Thursday, September 19, 2024
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श्री गोरक्ष चालीसा – गोरखनाथ मठ (Goraksh Chalisa PDF)

श्री गोरक्ष चालीसा (Goraksh Chalisa), गोरखनाथ मठ के प्रतिष्ठित संत गुरु गोरक्षनाथ जी की महिमा और उनके चमत्कारी कार्यों का वर्णन करती है। गुरु गोरक्षनाथ जी को महान योगी, सिद्ध पुरुष और नाथ संप्रदाय के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। उनके द्वारा दिखाए गए योग, तपस्या, और भक्ति मार्ग ने लाखों अनुयायियों को प्रेरित किया है।

श्री गोरक्ष चालीसा के पाठ से भक्तों को गुरु गोरक्षनाथ जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह चालीसा उनके दिव्य जीवन, शिक्षाओं, और सिद्धियों का वर्णन करती है, जो कि आध्यात्मिक साधना के मार्ग में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। गोरखनाथ मठ में इस चालीसा का विशेष रूप से पाठ किया जाता है और यह भक्तों के लिए एक शक्तिशाली साधना का माध्यम है।


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|| श्री गोरक्ष चालीसा – गोरखनाथ मठ ||

 दोहा ॥
गणपति गिरिजा पुत्र को,
सिमरूँ बारम्बार ।
हाथ जोड़ विनती करूँ,
शारद नाम अधार । ।

॥ चौपाई ॥
जय जय जय गोरख अविनाशी,
कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी ।
जय जय जय गोरख गुणज्ञानी,
इच्छा रूप योगी वरदानी ॥

अलख निरंजन तुम्हरो नामा,
सदा करो भक्तन हित कामा ।
नाम तुम्हारा जो कोई गावे,
जन्म जन्म के दुःख नशावे ॥

जो कोई गोरक्ष नाम सुनावे,
भूत पिशाच निकट नहीं आवे ।
ज्ञान तुम्हारा  योग से पावे,
रूप तुम्हार लख्या ना जावे ॥

निराकार तुम हो निर्वाणी,
महिमा तुम्हरी वेद बखानी ।
घट घट के तुम अन्तर्यामी,
सिद्ध चौरासी करें प्रणामी ।
भस्म अङ्ग गले नाद विराजे,
जटा सीस अति सुन्दर साजे ॥

तुम बिन देव और नहीं दूजा,
देव मुनी जन करते पूजा ।
चिदानन्द सन्तन हितकारी,
मङ़्गल करे अमङ़्गल हारी ॥

पूरण ब्रह्म सकल घट वासी,
गोरक्षनाथ सकल प्रकासी ।
गोरक्ष गोरक्ष जो कोई ध्यावे,
ब्रह्म रूप के दर्शन पावे ॥

शङ़्कर रूप धर डमरू बाजे,
कानन कुण्डल सुन्दर साजे ।
नित्यानन्द है नाम तुम्हारा,
असुर मार भक्तन रखवारा ।
अति विशाल है रूप तुम्हारा,
सुर नर मुनि जन पावं न पारा ॥

दीन बन्धु दीनन हितकारी,
हरो पाप हम शरण तुम्हारी ।
योग युक्ति में हो प्रकाशा,
सदा करो सन्तन तन वासा ॥

प्रातःकाल ले नाम तुम्हारा,
सिद्धि बढ़े अरु  योग प्रचारा ।
हठ हठ हठ गोरक्ष हठीले,
मार मार वैरी के कीले ॥

चल चल चल गोरक्ष विकराला,
दुश्मन मान करो बेहाला ।
जय जय जय गोरक्ष अविनासी,
अपने जन की हरो चौरासी ॥

अचल अगम हैं गोरक्ष योगी,
सिद्धि देवो हरो रस भोगी ।
काटो मार्ग यम की तुम आई,
तुम बिन मेरा कौन सहाई ॥

अजर अमर है तुम्हरो देहा,
सनकादिक सब जोहहिं नेहा ।
कोटि न रवि सम तेज तुम्हारा,
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥

योगी लखें तुम्हारी माया,
पार ब्रह्म से ध्यान लगाया ।
ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे,
अष्ट सिद्धि नव निधि घर पावे ॥

शिव गोरक्ष है नाम तुम्हारा,
पापी दुष्ट अधम को तारा ।
अगम अगोचर निर्भय नाथा,
सदा रहो सन्तन के साथा ॥

शङ़्कर रूप अवतार तुम्हारा,
गोपीचन्द भर्तृहरि को तारा ।
सुन लीजो गुरु अरज हमारी,
कृपा सिन्धु योगी ब्रह्मचारी ॥

पूर्ण आस दास की कीजे,
सेवक जान ज्ञान को दीजे ।
पतित पावन अधम अधारा,
तिनके हेतु तुम लेत अवतारा ।
अलख निरंजन नाम तुम्हारा,
अगम पंथ जिन  योग प्रचारा ॥

जय जय जय गोरक्ष भगवाना,
सदा करो भक्तन कल्याना ।
जय जय जय गोरक्ष अविनाशी,
सेवा करें सिद्ध चौरासी ।
जो पढ़ही गोरक्ष चालीसा,
होय सिद्ध साक्षी जगदीशा ॥

बारह पाठ पढ़े नित्य जोई,
मनोकामना पूरण होई ।
और श्रद्धा से रोट चढ़ावे,
हाथ जोड़कर ध्यान लगावे ॥

॥ दोहा ॥
सुने सुनावे प्रेमवश,
पूजे अपने हाथ
मन इच्छा सब कामना,
पूरे गोरक्षनाथ ॥

अगम अगोचर नाथ तुम,
पारब्रह्म अवतार ।
कानन कुण्डल सिर जटा,
अंग विभूति अपार ॥

सिद्ध पुरुष योगेश्वरों,
दो मुझको उपदेश ।
हर समय सेवा करूँ,
सुबह शाम आदेश ॥

|| Shree Goraksh Chalisa PDF ||

॥ Doha॥
ganapati girija putr ko,
simaroon baarambaar॥
haath jod vinatee karoon,
sharad naam aadhaar॥

॥Chaupaee॥
jay jay jay gorakh sanaatanee,
krpa karo gurudev prakaashee॥
jay jay jay gorakh gunagaani,
ichchha roop yogee bhooshanee

alakh niranjan tummharo naama,
sada bhakt karo hit kaam॥
naam lipi jo koee gaave,
janm janm ke duhkh nashaave 

jo koee goraksh naam sunaave,
bhoot pishaach nikat nahin aave॥
gyaan adhyayan yog se paave,
roop tumhaar lakkhya na jaave॥

niraakaar tum ho nirvaan,
mahima tumhaaree ved bakhaanee॥
ghaat-ghaat ke tum antaryaamee,
siddh chauraasee kee pustak॥
bhasm ang gale naad viraaje,
jata sees ati sundar saaje॥

tum bin dev aur nahin dooja,
dev muni jan pooja karen॥
chidaanand santan hitakaaree,
mangal kare mangal haaree ॥

pooran brahm sakal ghat vaasee,
gorakshanaath sakal prakaasee॥
goraksh goraksh jo koee dhyaave,
brahm roop ke darshan paave॥

shankar roop dhar damaroo baaje,
kaanan kundal sundar saaje॥
nityaanand hai naam prabhu,
asur maar bhaktan rakhavaara॥
ati vishaal hai mitr,
sur nar muni jan paavan na paara॥

deen bandhu deenan hitakaaree,
haro paap ham sharanaagati॥
yog yukti mein ho prakaasha,
sada karo santan tan vaasa॥

praatahkaal le naam lipi,
siddhi mile aru yog prachaar॥
hath hath hath goraksh hathile,
maar maar vairee ke keele ॥

chal chal chal chal goraksh vikaraala,
dushman man karo behaal॥
jay jay jay goraksh ahinsa,
apane jan kee haro chauraasee॥

achal agam hain goraksh yogee,
siddhi dev haro ras bhogee॥
kaato maarg yam kee tum aaee,
tum bin mera kaun sahaee ॥

ajar amar hai tummharo deha,
sanakaadik sab johahin nyo॥
koti na ravi sam tej gati,
prasiddh jagat ujiyaara hai॥

yogee laakhen vivaah maaya,
paar brahm se dhyaan॥
dhyaan dev jo koee laave,
asht siddhi nav nidhi ghar paave॥

shiv goraksh naam hai ladakee,
paapee dusht adham ko taara॥
agam agochar nirbhay naatha,
sada raho santan ke saath॥

shankar roop avataar gareeb,
gopeechand bhartrhari ko taara॥
sun leejo guru araj hamaaree,
krpa sindhu yogee brahmachaaree ॥

poorn aas daas keeje,
sevak jan gyaan ko de do॥
patit paavan adham adhaara,
tinake saath tum lete avataar॥
alakh niranjan naam lipi,
agam panth jin yog prachaara॥

jay jay jay goraksh bhagavaan,
sada karo bhakt kalyaan॥
jay jay jay goraksh sanaatanee,
seva karen siddh chauraasee॥
jo padhe vahee goraksh chaaleesa,
hoy siddh saakiti jagadeesha ॥

baarahavaan paath padha nity joee,
man puraan hoee ॥
aur shraddha se rota chadhaave,
haath jod dhyaan lagaave ॥

॥ Doha॥
sune sunaave premavash,
apane haath kee pooja karen
man kee ichchha sab kee ichchha,
sampoorn gorakshanaath ॥

agam agochar naath tum,
paarabrahm avataar॥
kaanan kundal sir jaata,
ang vibhooti apaara॥

siddh purush yogeshvaron,
do mujhe upadesh॥
har samay seva karoon,
praatah saayan aadesh ॥


श्री गोरक्ष चालीसा के लाभ

श्री गोरक्ष चालीसा – गोरखनाथ मठ (Goraksh Chalisa) का पाठ करने के कई लाभ होते हैं, जो आध्यात्मिक, मानसिक, शारीरिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। आइए इन लाभों को विस्तार से समझें:

आध्यात्मिक लाभ

आध्यात्मिक जागृति: श्री गोरक्ष चालीसा का पाठ करते हुए साधक की आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। यह चालीसा साधक को उसके आंतरिक आत्मा से जोड़ने में मदद करती है।

शांति और संतुलन: नियमित पाठ से साधक के मन में शांति और संतुलन स्थापित होता है। यह उसे मानसिक अशांति और तनाव से मुक्ति दिलाने में सहायक है।

ईश्वर के प्रति भक्ति: श्री गोरक्ष चालीसा के माध्यम से साधक अपने ईश्वर के प्रति भक्ति को और भी मजबूत करता है। यह उसे अपने जीवन के हर पहलू में ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव करने में मदद करता है।

    मानसिक लाभ

    तनाव मुक्ति: श्री गोरक्ष चालीसा का नियमित पाठ मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। यह मस्तिष्क को शांति और सुकून प्रदान करता है।

    सकारात्मक विचारधारा: श्री गोरक्ष चालीसा सकारात्मक विचारों को प्रोत्साहित करती है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति दिलाती है। इससे साधक का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।

    ध्यान और एकाग्रता: श्री गोरक्ष चालीसा का पाठ करने से ध्यान और एकाग्रता की क्षमता में सुधार होता है। यह मस्तिष्क को एकाग्र और स्थिर रखने में सहायक है।

      शारीरिक लाभ

      स्वास्थ्य में सुधार: श्री गोरक्ष चालीसा का नियमित पाठ शरीर के ऊर्जा चक्रों को संतुलित करता है, जिससे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

      शक्ति और उत्साह: श्री गोरक्ष चालीसा शरीर में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है। इससे साधक को शारीरिक रूप से ताकत और स्फूर्ति का अनुभव होता है।

      रोग प्रतिरोधक क्षमता: श्री गोरक्ष चालीसा का पाठ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे साधक को बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।

        सामाजिक लाभ

        सामाजिक एकता: श्री गोरक्ष चालीसा का सामूहिक पाठ सामाजिक एकता और समरसता को बढ़ावा देता है। यह लोगों के बीच प्रेम, सद्भावना और सहयोग की भावना को प्रबल करता है।

        सकारात्मक परिवेश: श्री गोरक्ष चालीसा का पाठ करने से आसपास का परिवेश सकारात्मक और सुखद हो जाता है। यह परिवार और समाज में खुशी और समृद्धि लाने में सहायक है।

        नैतिक मूल्य: श्री गोरक्ष चालीसा साधक को उच्च नैतिक मूल्य और आदर्शों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। यह उसे सच्चाई, ईमानदारी और सेवा की भावना को बढ़ावा देती है।

          गोरक्ष चालीसा के विशेष लाभ

          मंत्रों की शक्ति: श्री गोरक्ष चालीसा में वर्णित मंत्रों की शक्ति अद्वितीय होती है। यह मंत्र साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।

          आध्यात्मिक मार्गदर्शन: श्री गोरक्ष चालीसा गोरखनाथ जी के उपदेशों और शिक्षाओं पर आधारित होती है, जो साधक को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करती है।

          कठिनाइयों से मुक्ति: श्री गोरक्ष चालीसा साधक को जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है। यह उसे हर संकट में धैर्य और साहस प्रदान करती है।

            जीवन में सकारात्मकता

            मन की शांति: श्री गोरक्ष चालीसा का पाठ मन को शांत और स्थिर रखने में मदद करता है। यह साधक को मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।

            आत्मविश्वास में वृद्धि: श्री गोरक्ष चालीसा साधक के आत्मविश्वास को बढ़ाती है, जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना आत्मविश्वास से कर सकता है।

            अवरोधों का निवारण: श्री गोरक्ष चालीसा का पाठ जीवन में आने वाले अवरोधों और बाधाओं को दूर करने में सहायक है।

              पारिवारिक सुख-समृद्धि

              पारिवारिक सौहार्द: श्री गोरक्ष चालीसा का नियमित पाठ परिवार में सौहार्द और प्रेम को बढ़ावा देता है। यह परिवार के सदस्यों के बीच आपसी समझ और सहयोग को प्रबल करता है।

              समृद्धि और सुख: श्री गोरक्ष चालीसा का पाठ परिवार में समृद्धि और सुख-शांति लाता है। यह साधक के परिवार को धन, स्वास्थ्य और खुशियों से भरपूर करता है।

              विवाहिक जीवन में सुख: श्री गोरक्ष चालीसा विवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि को बनाए रखने में सहायक है। यह पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण की भावना को बढ़ावा देती है।

                ध्यान और साधना

                ध्यान की गहराई: श्री गोरक्ष चालीसा का पाठ ध्यान और साधना की गहराई को बढ़ाता है। यह साधक को उसकी आंतरिक शांति और सुकून की अनुभूति कराता है।

                साधना में सफलता: श्री गोरक्ष चालीसा साधना के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक है। इससे साधक को उसकी साधना में सफलता प्राप्त होती है।

                आध्यात्मिक अनुभव: श्री गोरक्ष चालीसा का पाठ साधक को गहन आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। यह उसे आत्म-साक्षात्कार की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है।

                  ध्यान केंद्रित करने में सहायता

                  एकाग्रता में सुधार: श्री गोरक्ष चालीसा का पाठ साधक की एकाग्रता क्षमता में सुधार करता है। यह मस्तिष्क को स्थिर और एकाग्र बनाता है।

                  आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार: श्री गोरक्ष चालीसा साधक की आध्यात्मिक ऊर्जा को प्रबल करती है, जिससे वह ध्यान में गहराई से प्रवेश कर सकता है।

                  मन की शांति: श्री गोरक्ष चालीसा का पाठ साधक के मन को शांत और स्थिर रखता है, जिससे ध्यान में सफलता प्राप्त होती है।

                    श्री गोरक्ष चालीसा का नियमित पाठ साधक को शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक लाभ प्रदान करता है। श्री गोरक्ष चालीसा न केवल साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है, बल्कि उसके परिवार और समाज को भी सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करती है। श्री गोरक्ष चालीसा के पाठ से साधक अपने जीवन के हर पहलू में संतुलन और शांति को अनुभव करता है, जिससे उसका जीवन अधिक सृजनशील और समृद्ध बनता है।

                    श्री गोरक्ष चालीसा का पाठ करने से प्राप्त होने वाले लाभ न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक रूप से भी महत्वपूर्ण होते हैं, जो एक सशक्त और समृद्ध समाज की स्थापना में सहायक होते हैं।

                    Hemlata
                    Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
                    Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
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