Thursday, September 19, 2024
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श्री आदिनाथ चालीसा (Shri Adinath Chalisa PDF)

श्री आदिनाथ चालीसा (Shri Adinath Chalisa Pdf) जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को समर्पित एक स्तुति है। इसका पाठ भगवान आदिनाथ की महिमा का बखान करता है और उनके दिव्य गुणों का स्मरण कराता है। इस चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, आंतरिक शक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। इसके माध्यम से भक्त अपने जीवन में शुद्धि, सत्य, और अहिंसा का पालन करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। श्री आदिनाथ चालीसा का पाठ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में नैतिकता और सदाचार की स्थापना के लिए भी मार्गदर्शक है।

भगवान आदिनाथ की चालीसा से यह भी सिखने को मिलता है कि धैर्य और संयम से जीवन के सभी संकटों का समाधान संभव है। यह चालीसा भक्तों को प्रेरित करती है कि वे अपने कर्मों को शुद्ध और निश्छल बनाए रखें, और सत्य के मार्ग पर अडिग रहें। इसके नियमित पाठ से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।

श्री आदिनाथ चालीसा की पंक्तियाँ अत्यंत मधुर और हृदयस्पर्शी हैं, जो भगवान आदिनाथ की महिमा का सजीव चित्रण करती हैं। इसके माध्यम से भक्त भगवान के चरणों में समर्पित होकर आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति करते हैं। इस चालीसा का पाठ जीवन के सभी कष्टों और दुखों को हर लेता है, और भक्तों को धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति की ओर अग्रसर करता है।

इस प्रकार, श्री आदिनाथ चालीसा न केवल भगवान आदिनाथ की स्तुति है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शक और प्रेरणादायक है, जिससे भक्तों का जीवन सुखमय और सफल बनता है।


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|| श्री आदिनाथ चालीसा ||

॥ दोहा॥
शीश नवा अरिहंत को,
सिद्धन को, करूं प्रणाम ।
उपाध्याय आचार्य का,
ले सुखकारी नाम ॥

सर्व साधु और सरस्वती,
जिन मन्दिर सुखकार ।
आदिनाथ भगवान को,
मन मन्दिर में धार ॥

॥ चौपाई ॥
जै जै आदिनाथ जिन स्वामी ।
तीनकाल तिहूं जग में नामी ॥

वेष दिगम्बर धार रहे हो ।
कर्मो को तुम मार रहे हो ॥

हो सर्वज्ञ बात सब जानो ।
सारी दुनियां को पहचानो ॥

नगर अयोध्या जो कहलाये ।
राजा नाभिराज बतलाये ॥4॥

मरुदेवी माता के उदर से ।
चैत वदी नवमी को जन्मे ॥

तुमने जग को ज्ञान सिखाया ।
कर्मभूमी का बीज उपाया ॥

कल्पवृक्ष जब लगे बिछरने ।
जनता आई दुखड़ा कहने ॥

सब का संशय तभी भगाया ।
सूर्य चन्द्र का ज्ञान कराया ॥8॥

खेती करना भी सिखलाया ।
न्याय दण्ड आदिक समझाया ॥

तुमने राज किया नीति का ।
सबक आपसे जग ने सीखा ॥

पुत्र आपका भरत बताया ।
चक्रवर्ती जग में कहलाया ॥

बाहुबली जो पुत्र तुम्हारे ।
भरत से पहले मोक्ष सिधारे ॥12॥

सुता आपकी दो बतलाई ।
ब्राह्मी और सुन्दरी कहलाई ॥

उनको भी विध्या सिखलाई ।
अक्षर और गिनती बतलाई ॥

एक दिन राजसभा के अंदर ।
एक अप्सरा नाच रही थी ॥

आयु उसकी बहुत अल्प थी ।
इसलिए आगे नहीं नाच रही थी ॥16॥

विलय हो गया उसका सत्वर ।
झट आया वैराग्य उमड़कर ॥

बेटो को झट पास बुलाया ।
राज पाट सब में बंटवाया ॥

छोड़ सभी झंझट संसारी ।
वन जाने की करी तैयारी ॥

राव हजारों साथ सिधाए ।
राजपाट तज वन को धाये ॥20॥

लेकिन जब तुमने तप किना ।
सबने अपना रस्ता लीना ॥

वेष दिगम्बर तजकर सबने ।
छाल आदि के कपड़े पहने ॥

भूख प्यास से जब घबराये ।
फल आदिक खा भूख मिटाये ॥

तीन सौ त्रेसठ धर्म फैलाये ।
जो अब दुनियां में दिखलाये ॥24॥

छै: महीने तक ध्यान लगाये ।
फिर भजन करने को धाये ॥

भोजन विधि जाने नहि कोय ।
कैसे प्रभु का भोजन होय ॥

इसी तरह बस चलते चलते ।
छः महीने भोजन बिन बीते ॥

नगर हस्तिनापुर में आये ।
राजा सोम श्रेयांस बताए ॥28॥

याद तभी पिछला भव आया ।
तुमको फौरन ही पड़धाया ॥

रस गन्ने का तुमने पाया ।
दुनिया को उपदेश सुनाया ॥

पाठ करे चालीसा दिन ।
नित चालीसा ही बार ॥

चांदखेड़ी में आय के ।
खेवे धूप अपार ॥32॥

जन्म दरिद्री होय जो ।
होय कुबेर समान ॥

नाम वंश जग में चले ।
जिनके नहीं संतान ॥

तप कर केवल ज्ञान पाया ।
मोक्ष गए सब जग हर्षाया ॥

अतिशय युक्त तुम्हारा मन्दिर ।
चांदखेड़ी भंवरे के अंदर ॥36॥

उसका यह अतिशय बतलाया ।
कष्ट क्लेश का होय सफाया ॥

मानतुंग पर दया दिखाई ।
जंजीरे सब काट गिराई ॥

राजसभा में मान बढ़ाया ।
जैन धर्म जग में फैलाया ॥

मुझ पर भी महिमा दिखलाओ ।
कष्ट भक्त का दूर भगाओ ॥40॥

॥ सोरठा ॥
पाठ करे चालीसा दिन,
नित चालीसा ही बार ।
चांदखेड़ी में आय के,
खेवे धूप अपार ॥

जन्म दरिद्री होय जो,
होय कुबेर समान ।
नाम वंश जग में चले,
जिनके नहीं संतान ॥

|| Shri Adinath Chalisa PDF ||

॥ Doha॥
sheesh nava arihant ko,
siddhan ko, naamaankan pramaan patr॥
aachaary ka aachaary,
le sukhakaaree naam ॥

sarv saadhu evan sarasvatee,
jin mandir sukhakaar॥
aadinaath bhagavaan ko,
man mandir mein dhaar ॥

॥ chaupaee ॥
jay jay aadinaath jin svaamee॥
teenakaal tihoon jag mein naamee॥

vesh digambar dhaar rahe ho॥
karmo ko tum maar rahe ho ॥

ho sarvagy baat sab jaano॥
saaree duniyaan ko pahachaano॥

nagar ayodhya jo kahalaaye॥
raaja naabhiraaj batalaaye ॥4॥

merudevee maata ke uddhaar se॥
chait vadee navamee ko chhath ॥

tumhen jag ko gyaan sikhaaya॥
karmabhoomi ka beej upaay ॥

kalpavrksh jab laage bichhadane॥
janata aaee dukhada darshan ॥

sabaka sanshay tabhee khatm॥
soory chandr ka gyaan sootr ॥8॥

khetee karana bhee sikhaaya॥
nyaay dand aadik samaaj ॥

tumane raaj kiya neeti ka॥
sabak tumase jag ne paath ॥

putr aapaka bhaarat bataaya॥
sahakarmee jag mein kahalaaya ॥

babeeta jo putafe॥
bhaarat se pahale moksh siddhare ॥12॥

suta aapakee do baaten॥
braahmee aur sundaree kahalaee॥

yahaan bhee vidya sikhaee jae॥
akshar aur ginatee batalaee ॥

ek din raajasabha ke andar॥
ek apsara naach rahee thee ॥

aayu usakee bahut alpaavadhi thee॥
aage isalie naach rahee thee ॥16॥

ekeekaran usaka satvar ho gaya॥
jhat aaya vairaagy brahmaandakar॥

beto ko jaldee paas bulaaya gaya॥
raaj paat sab mein bantavaaya ॥

sabhee jhanjhat sansaaree chhodo॥
van jaane kee karee taiyaaree॥

raav hajaaro saath sidhae॥
raajapaat taj van ko dhaaye ॥20॥

lekin jab tum tapana॥
sabane apana raasta lena ॥

vesh digambar tajakar sabane॥
chhaatr aadi ke kapade pahane ॥

bhookh pyaas se jab ghabaraaye॥
phal aadi khaaye bhookhaaye ॥

tri sau trisath dharm vikhanditaye॥
jo ab duniyaan mein dikhalaaye ॥24॥

chh: maas tak dhyaan sthaan॥
phir bhajan karane ko dhaaye ॥

bhojan vidhi jaane nahin koy॥
prabhu ka bhojan kaise hoy ॥

isee tarah bas chalaana॥
chhah maas bhojan bin darshan ॥

nagar hastinaapur mein aaye॥
raaja som shreyaans raajavansh ॥28॥

yaad aa gaya pichhalee baar ka bhaav॥
tumako toornaament hee padhaaya ॥

ras babool ka maalik paaya॥
duniya ko upadesh siddhaant ॥

paath chaaleesa kare din॥
nit chaaleesa hee baar ॥

chaandakhedee mein aay ke॥
kheve dhoop apaar ॥32॥

janm daaridri hoy jo॥
hoy kuber samaan॥

naam raajavansh jag mein chale॥
jo nahin sant ॥

taip kar keval gyaan paaya॥
moksh gaya sab jag harshaaya॥

atishay yukt divy mandir॥
chaandakhedee bhanvare ke bheetar ॥36॥

ye hai atishay batalaaya॥
kasht klesh ka hoy safaaya॥

maanatung par daya dikhaee dee॥
janjeere sab kaat giraee॥

raajasabha mein man varg॥
jain dharm jag mein phailaaya ॥

mujhe bhee mahima dikhalao॥
atibhakt ka door bhagao ॥40॥

॥ soratha ॥
paath chaaleesa kare din,
nit chaaleesa hee baar॥
chaandakhedee mein aay ke,
kheve dhoop apaar॥

janm daaridree hoy jo,
hoy kuber samaan॥
naam raajavansh jag mein chale,
jo nahin sant 


श्री आदिनाथ चालीसा के लाभ

आत्मिक शांति: श्री आदिनाथ चालीसा का पाठ करने से मनुष्य के मन में गहरी आत्मिक शांति की अनुभूति होती है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने दैनिक जीवन की चिंताओं और तनावों से मुक्त हो सकता है। भगवान आदिनाथ के प्रति समर्पण और श्रद्धा से मनुष्य की आत्मा को शांति और संतोष मिलता है।

आध्यात्मिक प्रगति: यह चालीसा व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करती है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और वह अपने जीवन के उच्चतम उद्देश्य को प्राप्त करने में सक्षम होता है। यह जीवन की गूढ़ रहस्यों को समझने और आत्मज्ञान प्राप्त करने में सहायक होती है।

मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि: श्री आदिनाथ चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। इसके शब्द और भाव व्यक्ति के अंदर ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार करते हैं, जिससे वह अपने कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकता है। यह नकारात्मक सोच को दूर कर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने में मदद करती है।

मानसिक तनाव से मुक्ति: आधुनिक जीवन की भागदौड़ और समस्याओं के कारण मानसिक तनाव आम हो गया है। श्री आदिनाथ चालीसा का पाठ करने से मनुष्य के मन को शांति और सुकून मिलता है। इसके नियमित पाठ से तनाव कम होता है और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है। यह ध्यान और योग के समान मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है।

शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: चालीसा के नियमित पाठ से न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। इसके शब्दों की ध्वनि और भावनात्मक प्रभाव से शरीर की ऊर्जा संतुलित होती है और विभिन्न रोगों से बचाव होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वह स्वस्थ जीवन जी सकता है।

कष्टों और बाधाओं का निवारण: श्री आदिनाथ चालीसा के पाठ से जीवन में आने वाली विभिन्न कष्टों और बाधाओं का निवारण होता है। भगवान आदिनाथ की कृपा से व्यक्ति के समस्त दुखों और समस्याओं का समाधान होता है। यह चालीसा भक्त को हर संकट से उबारने और उसके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होती है।

परिवारिक सुख और समृद्धि: चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। इसके प्रभाव से घर में सुख-शांति का माहौल बनता है और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सद्भाव बढ़ता है। यह परिवारिक समस्याओं का समाधान करने और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने में सहायक होती है।

आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति: श्री आदिनाथ चालीसा के माध्यम से व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इसके पाठ से व्यक्ति अपने आत्मा के सत्य स्वरूप को पहचानने में सक्षम होता है। यह जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने और आत्मज्ञान प्राप्त करने में मदद करती है।

भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि: श्री आदिनाथ चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की भगवान के प्रति भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है। इसके माध्यम से व्यक्ति भगवान आदिनाथ के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण को प्रकट करता है। यह भक्त के हृदय में भक्ति की भावना को प्रबल बनाती है और उसे आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाती है।

सकारात्मक ऊर्जा का संचार: चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके शब्द और भावनाएं व्यक्ति के मन और आत्मा को प्रेरित करती हैं और उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती हैं। यह नकारात्मकता को दूर कर व्यक्ति के जीवन में उत्साह, आनंद और उत्साह का संचार करती है।

आध्यात्मिक साधना में सहायता: श्री आदिनाथ चालीसा आध्यात्मिक साधना के मार्ग पर चलने वाले साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके नियमित पाठ से साधक की साधना में गहराई और स्थिरता आती है। यह साधना में आने वाली विभिन्न कठिनाइयों को दूर कर साधक को भगवान की कृपा प्राप्त करने में सहायता करती है।

ईश्वर के प्रति अटल विश्वास: चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के मन में ईश्वर के प्रति अटल विश्वास और निष्ठा का निर्माण होता है। इसके माध्यम से व्यक्ति भगवान आदिनाथ की महिमा और कृपा का अनुभव करता है और उसके जीवन में भगवान के प्रति अटूट विश्वास उत्पन्न होता है।

ध्यान और मनन में सहायक: श्री आदिनाथ चालीसा का पाठ ध्यान और मनन के समय अत्यंत लाभकारी होता है। इसके शब्द और भाव व्यक्ति के मन को एकाग्रचित और स्थिर बनाते हैं, जिससे ध्यान और मनन में सफलता प्राप्त होती है। यह ध्यान के माध्यम से आत्मज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने में सहायक होती है।

समाज में शांति और सद्भावना: चालीसा का पाठ न केवल व्यक्तिगत बल्कि समाजिक स्तर पर भी शांति और सद्भावना का संदेश देता है। इसके प्रभाव से समाज में आपसी प्रेम, भाईचारा और सद्भावना का वातावरण बनता है। यह समाज में एकता और सौहार्द्र को बढ़ावा देने में सहायक होती है।

जीवन में सुख और संतोष: श्री आदिनाथ चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में सुख और संतोष की प्राप्ति होती है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन के हर क्षण में सुख, शांति और संतोष का अनुभव करता है। यह जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं से ऊपर उठकर सुखमय और संतोषपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देती है।

आध्यात्मिक संरक्षण: श्री आदिनाथ चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को भगवान आदिनाथ का आध्यात्मिक संरक्षण प्राप्त होता है। इसके माध्यम से व्यक्ति भगवान की कृपा और आशीर्वाद का अनुभव करता है और उसके जीवन में हर कठिनाई और संकट से रक्षा होती है।

जीवन में दिशा और उद्देश्य: चालीसा का पाठ व्यक्ति के जीवन को दिशा और उद्देश्य प्रदान करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य को पहचानता है और अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए प्रेरित होता है। यह जीवन के मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत बनती है।

आत्मसाक्षात्कार: श्री आदिनाथ चालीसा के माध्यम से व्यक्ति आत्मसाक्षात्कार की ओर अग्रसर होता है। इसके पाठ से व्यक्ति अपने आत्मा के सत्य स्वरूप को पहचानने में सक्षम होता है और आत्मज्ञान की प्राप्ति करता है। यह आत्मा के शुद्ध स्वरूप को जानने और समझने में सहायता करती है।

कर्मों का शुद्धिकरण: चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के बुरे कर्मों का शुद्धिकरण होता है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने पिछले कर्मों के परिणामस्वरूप प्राप्त होने वाली कष्टों और दुखों से मुक्ति प्राप्त करता है। यह अच्छे कर्मों की ओर प्रेरित करती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है।

ईश्वर के समीपता: श्री आदिनाथ चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति भगवान आदिनाथ के समीप अनुभव करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति भगवान के प्रति अपने प्रेम और भक्ति को प्रकट करता है और उनके समीपता का अनुभव करता है। यह ईश्वर के साथ आत्मीय संबंध स्थापित करने में सहायक होती है।

Hemlata
Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
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