Thursday, November 21, 2024
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श्री गायत्री चालीसा – Shri Gayatri Chalisa PDF 2024-25

श्री गायत्री चालीसा (Shri Gayatri Chalisa Pdf) के पाठ से साधक को अनेक श्रेष्ठ गुण और लाभ प्राप्त होते हैं। यह चालीसा गायत्री माता की महिमा को गाती है और उनके शक्तिशाली स्वरूप का वर्णन करती है। गायत्री माता को ‘वेद माता’ भी कहा जाता है क्योंकि उनकी ध्यान-भक्ति से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में समृद्धि आती है।

इस चालीसा के नियमित पाठ से साधक का मन शांत होता है, मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है और वे आध्यात्मिक उन्नति को प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, ज्ञान, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है जो व्यक्ति को अच्छे कार्यों में सफलता प्रदान करती हैं। गायत्री चालीसा का नियमित जप और स्मरण करने से साधक को सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।



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|| श्री गायत्री चालीसा PDF ||

॥ दोहा ॥
हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड ।
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ॥
जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ॥

॥ चालीसा ॥
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी ।
गायत्री नित कलिमल दहनी ॥१॥

अक्षर चौबिस परम पुनीता ।
इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता ॥

शाश्वत सतोगुणी सतरुपा ।
सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥

हंसारुढ़ सितम्बर धारी ।
स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी ॥४॥

पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥

ध्यान धरत पुलकित हिय होई ।
सुख उपजत, दुःख दुरमति खोई ॥

कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।
निराकार की अदभुत माया ॥

तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।
तरै सकल संकट सों सोई ॥८॥

सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥

तुम्हरी महिमा पारन पावें ।
जो शारद शत मुख गुण गावें ॥

चार वेद की मातु पुनीता ।
तुम ब्रहमाणी गौरी सीता ॥

महामंत्र जितने जग माहीं ।
कोऊ गायत्री सम नाहीं ॥१२॥

सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।
आलस पाप अविघा नासै ॥

सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।
काल रात्रि वरदा कल्यानी ॥

ब्रहमा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ॥

तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥१६॥

महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
जै जै जै त्रिपदा भय हारी ॥

पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।
तुम सम अधिक न जग में आना ॥

तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेषा ॥

जानत तुमहिं, तुमहिं है जाई ।
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥२०॥

तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।
माता तुम सब ठौर समाई ॥

ग्रह नक्षत्र ब्रहमाण्ड घनेरे ।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥

सकलसृष्टि की प्राण विधाता ।
पालक पोषक नाशक त्राता ॥

मातेश्वरी दया व्रत धारी ।
तुम सन तरे पतकी भारी ॥२४॥

जापर कृपा तुम्हारी होई ।
तापर कृपा करें सब कोई ॥

मंद बुद्घि ते बुधि बल पावें ।
रोगी रोग रहित है जावें ॥

दारिद मिटै कटै सब पीरा ।
नाशै दुःख हरै भव भीरा ॥

गृह कलेश चित चिंता भारी ।
नासै गायत्री भय हारी ॥२८ ॥

संतिति हीन सुसंतति पावें ।
सुख संपत्ति युत मोद मनावें ॥

भूत पिशाच सबै भय खावें ।
यम के दूत निकट नहिं आवें ॥

जो सधवा सुमिरें चित लाई ।
अछत सुहाग सदा सुखदाई ॥

घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥३२॥

जयति जयति जगदम्ब भवानी ।
तुम सम और दयालु न दानी ॥

जो सदगुरु सों दीक्षा पावें ।
सो साधन को सफल बनावें ॥

सुमिरन करें सुरुचि बड़भागी ।
लहैं मनोरथ गृही विरागी ॥

अष्ट सिद्घि नवनिधि की दाता ।
सब समर्थ गायत्री माता ॥३६॥

ऋषि, मुनि, यती, तपस्वी, जोगी ।
आरत, अर्थी, चिंतित, भोगी ॥

जो जो शरण तुम्हारी आवें ।
सो सो मन वांछित फल पावें ॥

बल, बुद्घि, विघा, शील स्वभाऊ ।
धन वैभव यश तेज उछाऊ ॥

सकल बढ़ें उपजे सुख नाना ।
जो यह पाठ करै धरि ध्याना ॥४०॥

॥ दोहा ॥
यह चालीसा भक्तियुत, पाठ करे जो कोय ।
तापर कृपा प्रसन्नता, गायत्री की होय ॥

|| Shri Gayatri Chalisa PDF Lyrics ||

॥ Doha
heen shreen, kleen, medha, prabha, jeevan jyoti prachand |
shaanti, kraanti, jaagrti, pragati, rachana shakti akhand ॥
jagat janani, mangal karani, gaayatree sukhadhaam|
pranavon saagar, svadha, svaaha poorn kaam 

 Chalisa 
bhoorbhuvah svah om yut jananee |
gaayatree nit kalimal dahanee ॥1॥

akkara chaubiz param puneena |
vibhinn prakaar ke shaastr, shruti, geeta ॥

shaashvat satogunee sataroopa |
saty sanaatan sudhaasa ॥

hansaaroodh sint daaree |
svarnakaanti shuchi gagan bihaaree ॥4॥

pustak pushp kamandalu mangal |
shubhr varn tanu nayan vishaala ॥

dhyaan dharat pulakit hiy hoi |
sukh upajaat, duhkh duramati khoi ॥

kaamadhenu tum sur taru chhaaya |
niraakaar kee adbhut maaya ॥

tumhaaree sharan gahai jo koee |
tarai sakal sankat son soi ॥8॥

sarasvatee lakshmee tum kaalee |
dipai taara jyoti niraalee ॥

tumhaaree mahima paaran paaven |
jo sharad shat mukh gun gaaven ॥

chaar ved kee maatu puna |
tum brahmaanee gauree seeta ॥

mahaamantr mantr jag maaheen |
kauu gaayatree sam nahin ॥12॥

sumirat hiy mein gyaan prakaashaay |
alas paap vigha naasaee ॥

srshti beej jag janani bhavaanee |
kaal raatri varada kalyaanee ॥

brahma vishnu rudr sur jete |
sa tumon paaven surata tete ॥

tum bhaktan kee bhaktaphe |
jananihin putr praan te priye ॥16॥

mahima aparampaar vivaah |
jay jay jay tripada bhay haaree ॥

poornat sakal gyaan vigyaan |
tum sam mor na jag mein aana ॥

tumahin jaani kachhu rahai na shesha |
tumahin paay kachhu rahai na klesha ॥

jaanat tuhin, tuhin hai jaee |
paras parasee kudhaatu suhaee ॥20॥

tumhaaree shakti dipai sab thaee |
maata tum sab thaur samaee ॥

grah nakshatr brahmaand ghanere |
sab gativaanaphe prere ॥

sakalasrshti kee praan vidhaata |
paalak poshak poshak tatv॥

maateshvaree daya vrat dhaaree |
tum tere patakee bhaaree san ॥24॥

jaapar krpa vivaah hoee |
krpaya sabhee ko bataen ॥

mandabuddhi te buddhi bal paaven |
rogee rog anupayogee hai jaaven ॥

darid mitai katai sab peera |
naashay duhkh harai bhav bheera ॥

grh klesh chit chinta bhaaree |
naasaee gaayatree bhay haaree ॥28 ॥

santati hin susantati paaven |
sukh sampatti yut mod manaaven ॥

bhoot pishaach sabai bhay khaaven |
yam ke doot nikat nahin aaven ॥

jo saadhava sumiren chit lai |
achhat suhaag sada sukhadaee ॥

ghar var sukh prad lahen kumaaree |
vidhava saty vrat dhaaree ॥32॥

jayati jayati jagadamb bhavaanee |
tum sam aur priy na daanee ॥

jo sadguru son digdarshan paaven |
so saadhan ko saphal banaaven ॥

sumiran karen suruchi badabhaagee |
lahain manorath grhi viraagee ॥

asht siddhi navanidhi ke daata |
sab samarth gaayatree maata ॥36॥

rshi, muni, yati, tapasvee, jogee |
aarat, arthee, chinta, bhogee ॥

jo jo sharan aaven |
so so man saty phal paaven ॥

bal, buddhi, vigha, sheel svabhau |
dhan vaibhav yash tej uchau ॥

sakal vrddhi upaje sukh naana |
jo yah paath karai dhari dhyaan ॥40॥

॥ Doha॥
yah chaaleesa bhaktiyut, paath kare jo koy |
taapar praarthana prashansa, gaayatree kee hoy 


श्री गायत्री चालीसा के लाभ

श्री गायत्री चालीसा एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है जो देवी गायत्री की स्तुति और पूजा के लिए लिखा गया है। यह चालीसा 40 श्लोकों में बंटी हुई है और इसका पाठ भक्तों के जीवन में कई लाभ और सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।

नीचे “श्री गायत्री चालीसा” के लाभ विस्तार से समझाए गए हैं:

आध्यात्मिक उन्नति

गायत्री चालीसा का पाठ करने से भक्त की आध्यात्मिक उन्नति होती है। देवी गायत्री के मंत्रों का जाप करने से मनुष्य के मन में शांति, संतुलन और ज्ञान का प्रवाह होता है। यह चालीसा सच्चे भक्ति और श्रद्धा से की जाने वाली पूजा का हिस्सा है, जो भक्त को आत्मिक शांति और शुद्धता की ओर ले जाती है।

सकारात्मक ऊर्जा का संचार

गायत्री चालीसा के पाठ से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जब भक्त नियमित रूप से इस चालीसा का पाठ करते हैं, तो उनके जीवन में सकारात्मकता का प्रवाह होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इससे व्यक्ति के चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनता है।

जीवन में सुख-समृद्धि

गायत्री चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। देवी गायत्री की कृपा से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। यह चालीसा वि**धि और समृद्धि की दिशा में मार्गदर्शन करती है।

स्वास्थ्य और आरोग्य

गायत्री चालीसा का पाठ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। इसके नियमित पाठ से तनाव कम होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। यह चालीसा बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पाने में भी सहायक हो सकती है।

शिक्षा और बुद्धि में वृद्धि

गायत्री चालीसा का नियमित पाठ विद्यार्थियों के लिए भी फायदेमंद है। यह बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि करता है, जिससे पढ़ाई और परीक्षा में सफलता मिलती है। देवी गायत्री की कृपा से विद्यार्थियों को शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त होती है और उनकी सोच और समझ में सुधार होता है।

मन की शांति और संतुलन

गायत्री चालीसा का पाठ मन को शांति और संतुलन प्रदान करता है। यह मानसिक तनाव और चिंता को दूर करने में मदद करता है। जब व्यक्ति निरंतर इस चालीसा का पाठ करता है, तो उसका मन शांत रहता है और वह जीवन के विभिन्न समस्याओं का सामना अधिक धैर्य और साहस के साथ करता है।

समय की प्रबंधन में सहायक

गायत्री चालीसा का पाठ करने से समय की प्रबंधन में भी सहायता मिलती है। यह चालीसा जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन और समय की अहमियत को समझने में मदद करती है, जिससे व्यक्ति अपने कार्यों को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर पाता है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण और दृष्टि

गायत्री चालीसा पढ़ने से आध्यात्मिक दृष्टिकोण में सुधार होता है। व्यक्ति अपने जीवन को एक उच्च दृष्टिकोण से देखने लगता है और उसे जीवन के उद्देश्य और उसकी महानता का अनुभव होता है। यह चालीसा जीवन की सच्चाई और धर्म के मार्ग को समझने में मदद करती है।

समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा

गायत्री चालीसा के पाठ से व्यक्ति को समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। जब व्यक्ति नियमित रूप से इस चालीसा का पाठ करता है, तो उसके व्यक्तित्व में बदलाव आता है और उसे समाज में एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में देखा जाता है।

संकटों और समस्याओं का समाधान

गायत्री चालीसा संकटों और समस्याओं के समाधान में भी सहायक है। यह चालीसा देवी गायत्री की कृपा से जीवन में आने वाली समस्याओं और कठिनाइयों को दूर करने में मदद करती है। भक्तों को जीवन के हर क्षेत्र में सुख और सफलता प्राप्त होती है।

प्रेरणा और उत्साह

गायत्री चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति को प्रेरित करता है और उत्साह से भर देता है। यह चालीसा जीवन की चुनौतियों का सामना करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है। इससे व्यक्ति की ऊर्जा और सकारात्मक सोच में वृद्धि होती है।

आध्यात्मिक अनुभव और साक्षात्कार

गायत्री चालीसा का पाठ व्यक्ति को आध्यात्मिक अनुभव और साक्षात्कार प्राप्त करने में भी सहायक होता है। यह चालीसा भक्त को ध्यान और साधना के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करती है और ईश्वर के साक्षात्कार की ओर ले जाती है।

धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्य

गायत्री चालीसा धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी प्रोत्साहित करती है। यह चालीसा भारतीय संस्कृति और परंपरा के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में जानी जाती है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने में सहायक होती है।

भक्ति और श्रद्धा की वृद्धि

गायत्री चालीसा का पाठ भक्ति और श्रद्धा को बढ़ाता है। यह चालीसा भक्तों को देवी गायत्री के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करने के लिए प्रेरित करती है, जो उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है।

सकारात्मक सोच और मानसिक स्थिति

गायत्री चालीसा के पाठ से सकारात्मक सोच और मानसिक स्थिति में सुधार होता है। यह चालीसा व्यक्ति के मन को सकारात्मक विचारों से भर देती है और मानसिक स्थिति को स्थिर बनाती है, जिससे जीवन की समस्याओं का सामना करना आसान हो जाता है।

इस प्रकार, “श्री गायत्री चालीसा” के लाभ व्यापक और विविध हैं। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में अनेक सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और देवी गायत्री की कृपा प्राप्त होती है। यह चालीसा जीवन की हर समस्या और चुनौती का समाधान प्रदान करने में सक्षम है।

Hemlata
Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
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