Thursday, September 19, 2024
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शीतला माता चालीसा (Sheetla Mata Chalisa PDF)

शीतला चालीसा (Sheetla mata Chalisa Pdf) हिन्दू धर्म में माता शीतला की स्तुति और पूजा के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ है। माता शीतला को रोग निवारक और स्वास्थ्य की देवी माना जाता है। विशेष रूप से चेचक और अन्य संक्रामक रोगों से बचाव के लिए माता शीतला की पूजा की जाती है।

माता शीतला का स्वरूप अत्यंत शांत और ममतामयी है। वे अपने हाथ में झाडू, कलश, नीम की पत्तियाँ और दवाइयाँ लिए हुए दिखाई देती हैं। माता शीतला की पूजा से रोग-शोक का नाश होता है और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

शीतला चालीसा 40 छंदों का एक संग्रह है, जिसमें माता शीतला की महिमा, उनके कार्यों और उनके आशीर्वाद का विस्तार से वर्णन किया गया है। इस चालीसा का पाठ भक्तों को स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि प्रदान करता है। माता शीतला की कृपा से सभी प्रकार के रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

शीतला चालीसा का नियमित पाठ करने से माता शीतला की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह चालीसा विशेष रूप से शीतला अष्टमी के दिन और अन्य पूजा अवसरों पर गायी जाती है। माता शीतला की भक्ति से भक्तों को मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है और वे जीवन में सफलता की ओर अग्रसर होते हैं।


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|| शीतला माता चालीसा ||

घट-घट वासी शीतला,
शीतल प्रभा तुम्हार ।
शीतल छइयां में झुलई,
मइयां पलना डार ॥

॥ चौपाई ॥
जय-जय-जय श्री शीतला भवानी ।
जय जग जननि सकल गुणधानी ॥

गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित ।
पूरण शरदचंद्र समसाजित ॥

विस्फोटक से जलत शरीरा ।
शीतल करत हरत सब पीड़ा ॥

मात शीतला तव शुभनामा ।
सबके गाढे आवहिं कामा ॥4॥

शोक हरी शंकरी भवानी ।
बाल-प्राणक्षरी सुख दानी ॥

शुचि मार्जनी कलश करराजै ।
मस्तक तेज सूर्य सम साजै ॥

चौसठ योगिन संग में गावैं ।
वीणा ताल मृदंग बजावै ॥

नृत्य नाथ भैरौं दिखलावैं ।
सहज शेष शिव पार ना पावैं ॥8॥

धन्य धन्य धात्री महारानी ।
सुरनर मुनि तब सुयश बखानी ॥

ज्वाला रूप महा बलकारी ।
दैत्य एक विस्फोटक भारी ॥

घर घर प्रविशत कोई न रक्षत ।
रोग रूप धरी बालक भक्षत ॥

हाहाकार मच्यो जगभारी ।
सक्यो न जब संकट टारी ॥12॥

तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा ।
कर में लिये मार्जनी सूपा ॥

विस्फोटकहिं पकड़ि कर लीन्हो ।
मूसल प्रमाण बहुविधि कीन्हो ॥

बहुत प्रकार वह विनती कीन्हा ।
मैय्या नहीं भल मैं कछु कीन्हा ॥

अबनहिं मातु काहुगृह जइहौं ।
जहँ अपवित्र वही घर रहि हो ॥16॥

अब भगतन शीतल भय जइहौं ।
विस्फोटक भय घोर नसइहौं ॥

श्री शीतलहिं भजे कल्याना ।
वचन सत्य भाषे भगवाना ॥

पूजन पाठ मातु जब करी है ।
भय आनंद सकल दुःख हरी है ॥

विस्फोटक भय जिहि गृह भाई ।
भजै देवि कहँ यही उपाई ॥20॥

कलश शीतलाका सजवावै ।
द्विज से विधीवत पाठ करावै ॥

तुम्हीं शीतला, जगकी माता ।
तुम्हीं पिता जग की सुखदाता ॥

तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी ।
नमो नमामी शीतले देवी ॥

नमो सुखकरनी दु:खहरणी ।
नमो- नमो जगतारणि धरणी ॥24॥

नमो नमो त्रलोक्य वंदिनी ।
दुखदारिद्रक निकंदिनी ॥

श्री शीतला , शेढ़ला, महला ।
रुणलीहृणनी मातृ मंदला ॥

हो तुम दिगम्बर तनुधारी ।
शोभित पंचनाम असवारी ॥

रासभ, खर , बैसाख सुनंदन ।
गर्दभ दुर्वाकंद निकंदन ॥28॥

सुमिरत संग शीतला माई,
जाही सकल सुख दूर पराई ॥

गलका, गलगन्डादि जुहोई ।
ताकर मंत्र न औषधि कोई ॥

एक मातु जी का आराधन ।
और नहिं कोई है साधन ॥

निश्चय मातु शरण जो आवै ।
निर्भय मन इच्छित फल पावै ॥32॥

कोढी, निर्मल काया धारै ।
अंधा, दृग निज दृष्टि निहारै ॥

बंध्या नारी पुत्र को पावै ।
जन्म दरिद्र धनी होइ जावै ॥

मातु शीतला के गुण गावत ।
लखा मूक को छंद बनावत ॥

यामे कोई करै जनि शंका ।
जग मे मैया का ही डंका ॥36॥

भगत ‘कमल’ प्रभुदासा ।
तट प्रयाग से पूरब पासा ॥

ग्राम तिवारी पूर मम बासा ।
ककरा गंगा तट दुर्वासा ॥

अब विलंब मैं तोहि पुकारत ।
मातृ कृपा कौ बाट निहारत ॥

पड़ा द्वार सब आस लगाई ।
अब सुधि लेत शीतला माई ॥40॥

॥ दोहा ॥
यह चालीसा शीतला,
पाठ करे जो कोय ।
सपनें दुख व्यापे नही,
नित सब मंगल होय ॥

बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल,
भाल भल किंतू ।
जग जननी का ये चरित,
रचित भक्ति रस बिंतू ॥


॥ इति श्री शीतला चालीसा ॥

Sheetla MATA Chalisa PDF (in English)

ghat-ghat vaasee sheetla,
sheetlaprabha tumhaar ॥
sheetlahar relave steshan mein jalaee,
om vivaran palana daar ॥

॥ Chaupaee ॥
jay-jay-jay shree sheetla bhavaanee ॥
jay jag janani sakal gunadhaanee ॥

grh-grh shakti vivaah raajit ॥
pooran sharadachandr samasaajit ॥

daunalod se jalat shareera ॥
sheetal karat hrday sab peeda ॥

maata sheetla tav shubhanaama ॥
sarvasv gaadhe avahin kaam ॥4 ॥

shok haree shankaree bhavaanee ॥
baal-praanaaksharee sukh daanee ॥

shuchi maarjanee kalash kararaajai ॥
mastak tej soory sam saajai ॥

chausath yogin sang mein gaavain ॥
veena taal mrdangavai baja ॥

nrty naath bhairaun dikhalaavain ॥
sahaj shiv shesh paar na paavain ॥8 ॥

dhany dhany dhaatree mahaaraanee ॥
suranar muni tab suyash bakhaani ॥

bam roop mahaabalakaaree ॥
daity ek jvaalaamukhee bhaaree ॥

ghar ghar pravisht koee na rakshat ॥
rog roop dhari baalak bhakshat ॥

haahaakaar machyo jagabhaaree ॥
saakyo na jab sankat taaree ॥12 ॥

tab mainya dhari adbhut roopa ॥
kar mein liy maarjanee supa ॥

dokalaanhin pakadi kar leenhon ॥
moosal pramaan bahuvidhi keenho ॥

bahut prakaar vah vinatee keenha ॥
maiya nahin bhal main kachhu keenha ॥

abanahin maatu kaahugrh jaihaun ॥
jahaan apavitr vahee ghar rahi ho ॥16 ॥

ab bhaktan sheetal bhay jaihaun ॥
doda bhay ghor naasihaun ॥

shree sheetlahin bhaje kalyaana ॥
vachan saty bhaashe bhagavaana ॥

poojan paath maatu jab kari hai ॥
bhay aanand sakal duhkh haree hai ॥

vidhvans bhay jihi grh bhaee ॥
bhajai devee kahan yahee upaee ॥20 ॥

kalash sheetlaaka savavai ॥
dvij se vidhivat paath karaavai ॥

tumheen sheetla, jaagakee maata ॥
tumheen pita jag ke sukhadaata ॥

tumheen jagaddhaatree sukhasevee ॥
namo namaami sheetale devee ॥

namo sukhakaranee du:khaharaanee ॥
namo- namo jagataarani dharani ॥24 ॥

namo namo trailoky vandinee ॥
du:khadaridrak nikandinee ॥

shree sheetla, sheetla, mahala ॥
runlihrni maatr mandala ॥

ho tum digambar tanudhaaree ॥
shobhit panchanaam asavaaree ॥

rshabh, khar, baisaakh sunda ॥
gardabh doorvaakand nikandan ॥28 ॥

sumirat sang sheetla maee,
jaahi sakal sukh door paraee ॥

galaka, galagandaadi juhoee ॥
taakar mantr na aushadhi ॥

ek maatu jee kee aaraadhana ॥
aur nahin koee hai saadhan ॥

nishchit maatu sharan jo aavai ॥
nirbhay man ichchhit phal paavai ॥32 ॥

kodhee, nirmal kaaya dharai ॥
ankau, durg nij drshti nihaarai ॥

bandhya naaree putr ko paavai ॥
janm daridr dhanee hoi jaavai ॥

maatu sheetla ke gun gaavat ॥
laakha mook ko chhand banaavat ॥

yaame koee karai jani sandeh ॥
jag mein maiya ka hee danka ॥36 ॥

bhagat kamal prabhudaasa ॥
tat prayaag se poorab paasa ॥

graam tivaaree poor mam baasa ॥
kaakara ganga tat durvaasa ॥

ab der ho gaee to main bulaoonga ॥
maatr krpa kau baat nihaarat ॥

padhe dvaar sab as sai ॥
ab sudhit le sheetla maee ॥40 ॥

॥ Doha ॥
yah chaaleesa sheetla,
paath kare jo koee ॥
sapanen dukh vyaape nahin,
nit sab mangal hoy ॥

bujhe sahastr vikramee shukl,
bhal bhal kintu ॥
jag jananee ka ye charit,
rachit bhakti ras bintu ॥

॥ iti Shree Sheetla chaaleesa ॥


शीतला माता चालीसा के लाभ

शीतला माता चालीसा एक धार्मिक पाठ है जो शीतला माता की आराधना के लिए गाया जाता है। इस चालीसा के पाठ के अनेक लाभ होते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

1. रोगों से मुक्ति

शीतला माता को रोग निवारण की देवी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि शीतला माता चालीसा के पाठ से चेचक, खसरा, और अन्य संक्रामक रोगों से मुक्ति मिलती है। माता शीतला के आशीर्वाद से व्यक्ति के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वह स्वस्थ रहता है।

2. मानसिक शांति

चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है। इसमें सम्मिलित मंत्र और स्तुति मन को शांत करते हैं और तनाव को दूर करते हैं। इससे व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और वह अधिक संतुलित और स्थिर रहता है।

3. परिवार में सुख-शांति

शीतला माता चालीसा का नियमित पाठ करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। माता के आशीर्वाद से परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सहयोग बढ़ता है, जिससे परिवारिक जीवन सुखमय होता है।

4. आर्थिक समृद्धि

शीतला माता चालीसा के पाठ से आर्थिक संकटों का निवारण होता है। माता के आशीर्वाद से व्यक्ति के व्यवसाय में वृद्धि होती है और धन की प्राप्ति होती है। इससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और वह सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करता है।

5. बच्चों के लिए सुरक्षा

माता शीतला को बच्चों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। शीतला माता चालीसा का पाठ करने से बच्चों की सुरक्षा होती है और वे विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचे रहते हैं। इसके अलावा, माता के आशीर्वाद से बच्चों की बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।

6. समाज में प्रतिष्ठा

जो व्यक्ति नियमित रूप से शीतला माता चालीसा का पाठ करता है, उसे समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। माता के आशीर्वाद से उसकी सामाजिक स्थिति मजबूत होती है और लोग उसका सम्मान करते हैं।

7. बाधाओं का निवारण

शीतला माता चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाली विभिन्न बाधाओं का निवारण होता है। माता के आशीर्वाद से व्यक्ति के मार्ग में आने वाली सभी समस्याएं और अड़चनें दूर होती हैं और वह सफलता की ओर अग्रसर होता है।

8. शत्रुओं से रक्षा

शीतला माता चालीसा के पाठ से शत्रुओं से रक्षा होती है। माता के आशीर्वाद से व्यक्ति के शत्रु परास्त होते हैं और उसे किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंचा पाते। इससे व्यक्ति निर्भीक और सुरक्षित रहता है।

9. धार्मिक लाभ

शीतला माता चालीसा का पाठ करने से धार्मिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। इससे व्यक्ति का धर्म और आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ता है और वह धर्म के मार्ग पर चलता है। इससे उसकी आत्मा को शांति मिलती है और वह भगवान के करीब आता है।

10. शुभ कार्यों में सफलता

शीतला माता चालीसा का पाठ करने से सभी शुभ कार्यों में सफलता मिलती है। माता के आशीर्वाद से व्यक्ति के सभी कार्य सफल होते हैं और वह अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करता है। इससे उसकी जीवन में संतुष्टि और खुशी बढ़ती है।

शीतला माता चालीसा का पाठ करने से उपरोक्त लाभ प्राप्त होते हैं। यह पाठ शीतला माता के प्रति श्रद्धा और विश्वास को बढ़ाता है और व्यक्ति के जीवन को सुखमय बनाता है। नियमित रूप से इस चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।

Hemlata
Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
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