णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra) जैन धर्म का एक प्रमुख और पवित्र मंत्र है। इसे नवकार मंत्र या णमोकार मंत्र भी कहा जाता है। यह मंत्र जैन धर्म के साधकों द्वारा प्रतिदिन प्रातःकाल और सायंकाल में जाप किया जाता है। णमोकार महामंत्र का महत्व जैन धर्म में अत्यधिक है क्योंकि यह सभी तीर्थंकरों, सिद्धों, आचार्यों, उपाध्यायों और साधुओं को प्रणाम करता है।
णमोकार महामंत्र की रचना प्राचीन काल में हुई थी और इसे जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर द्वारा प्रतिष्ठित किया गया। इस मंत्र का उच्चारण न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, बल्कि यह साधक के मन और आत्मा को शांति और पवित्रता प्रदान करता है।
इस मंत्र का उच्चारण करते समय साधक पांच प्रमुख वंदनाएँ करता है:
- णमो अरिहंताणं – अरिहंतों को प्रणाम, जिन्होंने समस्त मोह और कर्मों का नाश किया है।
- णमो सिद्धाणं – सिद्धों को प्रणाम, जिन्होंने मोक्ष प्राप्त किया है।
- णमो आयरियाणं – आचार्यों को प्रणाम, जो धर्म का आचरण और प्रचार करते हैं।
- णमो उवज्झायाणं – उपाध्यायों को प्रणाम, जो जैन आगमों का अध्ययन और शिक्षा देते हैं।
- णमो लोए सव्वसाहूणं – सभी साधुओं को प्रणाम, जो संयम और तपस्या का पालन करते हैं।
णमोकार महामंत्र में कुल 68 अक्षर होते हैं और यह पाँच पंक्तियों में विभाजित होता है। इसका जाप करने से मनुष्य के मन में शांति, संतोष और आध्यात्मिक जागृति होती है। इस मंत्र का उच्चारण व्यक्ति को आत्मज्ञान की ओर ले जाता है और उसे जीवन के सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
जैन धर्म के अनुसार, णमोकार महामंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर होने की शक्ति मिलती है। यह मंत्र सभी प्रकार के भय, तनाव और दुःखों को समाप्त करने में सहायक माना जाता है।
णमोकार महामंत्र का उच्चारण जैन साधकों के लिए एक नियमित और आवश्यक क्रिया है। यह उनके जीवन में आध्यात्मिकता और धार्मिकता का समावेश करता है। इसके माध्यम से साधक अपने अंदर की नेगेटिव ऊर्जा को समाप्त कर, पॉजिटिव ऊर्जा को प्राप्त करता है।
अतः णमोकार महामंत्र जैन धर्म के साधकों के लिए न केवल एक प्रार्थना है, बल्कि यह उनके आध्यात्मिक और धार्मिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इसका नियमित जाप व्यक्ति को आत्मज्ञान की प्राप्ति की दिशा में अग्रसर करता है और उसे मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है।
Download Namokar Maha Mantra Lyrics PDF
- हिंदी / संस्कृत
- English
|| णमोकार महामंत्र ||
णमोकार मंत्र है न्यारा, इसने लाखों को तारा।
इस महा मंत्र का जाप करो, भव जल से मिले किनारा।
णमो अरिहंताणं,
णमो सिद्धाणं,
णमो आयरियाणं,
णमो उवज्झायाणं,
णमो लोए सव्व साहूणं ।
एसोपंचणमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो ।
मंगला णं च सव्वेसिं, पडमम हवई मंगलं ।
|| Namokar Maha Mantra ||
Ṇamōkāra mantra hai nyārā, isnē lākhōṁ kō tārā।
Is mahā mantra kā jāp karō, bhav jal sē mile kinārā।
Ṇamō arihaṁtāṇaṁ,
Ṇamō siddhāṇaṁ,
Ṇamō āyariyāṇaṁ,
Ṇamō uvajjhāyāṇaṁ,
Ṇamō loē savva sāhūṇaṁ।
Ēsōpaṁcaṇamōkkārō, savvapāvappaṇāsaṇō।
Maṅgalā ṇaṁ ca savvēsiṁ, paḍamam havai maṅgalaṁ।
Namokar Maha Mantra Lyrics
Namokar Maha Mantra Pdf
Namokar Maha Mantra Benefits
णमोकार महामंत्र के लाभ
णमोकार महामंत्र, जिसे नवकार मंत्र भी कहा जाता है, जैन धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र मंत्र है। इस मंत्र के जाप से साधक को अनेक प्रकार के आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं। णमोकार महामंत्र के लाभों को विस्तृत रूप में समझना आवश्यक है ताकि इसका महत्त्व और प्रभावपूर्णता स्पष्ट हो सके।
आध्यात्मिक लाभ
आत्मज्ञान की प्राप्ति: णमोकार महामंत्र का नियमित जाप साधक को आत्मज्ञान की ओर ले जाता है। यह मंत्र साधक को आत्मा की वास्तविकता और उसकी शुद्धता के प्रति जागरूक करता है।
मोक्ष की प्राप्ति: जैन धर्म के अनुसार, णमोकार महामंत्र का जाप करने से साधक के समस्त पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर होने की शक्ति मिलती है।
धार्मिकता और पुण्य: इस मंत्र का उच्चारण धार्मिकता और पुण्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह साधक को धार्मिक गतिविधियों में संलग्न रहने और सत्य, अहिंसा, और संयम के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
शांति और संतोष: इस मंत्र का जाप मन और आत्मा को शांति और संतोष प्रदान करता है। साधक के जीवन में शांति और संतुलन की स्थिति आती है।
मानसिक लाभ
मन की शुद्धता: णमोकार महामंत्र का जाप मन को शुद्ध और पवित्र बनाता है। इससे नकारात्मक विचारों और भावनाओं का नाश होता है।
सकारात्मक ऊर्जा: इस मंत्र का उच्चारण सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है और साधक के जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है।
एकाग्रता और ध्यान: णमोकार महामंत्र का जाप ध्यान और एकाग्रता को बढ़ावा देता है। इससे साधक का मन एकाग्र होता है और उसकी ध्यान की क्षमता में वृद्धि होती है।
तनाव और चिंता में कमी: इस मंत्र का नियमित जाप तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होता है। यह मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
शारीरिक लाभ
स्वास्थ्य में सुधार: णमोकार महामंत्र का जाप शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। इससे साधक का शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
श्वसन प्रणाली पर प्रभाव: इस मंत्र का उच्चारण श्वसन प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे साधक की श्वसन क्रिया में सुधार होता है और उसकी श्वसन संबंधी समस्याएं कम होती हैं।
शारीरिक ऊर्जा: णमोकार महामंत्र का जाप शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाता है और साधक को स्फूर्ति और ताजगी प्रदान करता है।
रक्त संचार में सुधार: इस मंत्र का उच्चारण रक्त संचार में सुधार लाता है और शरीर के विभिन्न अंगों में सही मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचाता है।
सामाजिक लाभ
सामाजिक सद्भाव: णमोकार महामंत्र का उच्चारण साधक के सामाजिक जीवन में सद्भाव और समरसता लाता है। इससे सामाजिक रिश्ते मजबूत होते हैं और समाज में शांति और सौहार्द की स्थिति बनती है।
नैतिकता और आदर्श: इस मंत्र का जाप नैतिकता और आदर्शों की स्थापना में सहायक होता है। साधक के जीवन में नैतिक मूल्यों और आदर्शों का समावेश होता है।
समाजसेवा: णमोकार महामंत्र का उच्चारण साधक को समाजसेवा की ओर प्रेरित करता है। इससे साधक समाज के कल्याण के लिए कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त करता है।
सहयोग और सहयोगिता: इस मंत्र का जाप सहयोग और सहयोगिता की भावना को बढ़ावा देता है। इससे समाज में सहयोग और सहयोगिता की भावना का विकास होता है।
धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान
पूजा और आराधना: णमोकार महामंत्र का उच्चारण जैन धर्म की पूजा और आराधना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे साधक की पूजा और आराधना की प्रक्रिया पूर्ण होती है।
ध्यान और साधना: इस मंत्र का जाप ध्यान और साधना की प्रक्रिया को सशक्त बनाता है। साधक की ध्यान और साधना की क्षमता में वृद्धि होती है।
व्रत और तपस्या: णमोकार महामंत्र का उच्चारण व्रत और तपस्या की प्रक्रिया को समर्थ बनाता है। इससे साधक के व्रत और तपस्या की प्रभावशीलता बढ़ती है।
अध्यात्मिक जागृति: इस मंत्र का जाप साधक के जीवन में अध्यात्मिक जागृति लाता है। इससे साधक के जीवन में आध्यात्मिकता का समावेश होता है।
णमोकार महामंत्र का नियमित जाप साधक के जीवन में अनेक प्रकार के लाभ लाता है। यह मंत्र साधक को आत्मज्ञान, मोक्ष, शांति, संतोष, सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य, सामाजिक सद्भाव, नैतिकता, समाजसेवा, और आध्यात्मिक जागृति की ओर ले जाता है। इसके उच्चारण से साधक के जीवन में संतुलन, समरसता, और पूर्णता की स्थिति आती है। अतः णमोकार महामंत्र जैन धर्म के साधकों के लिए न केवल एक प्रार्थना है, बल्कि यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण और अविभाज्य हिस्सा है।
FAQs – णमोकार महामंत्र (Namokar Maha Mantra PDF)
णमोकार मंत्र कैसे बोला जाता है?
णमोकार मंत्र को इस प्रकार बोला जाता है:
“ॐ नमो अरिहंताणं | ॐ नमो सिद्धाणं | ॐ नमो आयरियाणं | ॐ नमो उवज्जायाणं | ॐ नमो लोए सव्व साहीणं |”
इस मंत्र में निम्नलिखित पंच पदों में नमस्कार किया जाता है:
अरिहंताणं: जो तत्त्वज्ञानी हैं और जिन्होंने संसार से मोक्ष प्राप्त किया है।
सिद्धाणं: जिन्होंने पूर्णता प्राप्त कर ली है और मोक्ष की स्थिति में हैं।
आयरियाणं: जो आचार्य और धार्मिक शिक्षक हैं।
उवज्जायाणं: जो उपाध्याय और शिक्षकों के मार्गदर्शक हैं।
लोए सव्व साहीणं: संसार के सभी साधुओं और संतों को नमस्कार।
जैन धर्म का महामंत्र कौन सा है?
जैन धर्म का महामंत्र “णमोकार मंत्र” (नवकार मंत्र) है। यह मंत्र जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा भगवान अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, और साधुओं को सम्मान देने के लिए उपयोग किया जाता है।
णमोकार मंत्र में कितनी बार नमस्कार किया है?
णमोकार मंत्र में कुल 5 बार नमस्कार किया गया है। ये नमस्कार निम्नलिखित रूप में होते हैं:
अरिहंताणं (अरिहंतों को)
सिद्धाणं (सिद्धों को)
आयरियाणं (आचार्यों को)
उवज्जायाणं (उपाध्यायों को)
लोए सव्व साहीणं (संसार के सभी साधुओं और संतों को)
मंत्र कैसे बोला जाता है?
मंत्र को बोलते समय विशेष ध्यान और श्रद्धा रखना चाहिए। मंत्र को शुद्ध उच्चारण के साथ, एकाग्रता और श्रद्धा के साथ बोला जाता है। मंत्र का जाप नियमित रूप से और विशेष अवसरों पर किया जाता है। जैन धर्म में, मंत्र की सही वर्तनी और उच्चारण का महत्व होता है।
जैन धर्म का मूल मंत्र क्या है?
जैन धर्म का मूल मंत्र “णमोकार मंत्र” है। यह मंत्र जैन धर्म के सभी अनुयायियों के लिए पवित्र और महत्वपूर्ण होता है और इसमें भगवान अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, और साधुओं के प्रति सम्मान और नमस्कार व्यक्त किया जाता है।