिना रामायण अधूरी।
कैसा मधुर स्वाभाव है इसका,
जन जन पर प्रभाव है इसका।
धर्म अनुकूल नीति इसकी,
राम चरण से प्रीती इसकी।
दुर्गम काज सुगम ये करता,
जन मानस की विपदा हरता।
युगो में जैसे सतयुग प्यारा,
सेवको में हनुमान निरारा।
दोहा- श्रद्धा रवि बजरंग की रे मन माला फेर,
भय भद्रा छंट जाएंगे घडी लगे ना देर।।
FAQs – श्री हनुमान अमृतवाणी
(Shri Hanuman Amritwani PDF)
हनुमान से मदद कैसे मांगे?
हनुमान जी से मदद मांगने के लिए सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ उनकी आराधना करें। आप हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं या किसी अन्य हनुमान मंत्र का जाप कर सकते हैं। अपनी समस्या को स्पष्ट रूप से उनके सामने रखें और हनुमान जी से सहायता के लिए प्रार्थना करें। सच्चे मन और विश्वास से की गई प्रार्थना अवश्य सुनी जाती है।
हनुमान चालीसा जल्दी कैसे सीखें?
हनुमान चालीसा जल्दी सीखने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:
– प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
– चालीसा को टुकड़ों में बांटकर याद करें, जैसे चार-चार चौपाई।
– हनुमान चालीसा को लिखकर याद करें।
– हनुमान चालीसा के अर्थ को समझकर याद करें, इससे आपका मन अधिक जुड़ा रहेगा।
– हनुमान चालीसा का ऑडियो सुनें और उसके साथ-साथ बोलने का प्रयास करें।
श्री हनुमान जी से क्या सीखा जा सकता है?
श्री हनुमान जी से कई महत्वपूर्ण जीवन मूल्य सीखे जा सकते हैं:
– और समर्पण: श्री राम के प्रति उनकी निष्ठा और भक्ति अद्वितीय है।
– सेवा भावना: दूसरों की सेवा में समर्पित होना।
– साहस और बल: विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और साहस बनाए रखना।
– विनम्रता: अत्यंत शक्तिशाली होते हुए भी हनुमान जी विनम्रता का आदर्श हैं।
– निस्वार्थता: उन्होंने अपने व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर श्री राम की सेवा की।