श्री शारदा चालीसा (Shri Sharda Chalisa PDF) भारतीय धार्मिक ग्रंथों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो माँ शारदा देवी की महिमा और गुणों का वर्णन करता है। शारदा देवी, जिन्हें विद्या, ज्ञान और कला की देवी के रूप में पूजा जाता है, अपने भक्तों को जीवन में ज्ञान, विवेक और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं। यह चालीसा विशेष रूप से उन लोगों के लिए अति लाभकारी मानी जाती है जो शिक्षा, संगीत, कला और साहित्य के क्षेत्र में कार्यरत हैं।
इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ने से न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि आत्मा को भी परम शक्ति से जोड़ने का अवसर मिलता है। इस चालीसा में माँ शारदा की स्तुति के माध्यम से उनकी कृपा प्राप्ति का मार्ग बताया गया है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में आध्यात्मिक और मानसिक विकास की दिशा में अग्रसर हो सकता है।
श्री शारदा चालीसा के माध्यम से हम माँ शारदा की उस महिमा का अनुभव कर सकते हैं जो हर एक व्यक्ति के अंदर विद्यमान अज्ञानता के अंधकार को दूर कर उसे ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित करती है। यह चालीसा न केवल एक धार्मिक स्तुति है, बल्कि एक साधना का माध्यम भी है, जिससे व्यक्ति में सकारात्मकता, मानसिक शांति और आत्मविश्वास का संचार होता है।
भौतिकता की चकाचौंध में खोए हुए मनुष्य को यह चालीसा आध्यात्मिकता की ओर पुनः प्रेरित करती है और उसे यह अहसास दिलाती है कि असली ज्ञान का अर्थ केवल बाहरी विद्या नहीं, बल्कि आत्म-ज्ञान में है। “श्री शारदा चालीसा” का नियमित पाठ करने से जीवन में सुख, शांति और सफलता का आगमन होता है, और व्यक्ति हर कठिनाई का सामना धैर्य और साहस से कर पाता है।
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Maa Sharda Chalisa Lyrics PDF
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- English
श्री शारदा चालीसा
॥ दोहा ॥
मूर्ति स्वयंभू शारदा,
मैहर आन विराज।
माला पुस्तक धारिणी,
वीणा कर में साज ।।
॥ चौपाई ॥
जय जय जय शारदा महारानी,
आदि शक्ति तुम जग कल्याणी ।
रूप चतुर्भुज तुम्हरो माता,
तीन लोक महं तुम विख्याता।
दो सहस्त्र वर्षहि अनुमाना,
प्रगट भई शारद जग जाना।
मैहर नगर विश्व विख्याता,
जहां बैठी शारद जग माता।
त्रिकूट पर्वत शारदा वासा,
मैहर नगरी परम प्रकाशा ।
शरद इन्दु सम बदन तुम्हारो,
रूप, चतुर्भुज अतिशय प्यारो ।
कोटि सूर्य सम तन द्युति पावन,
राज हंस तुम्हरो शचि वाहन।
कानन कुण्डल लोल सुहावहि,
उरमणि भाल अनूपम दिखावहिं ।
वीणा पुस्तक अभय धारिणी,
जगत्मातु तुम जग विहारिणी।
ब्रह्म सुता अखंड अनूपा,
शारद गुण गावत सुरभूपा।
हरिहर करहिं शारदा बन्दन,
वरूण कुबेर करहिं अभिनन्दन।
शारद रूप चण्डी अवतारा,
चण्ड मुण्ड असुर संहारा।
महिषासुर वध कीन्हि भवानी,
दुर्गा बन शारद कल्याणी ।
धरा रूप शारद भई चण्डी,
रक्त बीज काटा रण मुण्डी ।
तुलसी सूर्य आदि विद्वाना,
शारद सुयश सदैव बखाना ।
कालिदास भए अति विख्याता,
तुम्हरी दया शारदा माता ।
वाल्मिक नारद मुनि देवा,
पुनि पुनि करहिं शारदा सेवा ।
चरण शरण देवहु जग माया,
सब जग व्यापहिं शारद माया ।
अणु परमाणु में शारदा वासा,
परम शक्तिमय परम प्रकाशा ।
हे शारद तुम ब्रह्म स्वरूपा,
शिव विरंचि पूजहिं नर भूपा ।
ब्रह्म शक्ति नहि एकउ भेदा,
शारद के गुण गावहिं वेदा ।
जय जग बन्दनि विश्व स्वरूपा,
निर्गुण सगुण शारदहिं रूपा ।
सुमिरहु शारद नाम अखंडा,
व्यापइ नहिं कलिकाल प्रचण्डा ।
सूर्य-चन्द्र नभ मण्डल तारे,
शारद कृपा चमकते सारे ।
उद्धव स्थिति प्रलय कारिणी,
बन्दउ शारद जगत तारिणी ।
दुःख दरिद्र सब जाहिं नसाई,
तुम्हारी कृपा शारदा माई।
परम पुनीति जगत अधारा,
मातु शारदा ज्ञान तुम्हारा ।
विद्या बुधि मिलहिं सुखदानी,
जय जय जय शारदा भवानी ।
शारदे पूजन जो जन करहीं,
निश्चय ते भव सागर तरहीं।
शारद कृपा मिलहिं शुचि ज्ञाना,
होई सकल विधि अति कल्याणा।
जग के विषय महा दुःख दाई,
भजहूँ शारदा अति सुख पाई।
परम प्रकाश शारदा तोरा,
दिव्य किरण देवहूँ मम ओरा ।
परमानन्द मगन मन होई,
मातु शारदा सुमिरई जोई।
चित्त शान्त होवहिं जप ध्याना,
भजहूँ शारदा होवहिं ज्ञाना।
रचना रचित शारदा केरी,
पाठ करहिं भव छटई फेरी ।
सत् सत् नमन पढ़ीहे धरिध्याना,
शारद मातु करहिं कल्याणा।
शारद महिमा को जग जाना,
नेति नेति कह वेद बखाना ।
सत् सत् नमन शारदा तोरा,
कृपा दृष्टि कीजै मम ओरा।
जो जन सेवा करहिं तुम्हारी,
तिन कहँ कतहुं नाहि दुःखभारी।
जो यह पाठ करै चालीसा,
मातु शारदा देहुँ आशीषा ।।
॥ दोहा ॥
बन्दुउँ शारद चरण रज,
भक्ति ज्ञान मोहि देहुँ।
सकल अविद्या दूर कर,
सदा बसहु उरगेहुँ ।।
Shri Sharda Chalisa Lyrics English
॥ Doha ॥
Murti Svayambhu Sharada,
Maihara Ana Viraja।
Mala, Pustaka, Dharini,
Vina Kara Mein Saja॥
॥ Chaupai ॥
Jai Jai Jai Sharada Maharani।
Adi Shakti Tuma Jaga Kalyani॥
Rupa Chaturbhuja Tumharo Mata।
Tina Loka Maham Tuma Vikhyata॥
Do Sahasra Barshahi Anumana।
Pragata Bhai Sharada Jaga Jana॥
Maihara Nagara Vishva Vikhyata।
Jahan Baithi Sharada Jaga Mata॥
Trikuta Parvata Sharada Vasa।
Maihara Nagari Parama Prakasha॥
Sharada Indu Sama Badana Tumharo।
Rupa Chaturbhuja Atishaya Pyaro॥
Koti Surya Sama Tana Dyuti Pavana।
Raja Hansa Tumharo Shachi Vahana॥
Kanana Kundala Lola Suhavahi।
Uramani Bhala Anupa Dikhavahin॥
Vina Pustaka Abhaya Dharini।
Jagatmatu Tuma Jaga Viharini॥
Brahma Suta Akhanda Anupa।
Sharada Guna Gavata Surabhupa॥
Harihara Karahin Sharada Bandana।
Baruna Kubera Karahin Abhinandana॥
Sharada Rupa Chandi Avatara।
Chanda-Munda Asurana Sanhara॥
Mahisha Sura Vadha Kinhi Bhavani।
Durga Bana Sharada Kalyani॥
Dhara Rupa Sharada Bhai Chandi।
Rakta Bija Kata Rana Mundi॥
Tulasi Surya Adi Vidvana।
Sharada Suyasha Sadaiva Bakhana॥
Kalidasa Bhae Ati Vikhyata।
Tumhari Daya Sharada Mata॥
Valmika Narada Muni Deva।
Puni Puni Karahin Sharada Seva॥
Charana-Sharana Devahu Jaga Maya।
Saba Jaga Vyapahin Sharada Maya॥
Anu-Paramanu Sharada Vasa।
Parama Shaktimaya Parama Prakasha॥
He Sharada Tuma Brahma Svarupa।
Shiva Viranchi Pujahin Nara Bhupa॥
Brahma Shakti Nahi Ekau Bheda।
Sharada Ke Guna Gavahin Veda॥
Jai Jaga Bandani Vishva Svarupa।
Nirguna-Saguna Sharadahin Rupa॥
Sumirahu Sharada Nama Akhanda।
Vyapai Nahin Kalikala Prachanda॥
Surya Chandra Nabha Mandala Tare।
Sharada Kripa Chamakate Sare॥
Udbhava Sthiti Pralaya Karini।
Bandau Sharada Jagata Tarini॥
Duhkha Daridra Saba Jahin Nasai।
Tumhari Kripa Sharada Mai॥
Parama Puniti Jagata Adhara।
Matu Sharada Gyana Tumhara॥
Vidya Buddhi Milahin Sukhadani।
Jai Jai Jai Sharada Bhavani॥
Sharade Pujana Jo Jana Karahin।
Nishchaya Te Bhava Sagara Tarahin॥
Sharada Kripa Milahin Shuchi Gyana।
Hoi Sakala Vidhi Ati Kalyana॥
Jaga Ke Vishaya Maha Duhkha Dai।
Bhajahun Sharada Ati Sukha Pai॥
Parama Prakasha Sharada Tora।
Divya Kirana Devahun Mama Ora॥
Paramananda Magana Mana Hoi।
Matu Sharada Sumirai Joi॥
Chitta Shanta Hovahin Japa Dhyana।
Bhajahun Sharada Hovahin Gyana॥
Rachana Rachita Sharada Keri।
Patha Karahin Bhava Chhatai Pheri॥
Sat Sat Namana Padhihe Dharidhyana।
Sharada Matu Karahin Kalyana॥
Sharada Mahima Ko Jaga Jana।
Neti-Neti Kaha Veda Bakhana॥
Sat-Sat Namana Sharada Tora।
Kripa Drishti Kijai Mama Ora॥
Jo Jana Seva Karahin Tumhari।
Tina Kahan Katahun Nahi Duhkhabhari॥
Jo Yaha Patha Karai Chalisa।
Matu Sharada Dehun Ashisha॥
॥ Doha ॥
Bandaun Sharada Charana Raja,
Bhakti Gyana Mohi Dehun।
Sakala Avidya Dura Kara,
Sada Basahu Uragehun॥
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श्री शारदा चालीसा का महत्व – Importance of Shri Sharda Chalisa
श्री शारदा चालीसा का भारतीय धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में विशेष महत्व है। यह चालीसा माँ शारदा देवी की स्तुति का एक प्रभावी स्त्रोत है, जो ज्ञान, विद्या और कला की देवी के रूप में पूजी जाती हैं। माँ शारदा को सरस्वती का स्वरूप माना गया है, और उनके आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता, शांति और सफलता का संचार होता है।
शिक्षा, संगीत, साहित्य, कला आदि के क्षेत्र में कार्यरत लोग माँ शारदा के इस चालीसा का नियमित पाठ करके अपनी विद्या और कला में उत्तमता प्राप्त करते हैं। यह चालीसा व्यक्ति के भीतर आत्म-विश्वास और संयम को बढ़ाती है, जिससे उसे सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। श्री शारदा चालीसा के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकता है, और उसकी कृपा से ज्ञान, विवेक और समझ में वृद्धि होती है।
श्री शारदा चालीसा का लाभ – Benefits of Shri Sharda Chalisa
श्री शारदा चालीसा का पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। सबसे प्रमुख लाभ यह है कि यह चालीसा मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करती है, जो आज के व्यस्त जीवन में आवश्यक है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति की याददाश्त और एकाग्रता में सुधार होता है, और उसे जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
इसके अलावा, माँ शारदा की कृपा से छात्र परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, कलाकार अपनी कला में प्रवीणता हासिल कर सकते हैं, और नौकरीपेशा लोग अपने कार्यक्षेत्र में ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकते हैं। इसे पढ़ने से नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है, और आत्मा में सद्गुणों का विकास होता है। यह चालीसा जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर व्यक्ति को सफलता की ओर अग्रसर करती है।
श्री शारदा चालीसा कैसे पढ़ें – How to Read Shri Sharda Chalisa
श्री शारदा चालीसा का पाठ करने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करना चाहिए। सुबह के समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर, माँ शारदा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर इस चालीसा का पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है। यदि संभव हो तो पाठ के समय सफेद पुष्प अर्पित करें, क्योंकि माँ शारदा को सफेद रंग प्रिय है।
चालीसा पढ़ते समय मन को एकाग्र रखें और माँ शारदा की छवि को ध्यान में रखें। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ने से अधिक लाभ होता है। सप्ताह में कम से कम एक बार या प्रतिदिन इसका पाठ करने से माँ शारदा की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
FAQs – Shri Sharda Chalisa PDF- श्री शारदा चालीसा 2024-25
श्री शारदा चालीसा क्या है?
श्री शारदा चालीसा एक धार्मिक स्तुति है जो माँ शारदा देवी की महिमा और उनके आशीर्वाद का गुणगान करती है। इसे पढ़ने से व्यक्ति को ज्ञान, विवेक और शांति प्राप्त होती है।
श्री शारदा चालीसा का महत्व क्या है?
श्री शारदा चालीसा का महत्व इस बात में है कि यह व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति, आत्म-विश्वास और सकारात्मकता लाने में सहायक होती है। यह विद्यार्थियों और कलाकारों के लिए विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।
श्री शारदा चालीसा का पाठ किस प्रकार के लाभ प्रदान करता है?
इसका पाठ करने से एकाग्रता, स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। यह नकारात्मक विचारों से मुक्ति और आत्म-ज्ञान की ओर प्रेरित करती है, जिससे जीवन में शांति और सफलता मिलती है।
श्री शारदा चालीसा का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
सुबह के समय स्नान कर, स्वच्छ वस्त्र पहनकर, शांत मन और श्रद्धा के साथ इसे पढ़ना उत्तम होता है। माँ शारदा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर इसका पाठ करें।
क्या श्री शारदा चालीसा का पाठ किसी भी समय कर सकते हैं?
हाँ, इसे किसी भी समय किया जा सकता है, परंतु सुबह का समय अधिक प्रभावकारी माना गया है क्योंकि यह दिन की सकारात्मक शुरुआत में मदद करता है।
श्री शारदा चालीसा विद्यार्थियों के लिए क्यों लाभकारी है?
यह चालीसा ध्यान, स्मरण शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि करती है, जो विद्यार्थियों की पढ़ाई और परीक्षा में सफलता पाने में सहायक होती है।
क्या श्री शारदा चालीसा का पाठ करने से करियर में उन्नति मिल सकती है?
जी हाँ, इस चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति का मनोबल और आत्म-विश्वास बढ़ता है, जिससे वह अपने कार्यक्षेत्र में भी सफलता प्राप्त कर सकता है।
क्या श्री शारदा चालीसा का पाठ करने के लिए किसी विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है?
नहीं, विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। परन्तु श्रद्धा के साथ दीपक जलाना और सफेद पुष्प अर्पण करना शुभ माना गया है।
श्री शारदा चालीसा कितनी बार पढ़ना चाहिए?
इसे प्रतिदिन एक बार पढ़ना शुभ होता है, परंतु श्रद्धा और समय के अनुसार व्यक्ति इसे अधिक बार भी पढ़ सकता है। सप्ताह में एक बार तो अवश्य पढ़ें।
क्या श्री शारदा चालीसा का पाठ जीवन की समस्याओं को हल करने में सहायक होता है?
जी हाँ, यह चालीसा मानसिक शांति और सकारात्मकता लाने में सहायक है, जिससे व्यक्ति जीवन की समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से कर सकता है।