Thursday, November 21, 2024
HomeChalisaकाली चालीसा माँ महाकाली (KAALI CHALISA PDF Maa Maha Kali)

काली चालीसा माँ महाकाली (KAALI CHALISA PDF Maa Maha Kali)

माँ महाकाली चालीसा (Kaali Chalisa Pdf) हिन्दू धर्म में अत्यधिक पूजनीय और शक्तिशाली स्तोत्र है। यह चालीसा माँ काली की महिमा और उनके अद्भुत शक्तियों का गुणगान करती है। माँ काली को शक्ति और विनाश की देवी माना जाता है, जो अपने भक्तों की सभी बुराइयों और कठिनाइयों का नाश करती हैं।

माँ काली का स्वरूप अति भयानक और तेजस्वी है, जिसमें उनका काला रंग, गले में नरमुंड की माला, और हाथ में खड्ग और कटे हुए सिर होता है। यह रूप प्रतीक है कि माँ काली अज्ञान, अहंकार, और अधर्म का संहार करती हैं और अपने भक्तों को दुष्ट शक्तियों से बचाती हैं।

माँ महाकाली चालीसा के 40 छंद (चालीस छंद) में माँ काली की स्तुति और उनकी महानता का वर्णन किया गया है। इस चालीसा का पाठ भक्तों को अद्वितीय साहस, आत्मविश्वास, और शक्ति प्रदान करता है। माँ काली के प्रति सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति और संकटों से मुक्ति मिलती है।

चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्त माँ काली के आशीर्वाद से समृद्ध होते हैं और उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। माँ काली की कृपा से सभी प्रकार के भय, रोग, और बाधाएं दूर होती हैं, और भक्त जीवन में सफलता और उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं।


DOWNLOAD KAALI CHALISA PDF


  • हिंदी / संस्कृत
  • English

|| काली चालीसा – जय काली कंकाल मालिनी ||

॥ दोहा ॥
जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥
जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द,
काली चालीसा रचत एक सिद्धि कवि हिन्द ॥
प्रातः काल उठ जो पढ़े दुपहरिया या शाम,
दुःख दरिद्रता दूर हों सिद्धि होय सब काम ॥

॥ चौपाई ॥
 जय काली कंकाल मालिनी,
जय मंगला महाकपालिनी ॥

रक्तबीज वधकारिणी माता,
सदा भक्तन की सुखदाता ॥

शिरो मालिका भूषित अंगे,
 जय काली जय मद्य मतंगे ॥

हर हृदयारविन्द सुविलासिनी,
जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी ॥ ४ ॥

ह्रीं काली श्रीं महाकाराली,
क्रीं कल्याणी दक्षिणाकाली ॥

जय कलावती जय विद्यावति,
जय तारासुन्दरी महामति ॥

देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,
होहु भक्त के आगे परगट ॥

जय ॐ कारे जय हुंकारे,
महाशक्ति जय अपरम्पारे ॥ ८ ॥

कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,
सदा भक्तजन की भयनाशिनी ॥

अब जगदम्ब न देर लगावहु,
दुख दरिद्रता मोर हटावहु ॥

जयति कराल कालिका माता,
कालानल समान घुतिगाता ॥

जयशंकरी सुरेशि सनातनि,
कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनी ॥ १२ ॥

कपर्दिनी कलि कल्प विमोचनि,
जय विकसित नव नलिन विलोचनी ॥

आनन्दा करणी आनन्द निधाना,
देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना ॥

करूणामृत सागरा कृपामयी,
होहु दुष्ट जन पर अब निर्दयी ॥

सकल जीव तोहि परम पियारा,
सकल विश्व तोरे आधारा ॥ १६ ॥

प्रलय काल में नर्तन कारिणि,
जग जननी सब जग की पालिनी ॥

महोदरी माहेश्वरी माया,
हिमगिरि सुता विश्व की छाया ॥

स्वछन्द रद मारद धुनि माही,
गर्जत तुम्ही और कोउ नाहि ॥

स्फुरति मणिगणाकार प्रताने,
तारागण तू व्योम विताने ॥ २० ॥

श्रीधारे सन्तन हितकारिणी,
अग्निपाणि अति दुष्ट विदारिणि ॥

धूम्र विलोचनि प्राण विमोचिनी,
शुम्भ निशुम्भ मथनि वर लोचनि ॥

सहस भुजी सरोरूह मालिनी,
चामुण्डे मरघट की वासिनी ॥

खप्पर मध्य सुशोणित साजी,
मारेहु माँ महिषासुर पाजी ॥ २४ ॥

अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका,
सब एके तुम आदि कालिका ॥

अजा एकरूपा बहुरूपा,
अकथ चरित्रा शक्ति अनूपा ॥

कलकत्ता के दक्षिण द्वारे,
मूरति तोरि महेशि अपारे ॥

कादम्बरी पानरत श्यामा,
जय माँतगी काम के धामा ॥ २८ ॥

कमलासन वासिनी कमलायनि,
जय श्यामा जय जय श्यामायनि ॥

मातंगी जय जयति प्रकृति हे,
जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे ॥

कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा,
जयति अहिंसा धर्म जन्मदा ॥

जलथल नभ मण्डल में व्यापिनी,
सौदामिनी मध्य आलापिनि ॥ ३२ ॥

झननन तच्छु मरिरिन नादिनी,
जय सरस्वती वीणा वादिनी ॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे,
कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा ॥

जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,
कामाख्या और काली माता ॥

हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनी,
अटठहासिनि अरु अघन नाशिनी ॥ ३६ ॥

कितनी स्तुति करूँ अखण्डे,
तू ब्रह्माण्डे शक्तिजित चण्डे ॥

करहु कृपा सब पे जगदम्बा,
रहहिं निशंक तोर अवलम्बा ॥

चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,
रूप तुम्हार महा अभिरामा ॥

खड्ग और खप्पर कर सोहत,
सुर नर मुनि सबको मन मोहत ॥ ४० ॥

तुम्हारी कृपा पावे जो कोई,
रोग शोक नहिं ताकहँ होई ॥

जो यह पाठ करै चालीसा,
तापर कृपा करहिं गौरीशा ॥

॥ दोहा ॥
जय कपालिनी जय शिवा,
जय जय जय जगदम्ब,
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु,
मातु अविलम्ब ॥

KAALI CHALISA PDF (in English)

॥ Doha ॥
jay jay sitaaraam ke madhyavaasinee amb,
dehu daras jagadamb ab karahu na maatu vilamb ॥
jay taara jay kaalika jay dash vidya vrnd,
kaalee chaaleesa rachat ek siddhi kavi hind ॥
praatah kaal uthen jo dopahariya ya shaam padhen,
duhkh daridrata door hoy siddhi hoy sab kaam ॥

॥ Dhaupaee ॥
jay kaalee kankaal maalinee,
jay mangala mahaakapaalinee ॥

raktabeej vadhakaarinee maata,
sada bhakton ke sukhadaata ॥

shiro maalika bhooshit ange,
jay kaalee jay maday maatange ॥

harataaravind suvilaasinee,
jay jagadamba sakal duhkh naashinee ॥ 4 ॥

hreen kaalee shreen mahaakaalee,
kreen kalyaanee dakshinakaalee ॥

jay kalaavatee jay vidyaavatee,
jay taaraasundaree mahaamati ॥

dehu subuddhi harahu sab sankat,
hohu bhakt ke aage pragat ॥

jay om kaare jay hunkaare,
mahaashakti jay aparampaare ॥ 8 ॥

kamala kaliyug darp vinaashinee,
sada bhaktajan kee bhayanaashini ॥

ab jagadamb na der kavitaahu,
duhkh daridrata more hataavahu ॥

jayati karaal kaalika maata,
kaalaanal samaan ghutigaata ॥

jayashankaree sureshi sanaatanee,
koti siddhi kavi maatu puraatanee ॥ 12 ॥

kapardinee kali kalp mukti,
jay vikasit nav nalin vilochanee ॥

aanand lena aanand karana,
dehumaatu mohi nirmal gyaana ॥

karunaamrt saagar krpaamayee,
hohu dusht jan par ab nirdayee ॥

sakal jeev tohi param piyaara,
sakal vishv tore raama ॥ 16 ॥

pralay kaal mein nartan karini,
jag janani sab jag kee paalinee ॥

mahodaree maaheshvaree maaya,
himagiri suta vishv kee chhaaya ॥

svachhand rad marad dhuni maahee,
garazat tumheen aur kooo nahin ॥

sphoorti maniganaakaar praaptane,
taaraagan tu vyom vitaane ॥ 20 ॥

shreedhaare santan hitakaarinee,
agnipaani ati dusht vidaareeni ॥

dhoomr vilochani praan vimocheenee,
shumbh nishumbh mathani var lochani ॥

sahas bhujee sarorooh maalinee,
chaamunde maraghat kee vaasinee ॥

khappar madhy sushonit saajee,
maarehu maan mahishaasur paajee ॥ 24 ॥

amb ambika chand chandika,
sab eke tum aadi kaalika ॥

aja ekaroopa bahuroopa,
akath charitra shaktianopa ॥

kolakaata ke dakshin dvaare,
moorati to maheshari apaare ॥

kaadambaree paanarat shyaama,
jay maantagee kaam ke dhaama ॥ 28 ॥

kamalaasan vaasinee kamalaayanee,
jay shyaama jay jay shyaamaayani ॥

maatangee jay jayati prakrti he,
jayati bhakti ur kumati sumati he ॥

koti brahm shiv vishnu kaamada,
jayati ahinsa dharm janmada ॥

jalathal naabh mandal mein vyaapinee,
delamini madhy alaapini ॥ 32 ॥

jhannann tachchu maririn naadinee,
jay sarasvatee veena vaadinee ॥

om ain hreen kleen chaamundaayai vichche,
kalit kanth shobhit narunada ॥

jay brahmaand siddhi kavi maata,
kaamaakhya aur kaalee maata ॥

hingalaaj vindhyaachal vaasinee,
atthahaasinee aru aghan naashinee ॥ 36 ॥

kitanee stuti karoon akhande,
too brahmaande shaktijit chande ॥

karahu krpa sab pe jagadamba,
rahahin nishank tor avalamba ॥

chaturbhujee kaalee tum shyaama,
roop tuhaar maha abhiraama ॥

khadg aur khappar kar sohat,
soor nar muni bos man mohat ॥ 40 ॥

doosara krpaya paave jo koee,
rog shok nahin taakhan hoi ॥

jo yah paath kare chaaleesa,
taapar krpa karahin gaureesha ॥

॥ Doha ॥
jay kapaalinee jay shiva,
jay jay jay jagadamb,
sada bhaktajan keree duhkh harahu,
maatu avilaam ॥


काली चालीसा माँ महाकाली के लाभ

माँ महाकाली की पूजा और काली चालीसा का पाठ भारतीय संस्कृति और आध्यात्म में विशेष महत्व रखता है। काली चालीसा एक अद्भुत स्तोत्र है जो भक्तों को अनेक प्रकार के लाभ प्रदान करता है। यहाँ काली चालीसा के पाठ के मुख्य लाभों का विस्तार से वर्णन किया गया है।

1. शत्रुओं से रक्षा:

काली चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। माँ महाकाली को समर्पित यह स्तोत्र व्यक्ति की चारों ओर एक सुरक्षा कवच का निर्माण करता है जो नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं से रक्षा करता है। माँ काली का आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति को किसी भी प्रकार के भय और असुरक्षा का सामना नहीं करना पड़ता।

2. आध्यात्मिक उन्नति:

काली चालीसा का पाठ व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। यह मन को शांति प्रदान करता है और ध्यान की गहराई को बढ़ाता है। भक्त अपने आध्यात्मिक पथ पर अधिक दृढ़ता और समर्पण के साथ आगे बढ़ सकते हैं। माँ काली की कृपा से व्यक्ति को आत्म-साक्षात्कार का अनुभव होता है।

3. संकटों से मुक्ति:

जीवन में आने वाले विभिन्न संकटों और कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए काली चालीसा का पाठ अत्यंत प्रभावी होता है। माँ काली अपने भक्तों के सभी कष्टों और दुःखों को दूर करती हैं और उन्हें सुखमय जीवन प्रदान करती हैं। आर्थिक, सामाजिक, और व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान प्राप्त करने के लिए यह स्तोत्र अत्यंत लाभकारी है।

4. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति:

काली चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से मुक्ति मिलती है। माँ काली की उपासना से व्यक्ति के चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनता है जिससे बुरी शक्तियाँ दूर रहती हैं। यह स्तोत्र व्यक्ति के मन, शरीर, और आत्मा को शुद्ध करता है।

5. स्वास्थ्य लाभ:

काली चालीसा का नियमित पाठ करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। माँ काली की कृपा से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है और उसकी आयु बढ़ती है। यह स्तोत्र तनाव, चिंता, और अवसाद को दूर करता है और मन को शांति और संतुलन प्रदान करता है।

6. धन-धान्य की प्राप्ति:

काली चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। माँ काली की कृपा से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। यह स्तोत्र व्यक्ति के व्यापार और नौकरी में सफलता दिलाने में सहायक होता है।

7. दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास:

काली चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति के आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प को बढ़ाता है। माँ काली की उपासना से व्यक्ति में नई ऊर्जा का संचार होता है और वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक प्रेरित होता है। यह स्तोत्र व्यक्ति को मानसिक शक्ति और साहस प्रदान करता है।

8. भय और चिंता का निवारण:

काली चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के भय और चिंता का निवारण होता है। माँ काली की कृपा से व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता और वह शांतिपूर्ण जीवन जी सकता है। यह स्तोत्र मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।

9. परिवारिक सुख-शांति:

काली चालीसा का पाठ करने से परिवार में सुख-शांति और सामंजस्य बना रहता है। माँ काली की कृपा से परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सहयोग बढ़ता है और घर का वातावरण सकारात्मक होता है। यह स्तोत्र परिवार के कल्याण और समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी है।

10. मनोवांछित फलों की प्राप्ति:

काली चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। माँ काली की कृपा से व्यक्ति को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में खुशियों का आगमन होता है। यह स्तोत्र व्यक्ति के सभी इच्छाओं और अभिलाषाओं को पूरा करने में सहायक होता है।

काली चालीसा का पाठ: विधि और सावधानियाँ

काली चालीसा का पाठ करने के लिए कुछ विशेष विधियों और सावधानियों का पालन करना चाहिए ताकि इसका पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।

1. शुद्धता और स्वच्छता:

काली चालीसा का पाठ करने से पहले व्यक्ति को शुद्ध और स्वच्छ होना चाहिए। स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र पहनकर माँ काली की उपासना करनी चाहिए।

2. आसन और ध्यान:

काली चालीसा का पाठ करते समय व्यक्ति को एक शुद्ध और शांत स्थान पर बैठना चाहिए। ध्यान करते समय माँ काली की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर ध्यान करना चाहिए।

3. नियमितता:

काली चालीसा का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। इसका पाठ हर दिन एक निश्चित समय पर करना लाभकारी होता है। नियमित पाठ करने से माँ काली की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

4. आस्था और समर्पण:

काली चालीसा का पाठ करते समय व्यक्ति को पूर्ण आस्था और समर्पण के साथ पाठ करना चाहिए। मन और आत्मा को माँ काली के चरणों में समर्पित करके यह पाठ करना चाहिए।

5. शांति और एकाग्रता:

काली चालीसा का पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखना चाहिए। किसी भी प्रकार के विकार और विचारों से मन को मुक्त रखकर यह पाठ करना चाहिए।

6. विशेष समय और दिन:

काली चालीसा का पाठ करने के लिए विशेष समय और दिन का चयन करना लाभकारी होता है। अमावस्या, नवमी, और काली पूजा के दिन यह पाठ विशेष रूप से प्रभावी होता है।

माँ महाकाली की कृपा से प्राप्त होने वाले अनुभव

माँ महाकाली की कृपा से भक्तों को अनेक प्रकार के अनुभव प्राप्त होते हैं। ये अनुभव व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक दिशा में परिवर्तित करते हैं और उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाते हैं।

1. दिव्य दृष्टि:

काली चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है। माँ काली की कृपा से वह अदृश्य शक्तियों और ऊर्जा को अनुभव करने लगता है।

2. आत्मज्ञान:

माँ काली की उपासना से व्यक्ति को आत्मज्ञान का अनुभव होता है। वह अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानने लगता है और जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझता है।

3. दुःस्वप्नों से मुक्ति:

काली चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को दुःस्वप्नों से मुक्ति मिलती है। माँ काली की कृपा से वह रात को शांतिपूर्ण नींद का अनुभव करता है।

4. सकारात्मक ऊर्जा का संचार:

काली चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता दिलाने में सहायक होती है।

5. मानसिक शांति और संतुलन:

माँ काली की कृपा से व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है। वह अपने जीवन के सभी कार्यों को धैर्य और संयम के साथ पूरा करता है।

6. अलौकिक शक्तियों का अनुभव:

काली चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को अलौकिक शक्तियों का अनुभव होता है। वह माँ काली के अद्वितीय और रहस्यमय स्वरूप को समझने लगता है।

काली चालीसा माँ महाकाली की महिमा का गान है जो व्यक्ति को अनेक प्रकार के लाभ प्रदान करता है। इसके पाठ से व्यक्ति को शत्रुओं से रक्षा, आध्यात्मिक उन्नति, संकटों से मुक्ति, नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति, स्वास्थ्य लाभ, धन-धान्य की प्राप्ति, दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास, भय और चिंता का निवारण, परिवारिक सुख-शांति, और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

काली चालीसा का पाठ नियमित रूप से और पूर्ण आस्था के साथ करने से माँ काली की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और व्यक्ति का जीवन सुखमय और सफल होता है। माँ महाकाली की उपासना से प्राप्त होने वाले अनुभव व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक दिशा में परिवर्तित करते हैं और उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाते हैं।

माँ महाकाली की कृपा से हम सभी के जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि का वास हो, यही प्रार्थना है। जय माँ महाकाली!

Hemlata
Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
RELATED ARTICLES
spot_img

Most Popular