श्री गोपाल चालीसा (Shri Gopal Chalisa Pdf) एक प्रसिद्ध भक्ति रचना है जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह चालीसा उनके अनेक भक्तों द्वारा उनकी महिमा और लीलाओं का गुणगान करने के लिए गायी जाती है। भगवान श्रीकृष्ण को ‘गोपाल’ के नाम से भी जाना जाता है, जो ग्वालों के पालक और गायों के रक्षक हैं। श्री गोपाल चालीसा का पाठ करने से भक्तों को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
श्री गोपाल चालीसा का मुख्य उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन करना और उनकी लीलाओं का स्मरण करना है। इस चालीसा में 40 छंद होते हैं, जो श्रीकृष्ण के विभिन्न रूपों, लीलाओं और गुणों का वर्णन करते हैं। प्रत्येक छंद में श्रीकृष्ण के विभिन्न नामों और उनके कार्यों का गुणगान किया गया है।
श्रीकृष्ण का जीवन और उनकी लीलाएँ भारतीय संस्कृति और धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। वे योगेश्वर, गोविंद, मुरलीधर, कान्हा, नंदलाल, आदि अनेक नामों से प्रसिद्ध हैं। उनकी बाल लीलाओं से लेकर गीता का उपदेश देने तक, हर रूप में श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों को जीवन के सत्य और धर्म का मार्ग दिखाया है। श्री गोपाल चालीसा में इन्हीं लीलाओं और गुणों का सुंदर वर्णन किया गया है, जो भक्तों को श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति से भर देता है।
श्री गोपाल चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से मन को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। यह चालीसा विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी है जो अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं या मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पण और उनकी महिमा का गान करने से हर कठिनाई दूर हो जाती है और भक्त को भगवान की अनंत कृपा प्राप्त होती है।
श्री गोपाल चालीसा को किसी भी समय और किसी भी स्थान पर पढ़ा जा सकता है। इसे पढ़ने के लिए किसी विशेष विधि या नियम का पालन करने की आवश्यकता नहीं है। भक्तजन अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार इसका पाठ कर सकते हैं और श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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|| श्री गोपाल चालीसा PDF ||
।। दोहा ।।
श्री राधापद कमल रज, सिर धरि यमुना कूल।
वरणो चालीसा सरस, सकल सुमंगल मूल।।
।। चौपाई ।।
जय जय पूरण ब्रह्म बिहारी, दुष्ट दलन लीला अवतारी।
जो कोई तुम्हरी लीला गावै, बिन श्रम सकल पदारथ पावै।
श्री वसुदेव देवकी माता, प्रकट भये संग हलधर भ्राता।
मथुरा सों प्रभु गोकुल आये, नन्द भवन मे बजत बधाये।
जो विष देन पूतना आई, सो मुक्ति दै धाम पठाई।
तृणावर्त राक्षस संहारयौ, पग बढ़ाय सकटासुर मार्यौ।
खेल खेल में माटी खाई, मुख मे सब जग दियो दिखाई।
गोपिन घर घर माखन खायो, जसुमति बाल केलि सुख पायो।
ऊखल सों निज अंग बँधाई, यमलार्जुन जड़ योनि छुड़ाई।
बका असुर की चोंच विदारी, विकट अघासुर दियो सँहारी।
ब्रह्मा बालक वत्स चुराये, मोहन को मोहन हित आये।
बाल वत्स सब बने मुरारी, ब्रह्मा विनय करी तब भारी।
काली नाग नाथि भगवाना, दावानल को कीन्हों पाना।
सखन संग खेलत सुख पायो, श्रीदामा निज कन्ध चढ़ायो।
चीर हरन करि सीख सिखाई, नख पर गिरवर लियो उठाई।
दरश यज्ञ पत्निन को दीन्हों, राधा प्रेम सुधा सुख लीन्हों।
नन्दहिं वरुण लोक सों लाये, ग्वालन को निज लोक दिखाये।
शरद चन्द्र लखि वेणु बजाई, अति सुख दीन्हों रास रचाई।
अजगर सों पितु चरण छुड़ायो, शंखचूड़ को मूड़ गिरायो।
हने अरिष्टा सुर अरु केशी, व्योमासुर मार्यो छल वेषी।
व्याकुल ब्रज तजि मथुरा आये, मारि कंस यदुवंश बसाये।
मात पिता की बन्दि छुड़ाई, सान्दीपन गृह विघा पाई।
पुनि पठयौ ब्रज ऊधौ ज्ञानी, पे्रम देखि सुधि सकल भुलानी।
कीन्हीं कुबरी सुन्दर नारी, हरि लाये रुक्मिणि सुकुमारी।
भौमासुर हनि भक्त छुड़ाये, सुरन जीति सुरतरु महि लाये।
दन्तवक्र शिशुपाल संहारे, खग मृग नृग अरु बधिक उधारे।
दीन सुदामा धनपति कीन्हों, पाराि रथ सारथि यश लीन्हों।
गीता ज्ञान सिखावन हारे, अर्जुन मोह मिटावन हारे।
केला भक्त बिदुर घर पायो, युद्ध महाभारत रचवायो।
द्रुपद सुता को चीर बढ़ायो, गर्भ परीक्षित जरत बचायो।
कच्छ मच्छ वाराह अहीशा, बावन कल्की बुद्धि मुनीशा।
ह्वै नृसिंह प्रह्लाद उबार्यो, राम रुप धरि रावण मार्यो।
जय मधु कैटभ दैत्य हनैया, अम्बरीय प्रिय चक्र धरैया।
ब्याध अजामिल दीन्हें तारी, शबरी अरु गणिका सी नारी।
गरुड़ासन गज फन्द निकन्दन, देहु दरश धु्रव नयनानन्दन।
देहु शुद्ध सन्तन कर सग्ड़ा, बाढ़ै प्रेम भक्ति रस रग्ड़ा।
देहु दिव्य वृन्दावन बासा, छूटै मृग तृष्णा जग आशा।
तुम्हरो ध्यान धरत शिव नारद, शुक सनकादिक ब्रह्म विशारद।
जय जय राधारमण कृपाला, हरण सकल संकट भ्रम जाला।
बिनसैं बिघन रोग दुःख भारी, जो सुमरैं जगपति गिरधारी।
जो सत बार पढ़ै चालीसा, देहि सकल बाँछित फल शीशा।
।। छन्द ।।
गोपाल चालीसा पढ़ै नित, नेम सों चित्त लावई।
सो दिव्य तन धरि अन्त महँ, गोलोक धाम सिधावई।।
संसार सुख सम्पत्ति सकल, जो भक्तजन सन महँ चहैं।
ट्टजयरामदेव’ सदैव सो, गुरुदेव दाया सों लहैं।।
।। दोहा ।।
प्रणत पाल अशरण शरण, करुणा—सिन्धु ब्रजेश।
चालीसा के संग मोहि, अपनावहु प्राणेश।।
|| Shri Gopal Chalisa PDF Lyrics ||
॥ Doha ॥
Shri Radhapada Kamala Raja,Shri Yamuna Kula।
Varano Chalisa Sarasa,Sakala Sumangala Mula॥
॥ Chaupai ॥
Jai Jai Purana Brahma Bihari।Dushta Dalana Lila Avatari॥
Jo Koi Tumhari Lila Gave।Bina Shrama Sakala Padaratha Pave॥
Shri Vasudeva Devaki Mata।Prakata Bhaye Sanga Haladhara Bhrata॥
Mathura Son Prabhu Gokula Aye।Nanda Bhavana Mein Bajata Badhaye॥
Jo Visha Dena Putana Ayi।So Mukti Dai Dhama Pathai॥
Trinavarta Rakshasa Samharyau।Paga Badhaya Sakatasura Maryau॥
Khela Khela Mein Mati Khai।Mukha Mein Saba Jaga Diyo Dikhai॥
Gopina Ghara Ghara Makhana Khayo।Jasumati Bala Keli Sukha Payo॥
Ukhala Son Nija Anga Bandhai।Yamalarjuna Jada Yoni Chhudai॥
Baka Asura Ki Choncha Vidari।Vikata Aghasura Diyo Sanhari॥
Brahma Balaka Vatsa Churaye।Mohana Ko Mohana Hita Aye॥
Bala Vatsa Saba Bane Murari।Brahma Vinaya Kari Taba Bhari॥
Kali Naga Nathi Bhagawana।Davanala Ko Kinhon Pana॥
Sakhana Sanga Khelata Sukha Payo।Shridama Nija Kandha Chadhayo॥
Chira Harana Kari Sikha Sikhayi।Nakha Para Giravara Liyo Uthayi॥
Darasha Yajna Patnina Ko Dinhon।Radha Prema Sudha Sukha Linhon॥
Nandahin Varuna Loka So Laye।Gwalana Ko Nija Loka Dikhaye॥
Sharada Chandra Lakhi Venu Bajayi।Ati Sukha Dinhon Rasa Rachayi॥
Ajagara So Pitu Charana Chudayo।Shankhachuda Ko Muda Girayo॥
Hane Arishta Sura Aru Keshi।Vyomasura Maryo Chala Veshi॥
Vyakula Braja Taji Mathura Aye।Mari Kansa Yaduvansha Basaye॥
Mata Pita Ki Bandi Chudayi।Sandipana Griha Vigha Payi॥
Puni Pathayau Braja Udhau Gyani।Prema Dekhi Sudhi Sakala Bhulani॥
Kinhin Kubari Sundara Nari।Hari Laye Rukmini Sukumari॥
Bhaumasura Hani Bhakta Chhudaye।Surana Jiti Surataru Mahi Laye॥
Dantavakra Shishupala Sanhare।Khaga Mriga Nriga Aru Badhika Udhare॥
Dina Sudama Dhanapati Kinhon।Paratha Ratha Sarathi Yasha Linhon॥
Gita Gyana Sikhavana Hare।Arjuna Moha Mitawana Hare॥
Kela Bhakta Bidura Ghara Payo।Yuddha Mahabharata Rachavayo॥
Drupada Suta Ko Chira Badhayo।Garbha Parikshita Jarata Bachayo॥
Kachchha Machchha Varaha Ahisha।Bavana Kalki Buddhi Munisha॥
Hwai Nrisimha Prahlada Ubaryo।Rama Rupa Dhari Ravana Maryo॥
Jai Madhu Kaitabha Daitya Hanaiya।Ambariya Priya Chakra Dharaiya॥
Byadha Ajamila Dinhen Tari।Shabri Aru Ganika Si Nari॥
Garudasana Gaja Phanda Nikandana।Dehu Darasha Dhruva Nayananandana॥
Dehu Shuddha Santana Kara Sanga।Badhai Prema Bhakti Rasa Ranga॥
Dehu Divya Vrindavana Basa।Chhute Mriga Trishna Jaga Asha॥
Tumharo Dhyana Dharata Shiva Narada।Shuka Sanakadika Brahmana Visharada॥
Jai Jai Radharamana Kripala।Harana Sakala Sankata Bhrama Jala॥
Binasain Bighana Roga Duhkha Bhari।Jo Sumare Jagapati Giradhari॥
Jo Sata Bara Padhai Chalisa।Dehi Sakala Banchhita Phala Shisha॥
॥ Chhanda ॥
Gopala Chalisa Padhai Nita,Nema Son Chitta Lavai।
So Divya Tana Dhari Anta Mahana,Goloka Dhama Sidhavai॥
Sansara Sukha Sampatti Sakala,Jo Bhaktajana Sana Mahan Chahain।
Jayaramadeva’ Sadaiva So,Gurudeva Daya Son Lahain॥
॥ Doha ॥
Pranata Pala Asharana Sharana,Karuna-Sindhu Brajesha।
Chalisa Ke Sanga Mohi,Apanavahu Pranesha॥
Shri Gopal Chalisa Lyrics PDF
Shri Gopal Chalisa Benefits
श्री गोपाल चालीसा पढ़ने की विधि
श्री गोपाल चालीसा का पाठ करने के लिए किसी विशेष विधि का पालन करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि आप सही तरीके से इसका पाठ करना चाहते हैं तो कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। नीचे श्री गोपाल चालीसा पढ़ने की विधि दी गई है:
स्वच्छता और पवित्रता: श्री गोपाल चालीसा का पाठ करते समय सबसे पहले स्वच्छता और पवित्रता का ध्यान रखें। स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पाठ करने का स्थान भी साफ और पवित्र होना चाहिए।
पूजा स्थल की तैयारी: जिस स्थान पर आप श्री गोपाल चालीसा का पाठ करेंगे, उसे साफ कर लें। वहाँ एक छोटा सा मंदिर या पूजा स्थल बना सकते हैं। श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर को वहां स्थापित करें।
दीप जलाएं: श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर के सामने एक दीपक जलाएं। यह दीपक घी या तेल का हो सकता है। इसके साथ ही अगरबत्ती या धूपबत्ती भी जला सकते हैं।
पुष्प और माला: श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर को पुष्प और माला अर्पित करें। तुलसी के पत्ते विशेष रूप से श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाते हैं, इसलिए तुलसी के पत्ते भी अर्पित करें।
श्रीकृष्ण का ध्यान: चालीसा पाठ करने से पहले श्रीकृष्ण का ध्यान करें। उनकी बाल लीलाओं, गीता के उपदेश और उनके अद्भुत रूप का ध्यान करते हुए मन को शांति और स्थिरता प्रदान करें।
श्री गोपाल चालीसा का पाठ: अब श्री गोपाल चालीसा का पाठ शुरू करें। शांत और स्पष्ट स्वर में पाठ करें। यदि आप पहली बार पढ़ रहे हैं तो धीरे-धीरे और स्पष्ट उच्चारण के साथ पढ़ें।
आरती और प्रसाद: चालीसा पाठ के बाद श्रीकृष्ण की आरती करें। आरती के बाद भगवान को भोग लगाएं और फिर प्रसाद ग्रहण करें। प्रसाद को परिवार और अन्य भक्तों के साथ बांटें।
श्री गोपाल चालीसा का महत्त्व
श्री गोपाल चालीसा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका पाठ भक्तों को अनेक प्रकार के लाभ प्रदान करता है और उनकी जीवन यात्रा में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार करता है। श्री गोपाल चालीसा का महत्त्व निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है:
भक्ति और समर्पण का प्रतीक: श्री गोपाल चालीसा भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और समर्पण का एक अद्वितीय प्रतीक है। इसके पाठ से भक्त अपने मन को भगवान की लीलाओं और गुणों में लीन कर पाते हैं, जिससे उनकी भक्ति और बढ़ती है।
शांति और मानसिक संतुलन: श्री गोपाल चालीसा का नियमित पाठ करने से मन को शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है। भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य स्वरूप का ध्यान करने से मन की अशांति दूर होती है और ध्यान की गहराई बढ़ती है।
आध्यात्मिक उन्नति: यह चालीसा आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर ले जाती है। इसके पाठ से आत्मा को शुद्धि मिलती है और व्यक्ति का आत्मबल बढ़ता है। श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण करने से आत्मा को शांति और संतुष्टि प्राप्त होती है।
भगवान की कृपा और आशीर्वाद: श्री गोपाल चालीसा का पाठ करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
कठिनाइयों का निवारण: जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए श्री गोपाल चालीसा का पाठ अत्यंत प्रभावी होता है। इसके पाठ से भक्त को भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है, जिससे सभी बाधाएँ और समस्याएँ दूर हो जाती हैं।
संस्कारों का निर्माण: श्री गोपाल चालीसा का नियमित पाठ परिवार में सकारात्मक संस्कारों का निर्माण करता है। बच्चों में धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों का विकास होता है और परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर भक्ति करते हैं।
श्री गोपाल चालीसा के लाभ
श्री गोपाल चालीसा के अनेक लाभ हैं जो भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं। इसके पाठ से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। श्री गोपाल चालीसा के लाभ निम्नलिखित प्रकार से हैं:
शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: श्री गोपाल चालीसा का नियमित पाठ करने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से अनेक प्रकार की बीमारियाँ और शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं।
मानसिक शांति और संतुलन: इस चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है। तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
आध्यात्मिक जागृति: श्री गोपाल चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति में आध्यात्मिक जागृति होती है। भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति बढ़ती है और आत्मा को शुद्धि और संतुष्टि प्राप्त होती है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार: श्री गोपाल चालीसा के पाठ से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके पाठ से वातावरण शुद्ध और पवित्र होता है और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
जीवन में सुख और समृद्धि: श्री गोपाल चालीसा का पाठ करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
कठिनाइयों और बाधाओं का निवारण: जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए श्री गोपाल चालीसा का पाठ अत्यंत प्रभावी होता है। इसके पाठ से भक्त को भगवान की कृपा प्राप्त होती है और सभी समस्याएँ दूर हो जाती हैं।
धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्य: श्री गोपाल चालीसा का नियमित पाठ करने से धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों का विकास होता है। बच्चों और युवाओं में धार्मिक संस्कारों का निर्माण होता है और वे भगवान श्रीकृष्ण की महिमा को समझते हैं।
भक्ति और समर्पण का विकास: श्री गोपाल चालीसा का पाठ करने से भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और समर्पण का विकास होता है। भक्त अपने मन को भगवान की लीलाओं और गुणों में लीन कर पाते हैं, जिससे उनकी भक्ति और बढ़ती है।
इस प्रकार, श्री गोपाल चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। यह चालीसा भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करती है और भक्तों को उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होती है। श्री गोपाल चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है और व्यक्ति का आध्यात्मिक उत्थान होता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न!
पुत्र प्राप्ति के लिए गोपाल चालीसा क्या है?
पुत्र प्राप्ति के लिए गोपाल चालीसा एक विशेष पूजा विधान है जिसमें गोपाल चालीसा का पाठ किया जाता है। यह चालीसा भगवान कृष्ण के बाल रूप गोपाल को समर्पित है, और इसे पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूरी करने के लिए पढ़ा जाता है।
गोपाल चालीसा PDF कैसे प्राप्त करें?
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गोपाल चालीसा के क्या लाभ हैं?
गोपाल चालीसा के लाभ में विशेष रूप से संतान सुख, मनोवांछित संतान की प्राप्ति, और जीवन में सुख-समृद्धि शामिल हैं। इसके नियमित पाठ से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त होती है।
गोपाल चालीसा का पाठ किस समय करना चाहिए?
गोपाल चालीसा का पाठ सुबह के समय या विशेष धार्मिक अवसरों पर किया जाता है। रविवार को इस चालीसा का पाठ विशेष महत्व रखता है।
श्री संतान गोपाल चालीसा क्या है?
श्री संतान गोपाल चालीसा एक विशेष प्रकार की गोपाल चालीसा है जिसे संतान सुख की प्राप्ति के लिए पूजा और पाठ में उपयोग किया जाता है। इसमें भगवान कृष्ण के संतान देने की क्षमता का वर्णन होता है।