संतोषी माता चालीसा (Santoshi Mata Chalisa pdf) का अपना एक विशेष महत्व है। संतोषी माता को संतोष और सुख की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से जीवन में शांति, समृद्धि और संतोष की प्राप्ति होती है। जो लोग आर्थिक तंगी, पारिवारिक कलह या अन्य किसी प्रकार की समस्याओं से परेशान हैं, उनके लिए संतोषी माता की चालीसा का पाठ अत्यंत लाभकारी हो सकता है।
संतोषी माता की चालीसा में उनके अद्भुत रूप, लीलाओं और भक्तों के प्रति उनकी करुणा का वर्णन किया गया है। इस चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों को माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-शांति का संचार होता है।
चालीसा के माध्यम से माता संतोषी की महिमा का गुणगान करते हुए, हम उनके प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करते हैं। यह चालीसा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतोष की प्राप्ति के लिए भी अत्यंत उपयोगी है।
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|| संतोषी माता चालीसा ||
भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम ।
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम ॥
॥ चौपाई ॥
जय सन्तोषी मात अनूपम ।
शान्ति दायिनी रूप मनोरम ॥
सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा ।
वेश मनोहर ललित अनुपा ॥
श्वेताम्बर रूप मनहारी ।
माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी ॥
दिव्य स्वरूपा आयत लोचन ।
दर्शन से हो संकट मोचन ॥ 4 ॥
जय गणेश की सुता भवानी ।
रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी ॥
अगम अगोचर तुम्हरी माया ।
सब पर करो कृपा की छाया ॥
नाम अनेक तुम्हारे माता ।
अखिल विश्व है तुमको ध्याता ॥
तुमने रूप अनेकों धारे ।
को कहि सके चरित्र तुम्हारे ॥ 8 ॥
धाम अनेक कहाँ तक कहिये ।
सुमिरन तब करके सुख लहिये ॥
विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी ।
कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी ॥
कलकत्ते में तू ही काली ।
दुष्ट नाशिनी महाकराली ॥
सम्बल पुर बहुचरा कहाती ।
भक्तजनों का दुःख मिटाती ॥ 12 ॥
ज्वाला जी में ज्वाला देवी ।
पूजत नित्य भक्त जन सेवी ॥
नगर बम्बई की महारानी ।
महा लक्ष्मी तुम कल्याणी ॥
मदुरा में मीनाक्षी तुम हो ।
सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो ॥
राजनगर में तुम जगदम्बे ।
बनी भद्रकाली तुम अम्बे ॥ 16 ॥
पावागढ़ में दुर्गा माता ।
अखिल विश्व तेरा यश गाता ॥
काशी पुराधीश्वरी माता ।
अन्नपूर्णा नाम सुहाता ॥
सर्वानन्द करो कल्याणी ।
तुम्हीं शारदा अमृत वाणी ॥
तुम्हरी महिमा जल में थल में ।
दुःख दारिद्र सब मेटो पल में ॥ 20 ॥
जेते ऋषि और मुनीशा ।
नारद देव और देवेशा ।
इस जगती के नर और नारी ।
ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी ॥
जापर कृपा तुम्हारी होती ।
वह पाता भक्ति का मोती ॥
दुःख दारिद्र संकट मिट जाता ।
ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता ॥ 24 ॥
जो जन तुम्हरी महिमा गावै ।
ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै ॥
जो मन राखे शुद्ध भावना ।
ताकी पूरण करो कामना ॥
कुमति निवारि सुमति की दात्री ।
जयति जयति माता जगधात्री ॥
शुक्रवार का दिवस सुहावन ।
जो व्रत करे तुम्हारा पावन ॥ 28 ॥
गुड़ छोले का भोग लगावै ।
कथा तुम्हारी सुने सुनावै ॥
विधिवत पूजा करे तुम्हारी ।
फिर प्रसाद पावे शुभकारी ॥
शक्ति-सामरथ हो जो धनको ।
दान-दक्षिणा दे विप्रन को ॥
वे जगती के नर औ नारी ।
मनवांछित फल पावें भारी ॥ 32 ॥
जो जन शरण तुम्हारी जावे ।
सो निश्चय भव से तर जावे ॥
तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे ।
निश्चय मनवांछित वर पावै ॥
सधवा पूजा करे तुम्हारी ।
अमर सुहागिन हो वह नारी ॥
विधवा धर के ध्यान तुम्हारा ।
भवसागर से उतरे पारा ॥ 36 ॥
जयति जयति जय संकट हरणी ।
विघ्न विनाशन मंगल करनी ॥
हम पर संकट है अति भारी ।
वेगि खबर लो मात हमारी ॥
निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता ।
देह भक्ति वर हम को माता ॥
यह चालीसा जो नित गावे ।
सो भवसागर से तर जावे ॥ 40 ॥
॥ दोहा ॥
संतोषी माँ के सदा बंदहूँ पग निश वास ।
पूर्ण मनोरथ हो सकल मात हरौ भव त्रास ॥
॥ इति श्री संतोषी माता चालीसा ॥
Santoshi Mata Chalisa PDF (in English)
bhakton ko santosh de santoshee tav naam ॥
krpa karahu jagadamb ab aaya tere dhaam ॥
॥ Chaupaee ॥
jay santoshee maatopam ॥
shaanti daayinee roop manoram ॥
sundar varn chaturbhuj roopa ॥
ve manohar lalit anupa ॥
vaaltetaambar roop manahaaree ॥
maan banee chhavi jag se nyaaree ॥
divy svaroopa aayat lochan ॥
darshan se ho sankat mochan ॥ 4 ॥
jay ganesh kee suta bhavaanee ॥
riddhi-siddhi kee putree gyaanee ॥
agam agochar tumhaaree maaya ॥
sab par karo krpa kee chhaaya ॥
naam anek faif maata ॥
sampoorn angrejee hai tumako dhyaata ॥
tum roop anekon dhaare ॥
ko kahi saake charitra ॥ 8 ॥
dhaam anek kahaan tak kahiye ॥
sumiran tab karake sukh lahae ॥
vindhyaachal mein vindhyavaasinee ॥
koteshvar sarasvatee suhaasinee ॥
kalakatte mein too hee kaalee ॥
dusht naashinee mahaakaraalee ॥
sambal pur bahuchara kahaatee ॥
bhakton ka duhkh duhkhatee ॥ 12 ॥
boot jee mein boot devee ॥
poojat nity bhakt jan sevee ॥
nagar bambee kee mahaaraanee ॥
maha lakshmee tum kalyaanee ॥
madura mein meenaakshee tum ho ॥
sukh duhkh gavaah tum ho ॥
raajanagar mein tum jagadambe ॥
basee bhadrakaalee tum ambe ॥ 16 ॥
paavaagadh mein durga maata ॥
akhil anamol taara yash gaata ॥
kaashee puraadhi vaalvaaree maata ॥
annapoorna naam suhaata ॥
sarvaanand kalyaanakaaronee ॥
tumheen saarada amrt vaanee ॥
teree mahima jal mein thal mein ॥
duhkh daaridr sab meto pal mein ॥ 20॥
jete rshi aur munisha ॥
naarad dev aur devesha ॥
is jagatee ke nar aur naaree ॥
dhyaan dharat he maata vivaah ॥
jaapar krpa vivaah hona ॥
vah paata bhakti ka motee ॥
duhkh daaridr sankat mit jaata hai ॥
dhyaan jo jan dhyaan ॥ 24 ॥
jo jan teree mahima gaavai ॥
dhyaan de kar sukh paavai ॥
jo man raakhe shuddh bhaavana ॥
taakee pooran karo kaamana ॥
kumati nivaaree sumati kee daatree ॥
jayati jayati maata jagadhaatree ॥
shukravaar ka din suhaavan ॥
jo vrat kare pavitr ॥ 28 ॥
gud chhole ka bhog lagaayaavai ॥
katha sune sunaavai ॥
antim pooja kare vivaah ॥
phir prasaad paave shubhakaaree ॥
shakti-samarath ho jo dhanako ॥
daan-dakshina de vipran ko ॥
ve jagatee ke nar au naaree ॥
manavaanchhit phal paaven bhaaree ॥ 32 ॥
jo jan sharan jaave ॥
so nishchayachaay bhav se tar jaave ॥
tummharo dhyaan kumaaree dhyaave ॥
nishchit manavaanchhit var paavai ॥
saadhava pooja kare vivaah ॥
amar suhaagin ho vah naaree ॥
vidhava dharm ke dhyaan ॥
bhavasaagar se utara paara ॥ 36 ॥
jayati jayati jay sankat haranee ॥
vighn vinaashan mangal karana ॥
ham par sankat bahut bhaaree hai ॥
vegee khabar lo mat hamaaree ॥
nishidin dhyaan tumhaaro dhyaata ॥
deh bhakti var hamako maata ॥
yah chaaleesa jo nit gaave ॥
so bhavasaagar se tar jaave ॥ 40 ॥
॥ Doha ॥
santoshee maan ke sada bandahoon pag nish vaas ॥
poorn manorath ho sakal maat harau bhav traas ॥
॥ Iti Shree Santoshi Mata Chalisa ॥
Santoshi Mata Chalisa Lyrics PDF
Santoshi Mata Chalisa Benefits
संतोषी माता चालीसा के लाभ
संतोषी माता चालीसा एक विशेष प्रकार की भक्ति कविता है जो संतोषी माता के प्रति श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करती है। यह चालीसा विशेष रूप से उन भक्तों द्वारा पढ़ी जाती है जो संतोषी माता की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं। संतोषी माता का ध्यान और पूजा आमतौर पर शुक्रवार को किया जाता है, और इस चालीसा के पाठ से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। इस लेख में, हम संतोषी माता चालीसा के लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
1. मानसिक शांति और सुकून
संतोषी माता चालीसा का नियमित पाठ मानसिक शांति और सुकून प्रदान करता है। जब भक्त इस चालीसा का पाठ करते हैं, तो उनका ध्यान केवल संतोषी माता की आराधना में लग जाता है, जिससे मन को शांति मिलती है। यह शांति तनाव और चिंता को दूर करने में सहायक होती है और एक सकारात्मक मानसिक स्थिति को प्रोत्साहित करती है।
2. आर्थिक समृद्धि
संतोषी माता चालीसा के पाठ से आर्थिक समृद्धि प्राप्त करने की भी मान्यता है। भक्त जो लगातार इस चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें वित्तीय समस्याओं से राहत मिलती है और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। यह विश्वास किया जाता है कि संतोषी माता अपने भक्तों की आर्थिक परेशानियों को दूर कर उन्हें धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
3. परिवार में सुख और शांति
संतोषी माता चालीसा का पाठ परिवार में सुख और शांति बनाए रखने में भी मदद करता है। यह चालीसा पारिवारिक समस्याओं को दूर करने और परिवार के सदस्यों के बीच अच्छे संबंध स्थापित करने में सहायक होती है। संतोषी माता की आराधना से परिवार में सामंजस्य और सहयोग बढ़ता है।
4. संतान सुख
संतोषी माता को संतान सुख देने वाली देवी के रूप में भी पूजा जाता है। जो लोग संतान सुख प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं, वे इस चालीसा का नियमित पाठ करके संतोषी माता से संतान प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। इस चालीसा के पाठ से संतान सुख प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है।
5. स्वास्थ्य लाभ
संतोषी माता चालीसा के नियमित पाठ से स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। यह विश्वास किया जाता है कि संतोषी माता अपने भक्तों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं से बचाती हैं। इस चालीसा का पाठ स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और जीवन में स्फूर्ति और ऊर्जा लाने में सहायक होता है।
6. दुख और बाधाओं का निवारण
संतोषी माता चालीसा के पाठ से जीवन की विभिन्न समस्याओं और बाधाओं का निवारण होता है। यह चालीसा संकट और कठिनाइयों के समय में आशा और विश्वास बनाए रखने में सहायक होती है। संतोषी माता की कृपा से जीवन की बाधाएं और समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और सफलता के नए मार्ग खुलते हैं।
7. मानसिक और भावनात्मक संतुलन
संतोषी माता चालीसा का पाठ मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। यह चालीसा मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद को दूर करने में मदद करती है। संतोषी माता की आराधना से भावनात्मक स्थिरता प्राप्त होती है, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना करना आसान हो जाता है।
8. आध्यात्मिक उन्नति
संतोषी माता चालीसा का नियमित पाठ भक्त की आध्यात्मिक उन्नति में भी सहायक होता है। यह चालीसा भक्तों को आत्मिक शांति, ज्ञान और समझ प्राप्त करने में मदद करती है। संतोषी माता की आराधना से आध्यात्मिक विकास और आत्मा की शुद्धि होती है।
9. जीवन में सफलता
संतोषी माता चालीसा के पाठ से जीवन में सफलता प्राप्त करने की संभावना बढ़ जाती है। यह चालीसा कठिनाइयों और विफलताओं को पार करने और सफलता प्राप्त करने में सहायक होती है। संतोषी माता की कृपा से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है।
10. देवी का आशीर्वाद
संतोषी माता चालीसा का पाठ करने से भक्त को देवी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। संतोषी माता भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं और उन्हें सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। देवी की कृपा से जीवन में खुशहाली और सौभाग्य बढ़ता है।
संतोषी माता चालीसा के अनेक लाभ हैं जो भक्तों के जीवन को सुखमय और समृद्ध बना सकते हैं। यह चालीसा मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि, पारिवारिक सुख, संतान सुख, स्वास्थ्य लाभ, दुख और बाधाओं का निवारण, मानसिक और भावनात्मक संतुलन, आध्यात्मिक उन्नति, जीवन में सफलता और देवी का आशीर्वाद प्रदान करती है। भक्तों को चाहिए कि वे इस चालीसा का नियमित पाठ करें और संतोषी माता की आराधना करें ताकि वे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकें।