श्री गौरीनंदन की आरती (Gouri Nandan Ki Aarti) हिंदू धर्म में गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। उन्हें विघ्नहर्ता, बुद्धि और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। गणेश चतुर्थी के समय या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की आरती गाना अनिवार्य माना जाता है। ‘श्री गौरीनंदन की आरती‘ गणेश जी की स्तुति में गाई जाने वाली प्रमुख आरतियों में से एक है। इसे गाते समय भक्तों के मन में एक विशेष भक्ति और श्रद्धा उत्पन्न होती है। श्री गणेश चालीसा | संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ इस लिंक पर देखें|
गणेश जी का जन्म पर्व, जिसे गणेश चतुर्थी कहते हैं, भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और मंदिरों में गणेश जी की मूर्तियाँ स्थापित करते हैं और नौ दिनों तक उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। आरती के दौरान भगवान गणेश की मूर्ति के सामने दीप जलाकर उन्हें पुष्प, अक्षत, दूर्वा और मोदक का भोग अर्पित किया जाता है।
‘श्री गौरीनंदन की आरती‘ का पाठ करते समय मन को एकाग्रचित्त रखना बहुत जरूरी है। इस आरती के शब्द भगवान गणेश की महिमा और उनके अद्वितीय स्वरूप का वर्णन करते हैं। आरती के समय बजाए जाने वाले ढोलक, मंजीरा और शंख की ध्वनि वातावरण को और भी पवित्र बना देती है। भक्तजनों के द्वारा समवेत स्वर में गाई जाने वाली यह आरती वातावरण में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
‘ओम जय गौरीनंदन’ की शुरुआत में गणेश जी के विभिन्न नामों का उल्लेख किया गया है। इसमें गणेश जी को गजमुख, एकदंत, लम्बोदर, विकट और विघ्ननाशक के रूप में स्तुति की जाती है। यह आरती यह भी दर्शाती है कि गणेश जी अपने भक्तों के समस्त कष्टों को हरने वाले और उन्हें सफलता और समृद्धि प्रदान करने वाले हैं।
गणेश जी की आरती गाने से मन को शांति मिलती है और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। भक्तगण इस आरती को गाकर अपने मन की इच्छाओं को गणेश जी के चरणों में अर्पित करते हैं। यह आरती एक साधारण गीत नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है जो मन, वचन और कर्म को शुद्ध करती है।
कई लोग आरती के दौरान गणेश जी की विभिन्न कथाओं का भी स्मरण करते हैं, जैसे कि उनकी उत्पत्ति, उनके गजमुख बनने की कथा, और उनकी विवाह कथा। यह कथाएँ हमें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाती हैं, जैसे कि विनम्रता, समर्पण और भक्ति।
‘श्री गौरीनंदन की आरती‘ का महत्व न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बहुत बड़ा है। यह आरती हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल हमें गणेश जी की महिमा का बोध कराती है, बल्कि हमारे पारंपरिक और सांस्कृतिक मूल्यों को भी जीवित रखती है।
गणेश चतुर्थी के पर्व पर या किसी भी शुभ अवसर पर ‘श्री गौरीनंदन की आरती’ का गायन हमारे जीवन में खुशियाँ, समृद्धि और शांति लाता है। यह आरती भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। इसलिए, हर भक्त को इस आरती का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए और भगवान गणेश की असीम कृपा का अनुभव करना चाहिए।
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|| श्री गौरीनंदन की आरती ||
ओम जय गौरी नन्दन, प्रभु जय गौरी नंदन
गणपति विघ्न निकंदन, मंगल नि:स्पन्दन
ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन
ऋषि सिद्धियाँ जिनके, नित ही चवर करे
करिवर मुख सुखकारक, गणपति विध्न हरे
ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन
देवगणो मे पहले तव पूजा होती
तव मुख छवि भक्तो के दुख दारिद खोती
ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन
गुड का भोग लगत है कर मोदक सोहे
ऋषि सीद्धि सह शोभित, त्रिभुवन मन मोहै
ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन
लंबोदर भय हारी, भक्तो के त्राता
मातु भक्त हो तुम्ही, वांछित फल दाता
ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन
मूषक वाहन राजत कनक छत्रधारी
ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन
विघ्नारन्येदवानल, शुभ मंगलकारी
ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन
धरणीधर कृत आरती गणपति की गावे
सुख सम्पत्ति युत होकर वह वांछित पावे
ओम जय गौरी नन्दन प्रभु जय गौरी नंदन
|| Gauri Nandan Ki Aarti ||
Om jai gauri nandan, Prabhu jai gauri nandan
Ganapati vigna nikandan, Mangal nihspandan
Om jai gauri nandan Prabhu jai gauri nandan
Rishi siddhiyan jinke, Nit hi chavar kare
Karivar mukh sukhakarak, Ganapati vidhn hare
Om jai gauri nandan Prabhu jai gauri nandan
Devagano me pahle tava puja hoti
Tava mukh chhavi bhakto ke dukh daridh khoti
Om jai gauri nandan Prabhu jai gauri nandan
Gud ka bhog lagat hai kar modak sohe
Rishi siddhi sah shobhit, Tribhuvan man moh
Om jai gauri nandan Prabhu jai gauri nandan
Lambodar bhay hari, Bhakto ke trarta
Mantu bhakt ho tumhi, Vanchit phal data
Om jai gauri nandan Prabhu jai gauri nandan
Mushak vahan rajat kanak chatradhari
Om jai gauri nandan Prabhu jai gauri nandan
Vighnaranyedavanal, Shubh mangalkari
Om jai gauri nandan Prabhu jai gauri nandan
Dharanidhar krit aarti ganapati ki gave
Sukh sampatti yut hokar vah vanchit pave
Om jai gauri nandan Prabhu jai gauri nandan
Gauri Nandan Ki Aarti Benefits
श्री गौरीनंदन की आरती के लाभ
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता के रूप में मान्यता प्राप्त है। उनकी पूजा-अर्चना से सभी विघ्न और बाधाओं का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। गणेश जी की आरती, विशेष रूप से ‘श्री गौरीनंदन की आरती’, न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करती है। इस लेख में, हम श्री गौरीनंदन की आरती के विभिन्न लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
मानसिक शांति और एकाग्रता
श्री गौरीनंदन की आरती का नियमित रूप से गायन करने से मन को शांति मिलती है। आरती के समय भगवान गणेश के दिव्य नामों का उच्चारण और भक्ति भरे गीतों का गायन मन को एकाग्र करता है। यह मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जिससे दैनिक जीवन की चिंताओं और तनावों से राहत मिलती है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश
श्री गौरीनंदन की आरती गाने से आसपास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। आरती के समय की जाने वाली ध्वनियाँ, जैसे शंख, घंटी और मंजीरा की ध्वनि, वातावरण को पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर देती हैं। यह नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाती है और घर में सुख-शांति बनाए रखती है।
आध्यात्मिक उन्नति
आरती गाना एक आध्यात्मिक साधना है। गणेश जी की आरती से आत्मा को शुद्धि मिलती है और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है। आरती के दौरान की जाने वाली प्रार्थनाएँ और भक्ति भाव आत्मा को उन्नत करते हैं और भगवान के प्रति समर्पण की भावना को प्रबल करते हैं।
समृद्धि और सफलता
गणेश जी को समृद्धि और बुद्धि के देवता माना जाता है। श्री गौरीनंदन की आरती गाने से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। वे सभी प्रकार के विघ्नों को दूर करते हैं और भक्तों को सफलता की ओर अग्रसर करते हैं। इसलिए, कोई भी नया कार्य आरंभ करने से पहले गणेश जी की आरती गाना शुभ माना जाता है।
परिवार में सुख-शांति
श्री गौरीनंदन की आरती परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाती है। आरती के समय परिवार के सभी सदस्य एकत्रित होकर भक्ति भाव से गणेश जी की पूजा करते हैं, जिससे पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं और परिवार में प्रेम और सद्भावना बढ़ती है।
सकारात्मक सोच
श्री गौरीनंदन की आरती गाने से सकारात्मक सोच का विकास होता है। आरती के भक्ति भाव से मन में सकारात्मक विचार आते हैं और व्यक्ति की सोचने की क्षमता में सुधार होता है। यह जीवन की विभिन्न चुनौतियों का सामना करने में सहायता करता है और व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है।
रोगों से मुक्ति
आरती के दौरान की जाने वाली ध्वनियाँ और मंत्रोच्चारण का स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है कि श्री गौरीनंदन की आरती के समय की जाने वाली ध्वनियाँ शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं और विभिन्न रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायता करती हैं।
बुद्धि और विवेक का विकास
गणेश जी को बुद्धि और विवेक का देवता माना जाता है। श्री गौरीनंदन की आरती गाने से बुद्धि का विकास होता है और व्यक्ति के विवेक में सुधार होता है। यह विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए लाभदायक है, जो अपने अध्ययन में एकाग्रता और सफलता प्राप्त करने के लिए गणेश जी की आरती का गायन करते हैं।
आंतरिक शक्ति का विकास
गणेश जी की आरती गाने से आंतरिक शक्ति का विकास होता है। यह आत्मविश्वास और आत्मबल को बढ़ाता है। आरती के दौरान भगवान गणेश की दिव्यता का अनुभव करने से व्यक्ति के भीतर आत्मिक शक्ति और साहस का संचार होता है।
भक्ति और समर्पण की भावना
आरती गाने से भक्ति और समर्पण की भावना प्रबल होती है। गणेश जी की आरती गाने से भक्तों का भगवान के प्रति समर्पण बढ़ता है और भक्ति मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। यह भगवान के प्रति विश्वास और श्रद्धा को और मजबूत करता है।
कर्मों की शुद्धि
आरती गाने से व्यक्ति के कर्म शुद्ध होते हैं। भगवान गणेश की आरती करने से व्यक्ति के बुरे कर्मों का नाश होता है और उसे अच्छे कर्म करने की प्रेरणा मिलती है। यह जीवन को सही दिशा में ले जाने में मदद करता है और व्यक्ति को धार्मिक और नैतिक रूप से उन्नत बनाता है।
समाज में सद्भावना
गणेश जी की आरती का सामूहिक गायन समाज में सद्भावना और एकता को बढ़ावा देता है। जब लोग एक साथ मिलकर आरती गाते हैं, तो उनके बीच प्रेम और सहयोग की भावना विकसित होती है। यह सामाजिक समरसता और सामुदायिक भावना को प्रबल करता है।
जीवन में संतुलन
गणेश जी की आरती गाने से जीवन में संतुलन बनता है। आरती के भक्ति भाव से व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा में संतुलन स्थापित होता है। यह जीवन की विभिन्न चुनौतियों का सामना करने में सहायता करता है और व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाता है।
श्रद्धा और विश्वास
गणेश जी की आरती गाने से भगवान के प्रति श्रद्धा और विश्वास बढ़ता है। आरती के दौरान भगवान गणेश की दिव्य महिमा का अनुभव करने से व्यक्ति का विश्वास और श्रद्धा और गहरा होता है। यह जीवन में विश्वास और धर्म की भावना को मजबूत करता है।
आशीर्वाद की प्राप्ति
गणेश जी की आरती गाने से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आरती के दौरान भगवान गणेश की पूजा और स्तुति करने से वे अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता का वरदान देते हैं।
श्री गौरीनंदन की आरती गाने के अनेक लाभ हैं जो हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाते हैं। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करती है। भगवान गणेश की आरती गाने से हम अपने जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होते हैं और हमें मानसिक शांति, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इसलिए, हर भक्त को नियमित रूप से गणेश जी की आरती गाने का प्रयास करना चाहिए और भगवान गणेश की असीम कृपा का अनुभव करना चाहिए।
Frequently Asked Questions
“गौरी नंदन की आरती” क्या है?
“गौरी नंदन की आरती” एक धार्मिक भजन है जो भगवान गणेश (गौरी नंदन) की पूजा और आराधना के दौरान गाया जाता है। इसमें भगवान गणेश की महिमा, उनके गुण और भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन किया जाता है। यह आरती विशेष रूप से गणेश चतुर्थी और अन्य गणेश उत्सवों के दौरान गाई जाती है।
“गौरी नंदन की आरती” के बोल क्या हैं?
“गौरी नंदन की आरती” के बोल भगवान गणेश की स्तुति और उनकी आराधना के बारे में होते हैं। आरती के बोल सुनने या पढ़ने के लिए आप धार्मिक संगीत वेबसाइट्स, भजन संग्रह, या यूट्यूब पर इसका वीडियो देख सकते हैं। इसके बोल भगवान गणेश की विशेषताओं और भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन करते हैं।
“गौरी नंदन की आरती” को कौन गाता है?
“गौरी नंदन की आरती” को विभिन्न भजन गायक गाते हैं। प्रसिद्ध भजन गायकों की आवाज़ में यह आरती सुनी जा सकती है। भजन के वीडियो विवरण या धार्मिक संगीत एल्बम में गायक का नाम उल्लेखित होता है, जिससे आप विशेष गायक की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
“गौरी नंदन की आरती” का उद्देश्य क्या है?
“गौरी नंदन की आरती” का उद्देश्य भगवान गणेश की पूजा और आराधना करना है। इस आरती के माध्यम से भक्त भगवान गणेश को अपनी श्रद्धा और प्रेम अर्पित करते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।
इस आरती को गाने का सही समय क्या है?
“गौरी नंदन की आरती” को पूजा, गणेश चतुर्थी, और अन्य गणेश उत्सवों के दौरान गाया जाता है। यह आरती विशेष रूप से सुबह और शाम की पूजा के दौरान गाई जाती है, जब भक्त भगवान गणेश की आराधना करते हैं।
“गौरी नंदन की आरती” की कोई विशेष सांगीतिक या लिरिकल विशेषताएँ क्या हैं?
हाँ, “गौरी नंदन की आरती” की सांगीतिक विशेषताएँ इसकी मधुर धुन और भावपूर्ण लिरिक्स हैं। इस आरती की धुन भक्तों को भगवान गणेश के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति का अहसास कराती है। इसके लिरिक्स भगवान गणेश की विशेषताओं और उनके भक्तों पर कृपा का वर्णन करते हैं।
क्या “गौरी नंदन की आरती” का कोई लिखित रूप उपलब्ध है?
हाँ, “गौरी नंदन की आरती” का लिखित रूप धार्मिक पुस्तकों, भजन संग्रहों, और विभिन्न वेबसाइट्स पर उपलब्ध हो सकता है। आप इसे भक्ति साहित्य, धार्मिक पुस्तकालय, या ऑनलाइन भजन संग्रह से प्राप्त कर सकते हैं।