मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे (Mujhe apne Hi Rang Mein Rang Le) एक भक्तिमय गीत है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्त की असीम भक्ति और समर्पण की अभिव्यक्ति होती है। इस भजन में भक्त भगवान से प्रार्थना करता है कि वे उसे अपने प्रेम और भक्ति के रंग में रंग दें, जिससे उसका मन और आत्मा पूरी तरह से कृष्णमय हो जाए।
यह भजन भक्त की उन भावनाओं को दर्शाता है जिसमें वह अपने आराध्य के साथ एकाकार होने की कामना करता है। इस भजन के बोल और सुर में ऐसी मिठास है जो हर श्रोता के मन को छू जाती है और उसे भक्तिरस में डूबा देती है। यहाँ से आप रिद्धि सिद्धि के दाता सुनो गणपति | मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है | सजा दो घर को गुलशन सा | नैनो में नींद भर आई भजन भी देख सकते हैं
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|| मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे ||
मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे,
मेरे यार सांवरे, दिलदार सांवरे….
ऐसा रंग तू रंग दे सांवरिया, जो उतरे ना जनम जनम तक,
नाम तू अपना लिख दे कन्हैया, मेरे सारे बदन पर,
मुझे अपना बना के देखो इक बार सांवरे,
मेरे यार सांवरे, दिलदार सांवरे….
श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया,
बिना रंगाये मैं तो घर नहीं जाउंगी,
बीत जाए चाहे सारी उमरिया…
लाल ना रंगाऊं मैं तो हरी ना रंगाऊ,
अपने ही रंग में रंग दे सांवरिया,
ऐसी रंग दे जो रंग ना छूटे धोबिया धोये चाहे सारी उमरिया…
जो नाही रंगों तो मोल ही मंगाएदो,
ब्रज में खुली है प्रेम बजरिया,
या चुनरी को ओड मैं तो यमुना पे जाउंगी, श्याम की मोपे पड़ेगी नजरिया…
मेरे जीवन की नैया लेजा उस पास सांवरे,
मेरे यार सांवरे, दिलदार सांवरे….
भव सागर में ऐ मनमोहन मांझी बन कर आना,
ना भटकूँ इधर उधर हे प्यारे मुरली मधुर बजाना,
मेरी जीवन नैया लेजा उस पार सांवरे,
मेरे यार सांवरे, दिलदार सांवरे….
रैन चडी रसूल की, रंग मौला के हाथ,
तूने जिसकी चुनरी रंगदीनी रे,
धन धन उसके भाग…
जो तू मांगे रंग की रंगाई,
तो मेरा जोबन गिरवी रख ले,
पर अपनी पगड़िया मोरी चुनरिया,
एक ही रंग में रंग ले…
तेरे रंग तेरी आशिकी जरूर कुछ लाएगी,
मुझे मार डालेगी या जीना सिखाएगी,
दुनिया के रंग मिटा देगी मुझमे से,
रंग तेरे प्यार का यह मुझपे चढाएगी…
मुझे अपना बना के देखो इक बार सांवरे,
मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे….
प्रीत लगाना प्रीतम ऐसी निभ जाए मरते दम तक,
इसके सिवा ना तुझसे माँगा ना कुछ चाहा अब तक,
मेरे कान्हा तुम बिन जीना बेकार सांवरे,
मेरे यार सांवरे, दिलदार सांवरे….
|| Mujhe apne Hi Rang Mein Rang Le Lyrics ||
Mujhe apane hi rang me rangale mere yaar saanvare
Mere yaar saanvare, diladaar saanvare
Aisa rang too rang de saanvariya jo utare na janam janam tak
Naam too apana likh de kanhaiya mere saare badan par
Mujhe apana bana ke dekho ik baar saanvare
Shyaam piya mori rang de chunariya,
Bina rangaaye mainghar nahi jaaungee
Bina rangaaye mainto ghar nahi jaaungi,
Beet jaae chaahe saari umariyaa
Laal na rangaaoon mainto hari na rangaaoo,
Apane hi rang me rang de saanvariyaa
Aisi rang de jo rang na chhoote dhobiya dhoye chaahe saari umariyaa
Jo naahi rangon to mol hi mangaaedo braj me khuli hai prem bajariyaa
Ya chunari ko od mainto yamuna pe jaaungi shyaam ki mope padegi najariyaa
Mere jeevan ki naiya laga ja us paas saanvare
Bhav saagar me ai manamohan maajhi ban kar aana,
Na bhatakoon idhar udhar he pyaare murali mdhur bajaanaa
Meri jeevan leja us paar saanvare
Rain chadi rasool ki, rang maula ke haath
Toone jisaki chunari rangadeeni re dhan dhan usake bhaag
Jo too maange rang ki rangaai to mera joban giravi rkh le
Par apani pagadiya mori chunariya ek hi rang me rang le
Tere rang teri aashaki jarror rang laaegee
Mujhe maar daalegi ya jeena sikhaaegee
Duniya ke rang mita degi mujhame se,
Rang tere pyaar ka yah mujh pe chdhaaegee
Mujhe apana bana ke dekho ek baar saanvare
Mujhe apane hi rang me rangale mere yaar saanvare
Preet lagaana preetam aisi nibh jaae marate dam tak
Is ke siva na tujh se chaah na kuchh maaga abatak
Mere kaahana tujh bin jeena bekaar saanvare
Mere yaar saanvare, diladaar saanvare
Mujhe apane hi rang me rangale mere yaar saanvare
Mere yaar saanvare, diladaar saanvare
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Mujhe Apne Hi Rang Mein Rang Le Lyrics
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भजन “मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे” भारतीय भक्तिमय संगीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह भजन भक्त के अपने आराध्य से आत्मसमर्पण की प्रार्थना को दर्शाता है, जिसमें भक्त अपने ईश्वर से अनुरोध करता है कि उसे अपने दिव्य रंग में रंग दें। यह भजन मुख्यतः कृष्ण भक्ति पर आधारित है, जिसमें कृष्ण को “सांवरे” के रूप में संबोधित किया गया है।
भक्ति का मार्ग भारतीय संस्कृति और परंपराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस मार्ग पर चलते हुए, भक्त अपने ईश्वर से आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की प्रार्थना करता है। “मुझे अपने ही रंग में रंगले” भजन इसी भक्ति मार्ग की एक सजीव अभिव्यक्ति है। इसमें भक्त अपने आराध्य से विनती करता है कि वे उसे अपने रंग में रंग दें, जिसका अर्थ है कि भक्त अपने ईश्वर के गुणों, विचारों और प्रेम में पूरी तरह डूब जाए।
यह भजन एक आत्मीय और आध्यात्मिक अनुभव को दर्शाता है, जिसमें भक्त अपने ईश्वर से व्यक्तिगत और अंतरंग संबंध की प्रार्थना करता है। “सांवरे” शब्द का प्रयोग भगवान कृष्ण के लिए किया गया है, जिनका वर्ण सांवला है। भारतीय भक्तिमय साहित्य में भगवान कृष्ण को सांवरे के रूप में वर्णित किया गया है, और उनके प्रेम में डूबे भक्त उनके इस रूप को अपने दिल से लगाते हैं।
भजन का प्रारंभ “मुझे अपने ही रंग में रंगले” से होता है, जो भक्त के आत्मसमर्पण और प्रेम की उच्चतम अवस्था को दर्शाता है। इसमें भक्त अपने ईश्वर से यह प्रार्थना करता है कि वे उसे अपने दिव्य प्रेम और करुणा में रंग दें। यह भजन सिर्फ एक गीत नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है, जिसमें भक्त अपने ईश्वर के साथ एकाकार होने की लालसा रखता है।
भजन के शब्द सरल और सहज हैं, लेकिन उनके पीछे छिपी भावना अत्यंत गहन और प्रभावशाली है। इसमें भक्त का समर्पण, प्रेम और विश्वास स्पष्ट रूप से प्रकट होता है। यह भजन सुनने वाले के मन में शांति और भक्ति की भावना को जगाता है। इसके माध्यम से, भक्त अपने ईश्वर के प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम को व्यक्त करता है।
“मुझे अपने ही रंग में रंगले” भजन के माध्यम से, भक्त अपने जीवन को ईश्वर के प्रेम और करुणा में रंगने की प्रार्थना करता है। यह भजन हमें यह सिखाता है कि जीवन की वास्तविकता और सत्यता ईश्वर के प्रेम में ही निहित है। भक्त का समर्पण और प्रेम ही उसे ईश्वर के निकट ले जाता है, और यही इस भजन का मुख्य संदेश है।
भारतीय भक्तिमय संगीत में इस प्रकार के भजनों का विशेष महत्व है। ये भजन न केवल भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें अपने ईश्वर के साथ एक गहरा संबंध स्थापित करने में भी मदद करते हैं। “मुझे अपने ही रंग में रंगले” भजन भी इसी परंपरा का एक हिस्सा है, जो भक्तों को उनके ईश्वर के प्रेम और करुणा में डूबने का अवसर प्रदान करता है।
इस भजन के माध्यम से, भक्त अपने ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वे उसे अपने रंग में रंग लें, ताकि उसका जीवन उनके प्रेम और करुणा से परिपूर्ण हो सके। यह भजन एक आध्यात्मिक अनुभव को दर्शाता है, जिसमें भक्त अपने ईश्वर के प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम को प्रकट करता है। इसके माध्यम से, भक्त अपने जीवन को ईश्वर के प्रेम और करुणा में रंगने की प्रार्थना करता है, और यही इस भजन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है।
Mujhe apne Hi Rang Mein Rang Le
Bhajan Benefits
भजन ‘मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे’ के कई लाभ हैं जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से व्यक्ति को लाभान्वित करते हैं। निम्नलिखित हैं इस भजन के कुछ प्रमुख लाभ:
आध्यात्मिक शांति: इस भजन को सुनने और गाने से मन में शांति और स्थिरता आती है। यह व्यक्ति को अपने आध्यात्मिक मार्ग पर केंद्रित करता है और उसे भगवान के प्रति समर्पित करता है।
भावनात्मक सुकून: भजन गाने से तनाव और चिंता कम होती है। यह व्यक्ति के मन को सुकून प्रदान करता है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति दिलाता है।
भक्ति का विकास: इस भजन के माध्यम से व्यक्ति में भक्ति और प्रेम की भावना बढ़ती है। यह भगवान के प्रति आस्था और विश्वास को मजबूत करता है।
सकारात्मक ऊर्जा: भजन गाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता और उत्साह भरता है।
सामाजिक जुड़ाव: भजन सामूहिक रूप से गाए जाते हैं, जिससे सामाजिक जुड़ाव और सामूहिकता की भावना का विकास होता है।
ध्यान और एकाग्रता: भजन गाने से ध्यान और एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है। यह व्यक्ति को ध्यान की गहराई में ले जाता है और उसकी मानसिक शक्ति को मजबूत करता है।
इस प्रकार, भजन ‘मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे’ व्यक्ति को संपूर्ण रूप से लाभान्वित करता है और उसे भगवान के करीब लाता है।
Frequently Asked Questions
“मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे” भजन क्या है?
“मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे” एक भावपूर्ण भजन है जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की आराधना और उनके प्रेम की गहराई को दर्शाया गया है। यह भजन भक्तों के मन में भगवान के प्रति असीम प्रेम और समर्पण की भावना को उजागर करता है।
इस भजन के बोल क्या हैं?
“मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे” भजन के बोल भगवान श्रीकृष्ण की विशेषताओं और उनके रंग, रूप, और प्रेम का वर्णन करते हैं। इस भजन के बोल पढ़ने या सुनने के लिए आप धार्मिक संगीत प्लेटफार्म, भजन संग्रह, या यूट्यूब पर इसके वीडियो देख सकते हैं।
इस भजन को कौन गाता है?
इस भजन को विभिन्न भजन गायक गाते हैं, जो अपने भावपूर्ण गायन से इसे प्रस्तुत करते हैं। भजन के वीडियो विवरण या धार्मिक संगीत एल्बम में गायक का नाम उल्लेखित होता है, जिससे आप विशिष्ट गायक की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
“मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे” भजन का वीडियो कहाँ देख सकते हैं?
इस भजन का वीडियो आप यूट्यूब जैसे वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म पर देख सकते हैं। इसके अलावा, धार्मिक संगीत ऐप्स और वेबसाइट्स पर भी इसे उपलब्ध पाया जा सकता है।
इस भजन का उद्देश्य क्या है?
“मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे” भजन का उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्तों के प्रेम और समर्पण को प्रकट करना है। यह भजन भक्तों को भगवान के दिव्य रंग और रूप में रंग जाने की प्रार्थना करता है, और उन्हें आध्यात्मिक रूप से जोड़ता है।