गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa Pdf), हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र धार्मिक ग्रंथ है, जो भगवान गणेश की आराधना के लिए विशेष रूप से लिखा गया है। गणेश जी, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है, उनके गुण और महिमा को दर्शाने के लिए यह चालीसा तैयार की गई है।
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गणेश चालीसा, चौबीस पंक्तियों में भगवान गणेश की पूजा, उनकी शक्ति और उनके आशीर्वाद की महिमा का वर्णन करती है। इस ग्रंथ में गणेश जी की विशेषताओं, उनकी पूजा के महत्व, और भक्तों को उनसे मिलने वाले लाभों का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह चालीसा भक्तों को मानसिक शांति, विघ्नों से मुक्ति, और जीवन की कठिनाइयों से उबरने में मदद करती है।
गणेश चालीसा का पाठ भक्तों के लिए एक शक्तिशाली साधना का माध्यम है, जो न केवल आध्यात्मिक उन्नति को बढ़ावा देती है, बल्कि जीवन के हर पहलू में सुख, समृद्धि और सफलता भी प्रदान करती है। इसे दैनिक या विशेष अवसरों पर पढ़ने से गणेश जी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में हर बाधा और कठिनाई को दूर करता है।
इस प्रकार, गणेश चालीसा एक साधना और पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति, समृद्धि, और खुशहाली प्राप्त करने में सहायता करती है।
- हिंदी / संस्कृत
- English
|| गणेश चालीसा ||
Ganesh Chalisa PDF in Hindi
॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥
राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सन्मान ॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,
ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो,
मंगल मूर्ती गणेश ॥
|| Ganesh Chalisa PDF ||
Ganesh Chalisa PDF in English
॥ Doha ॥
Jay ganapati sadagun svaamee,
Kavivar aasheervaad ॥
Vighn haran mangal karana,
Jay jay girijaalaal ॥
॥ Chaupaee ॥
jay jay jay ganapati ganaraajoo ॥
mangal arpan karan shubhah kaajoo ॥
jay gajabadan sadan sukhadaata ॥
vishv vinaayaka buddhi vidhaata ॥
svar tund shuchi shund suhaavana ॥
tilak tripund bhaal man bhaavan ॥
raajat mani muktan ur mangal ॥
svarnamukut shree nayan vishaala ॥
pustak paanee kuthaar trishoolan ॥
modak bhog sugandhit phoolan ॥
sundar peetaambar tan saajit ॥
charan paaduka muni man raajit ॥
dhani shiv suvan shadaanan bhraata ॥
gauree laalan vishvavikhyaata ॥
rddhi-siddhi tav chanvar sudhaare ॥
mushaak vaahan sohat dvaare ॥
kahau janm shubh katha vivaah ॥
ati shuchi pavan mangalakaaree ॥
ek samay giriraaj kumaaree ॥
putr vikaas tap keenha bhaaree ॥ 10 ॥
bhayo yagy jab poorn anupama ॥
tab pahunchyo tum dhari dvij roopa ॥
mehamaan jaanee ke gauree sukhaaree ॥
bahuvidhi seva kari vivaah ॥
ati prasannachitt tum var deenha ॥
maatu putr hit jo tap keenha ॥
milahi putr tuhi, buddhi vishaala ॥
bina garbh dhaaran yah kaala ॥
gananaayak gun gyaan nidhaana ॥
poojit pratham roop bhagavaana ॥
as kahi antardhaan roop havai ॥
paalana par aayurvigyaan sandarbh haavai ॥
banee instityoot rudan jabahin tum thaana ॥
lakhi mukh sukh nahin gauree samaana ॥
sakal magan, sukhamangal gaavahin ॥
nabh te suran, suman varshavaahahin ॥
shambhu uma bahudaan lutaavahin ॥
sur munijan, sut dekhan avahin ॥
lakhee ati aanand mangal saaja ॥
dekhiye bhee aaye shani raaja ॥ 20 ॥
nij avagun gunee shani man maaheen ॥
baalak, dekhan chaahat nahin ॥
girija kachhu man bhed bhayayo ॥
utsav mor, na shani tuhee bhayo ॥
kahat lage shani, man sukhaee ॥
ka karihau, shishu mohi prakat ॥
nahin vishvaas, uma ur bhayau ॥
shani son baalak dekhan kahayau ॥
padatahin shani dig kon prakaasha ॥
baalak sir udi gayo aakaasha ॥
girija giree vikal havai dharanee ॥
so duhkh dasha gayo nahin varanee ॥
haahaakaar machayau kailaas ॥
shani keenhon lakkhee sut ko naasha ॥
turat garud chadhaee vishnu siddhayo ॥
kati chakr so gaj sir laaye ॥
bachche ke dhad oopar dharayo ॥
praan mantr vidya shankar darayo ॥
naam ganesh shambhu tab keenhe ॥
pratham poojy buddhi nidhi, var deenhe ॥ 30 ॥
buddhi pareekshan jab shiv keenha ॥
prthvee kar pradakshina leenha ॥
chale shadaanan, bharami bhayaee ॥
rache baithe tum buddhi upaee ॥
charan maatu-pitu ke dhar leenhen ॥
tinake saat pradakshin kinhen ॥
dhani ganesh kahi shiv haye harshe ॥
nabh te suran suman bahu barase ॥
tumhaaree mahima buddhi badaee ॥
shesh sahasamukh sake na gaee ॥
main matiheen maleen dukhaaree ॥
karahoon kaun vidhi vinee vivaah ॥
bhajat raamasundar prabhudaasa ॥
jag prayaag, kaakara, durvaasa ॥
ab prabhu daya deena par keejai ॥
apanee shakti bhakti kuchh deejai ॥ 38 ॥
॥ Doha ॥
shree ganesh yah chaaleesa,
paath karai kar dhyaan ॥
nit nav mangal grh basai,
lahe jagat sanmaan ॥
sambandhit apane sahastr dash,
rshi panchamee din ॥
poorn chaaleesa bhayo,
mangal moorti ganesh ॥
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Ganesh Chalisa Benefits
गणेश चालीसा के लाभ
गणेश चालीसा, श्री गणेश जी की आराधना के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है, जो चालीस श्लोकों में उनकी महिमा, गुण, और उपासना का वर्णन करता है। यह धार्मिक काव्य विशेष रूप से भारत के हिन्दू समाज में अत्यधिक सम्मानित है। गणेश चालीसा का पाठ करने के कई लाभ बताए जाते हैं, जो कि व्यक्ति के जीवन को सुखमय और समृद्ध बना सकते हैं।
1. मानसिक शांति और तनाव में कमी
गणेश चालीसा का नियमित पाठ मानसिक शांति और तनाव में कमी लाने में सहायक होता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और शांतिदायक माना जाता है। चालीसा का पाठ करते समय मन की एकाग्रता बढ़ती है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है।
2. विघ्नों और समस्याओं का समाधान
गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है। गणेश चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में आने वाली बाधाओं और समस्याओं का समाधान होता है। गणेश जी की उपासना से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के मार्ग प्रशस्त होते हैं, चाहे वह शिक्षा, व्यवसाय, या व्यक्तिगत जीवन हो।
3. शिक्षा और बुद्धि में वृद्धि
गणेश चालीसा का पाठ करने से बुद्धि, ज्ञान, और समझदारी में वृद्धि होती है। गणेश जी को बुद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। विशेष रूप से छात्रों और शिक्षार्थियों के लिए गणेश चालीसा का पाठ फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह उनकी मानसिक क्षमता को बढ़ाता है और पढ़ाई में मन लगाता है।
4. स्वास्थ्य में सुधार
गणेश चालीसा का नियमित पाठ और गणेश जी की आराधना से स्वास्थ्य में भी सुधार देखा जा सकता है। मानसिक शांति और तनाव में कमी होने के कारण शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त, गणेश जी की पूजा से रोगों और बीमारियों से बचाव में भी सहायता मिलती है।
5. आर्थिक समृद्धि और लाभ
गणेश जी को समृद्धि और धन के देवता भी माना जाता है। गणेश चालीसा का पाठ आर्थिक समृद्धि में वृद्धि कर सकता है। यह व्यक्ति को धन और संसाधनों के प्रबंधन में सहायता प्रदान करता है और आर्थिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
6. वैवाहिक और पारिवारिक सुख
गणेश चालीसा का पाठ पारिवारिक सुख और वैवाहिक जीवन में भी सुधार ला सकता है। यह परिवार में सुख-शांति और प्रेम बनाए रखने में सहायक होता है। गणेश जी की आराधना से वैवाहिक समस्याओं का समाधान होता है और परिवार में समझदारी और सामंजस्य बढ़ता है।
7. सामाजिक और पेशेवर सफलता
गणेश चालीसा का पाठ सामाजिक और पेशेवर जीवन में भी सफलता दिलाने में सहायक होता है। यह व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान दिलाने और पेशेवर क्षेत्र में उन्नति करने में मदद करता है। गणेश जी की आराधना से कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के रास्ते खुलते हैं।
8. जीवन की दिशा और उद्देश्य
गणेश चालीसा का पाठ जीवन में दिशा और उद्देश्य प्राप्त करने में भी सहायक होता है। यह व्यक्ति को अपनी प्राथमिकताओं को समझने और अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। गणेश जी की उपासना से जीवन के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा स्पष्ट होती है।
9. आत्म-विश्वास में वृद्धि
गणेश चालीसा का नियमित पाठ आत्म-विश्वास को बढ़ाने में मदद करता है। गणेश जी की उपासना से व्यक्ति के अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो आत्म-विश्वास को बढ़ाता है और जीवन में चुनौतियों का सामना करने की क्षमता को मजबूत करता है।
10. मनोबल और दृढ़ता
गणेश चालीसा का पाठ व्यक्ति के मनोबल और दृढ़ता को बढ़ाता है। गणेश जी की उपासना से व्यक्ति में साहस और हिम्मत आती है, जिससे वह जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना बेहतर तरीके से कर सकता है। यह मनोबल को मजबूत बनाता है और समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुलझाने की क्षमता प्रदान करता है।
11. आत्म-संयम और अनुशासन
गणेश चालीसा का नियमित पाठ आत्म-संयम और अनुशासन को भी बढ़ावा देता है। गणेश जी की उपासना से व्यक्ति में आत्म-नियंत्रण और अनुशासन की भावना उत्पन्न होती है, जो जीवन को व्यवस्थित और प्रबंधित करने में मदद करती है।
12. अनिष्ट और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
गणेश चालीसा का पाठ व्यक्ति को अनिष्ट और नकारात्मक ऊर्जा से बचाने में सहायक होता है। गणेश जी की पूजा से बुरी शक्तियों और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति की ऊर्जा सकारात्मक रहती है और जीवन में अशांति का प्रभाव कम होता है।
13. संतान सुख और संतान की सुख-समृद्धि
गणेश चालीसा का पाठ संतान सुख और संतान की सुख-समृद्धि में भी सहायक होता है। गणेश जी को संतान सुख और संतान की सुरक्षा का देवता माना जाता है। गणेश चालीसा के पाठ से संतान की शिक्षा, स्वास्थ्य और सफलता में सुधार होता है और परिवार में खुशी बनी रहती है।
14. धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति
गणेश चालीसा का पाठ धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति को धार्मिक मान्यताओं और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रति जागरूक करता है। गणेश जी की उपासना से व्यक्ति की धार्मिकता और आध्यात्मिकता में वृद्धि होती है और वह ईश्वर के करीब पहुंचता है।
15. सुख-समृद्धि और सुखद जीवन
गणेश चालीसा का नियमित पाठ सुख-समृद्धि और सुखद जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति को जीवन में खुशहाली और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है और जीवन की हर स्थिति में संतोष और खुशी बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
16. जीवन में सकारात्मकता
गणेश चालीसा का पाठ जीवन में सकारात्मकता को बढ़ावा देता है। गणेश जी की उपासना से व्यक्ति की सोच सकारात्मक होती है और वह जीवन की कठिनाइयों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने लगता है। यह मानसिक स्थिति जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है।
17. ध्यान और साधना में सहायता
गणेश चालीसा का नियमित पाठ ध्यान और साधना में भी सहायक होता है। गणेश जी की उपासना से ध्यान लगाने की क्षमता में वृद्धि होती है और साधना के दौरान एकाग्रता बनी रहती है। यह ध्यान की गहराई को बढ़ाता है और आध्यात्मिक अनुभव को सशक्त करता है।
18. शुभकामनाओं और आशीर्वाद का प्राप्ति
गणेश चालीसा का पाठ शुभकामनाओं और आशीर्वाद की प्राप्ति में भी सहायक होता है। गणेश जी की उपासना से व्यक्ति को ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि को सुनिश्चित करता है।
19. भौतिक और आध्यात्मिक संतुलन
गणेश चालीसा का पाठ भौतिक और आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होता है। यह व्यक्ति को जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक पहलुओं को संतुलित तरीके से जीने की प्रेरणा देता है, जिससे जीवन में एकरूपता और सामंजस्य बनता है।
20. जीवन की कठिनाइयों से उबरना
गणेश चालीसा का पाठ जीवन की कठिनाइयों से उबरने में भी सहायक होता है। गणेश जी की उपासना से व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलने की शक्ति और क्षमता प्राप्त होती है, और जीवन की समस्याओं का समाधान अधिक आसान होता है।
21. शांति और आंतरिक सुकून
गणेश चालीसा का नियमित पाठ आंतरिक शांति और सुकून प्रदान करता है। यह व्यक्ति के अंदर गहरी मानसिक शांति का अनुभव कराता है और जीवन के हर पहलू में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
22. साधना और पूजा की नियमितता
गणेश चालीसा का पाठ पूजा और साधना की नियमितता को बनाए रखने में भी सहायक होता है। यह व्यक्ति को धार्मिक अनुशासन में बनाए रखता है और नियमित पूजा और साधना के अभ्यास को प्रोत्साहित करता है।
गणेश चालीसा का पाठ न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि यह जीवन के विभिन्न पहलुओं में सकारात्मक परिवर्तन लाने में भी सहायक होता है। इसके नियमित पाठ से मानसिक शांति, विघ्नों का नाश, बुद्धि में वृद्धि, स्वास्थ्य में सुधार, और आर्थिक समृद्धि जैसी अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। गणेश जी की उपासना से व्यक्ति को जीवन की हर स्थिति में खुशी, सफलता, और संतोष प्राप्त होता है।
FAQs – Ganesh Chalisa in Hindi PDF
गणेश चालीसा किसने लिखा था?
गणेश चालीसा के रचयिता राम सुन्दर प्रभु दास हैं, जिनका उल्लेख भजन में किया गया है, लेकिन आमतौर पर यह माना जाता है कि 16वीं शताब्दी में रहने वाले सुप्रसिद्ध कवि और संत तुलसीदास ने भी इसे लिखा था। तुलसीदास जी ने अपने भजनों और स्तुतियों के माध्यम से हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और गणेश चालीसा भी उनके द्वारा रचित प्रमुख स्तुतियों में से एक मानी जाती है।
गणेश चालीसा का इतिहास क्या है?
गणेश चालीसा का इतिहास बहुत पुराना है और यह हिंदू धर्म की समृद्ध धार्मिक परंपराओं में गहराई से जुड़ा हुआ है। इसके रचयिता के रूप में राम सुन्दर प्रभु दास का नाम आता है, लेकिन कई विद्वानों का मानना है कि यह महान संत तुलसीदास द्वारा भी रचित हो सकता है। तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में भगवान गणेश की स्तुति की है, जिससे यह मान्यता भी स्थापित होती है।
गणेश चालीसा का पाठ करने के नियम क्या हैं?
गणेश चालीसा का पाठ करते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए:
शुद्धता का ध्यान रखें।
शांत और एकाग्र मन से पाठ करें।
नियमित रूप से पाठ करने की आदत डालें।
पाठ करते समय भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें।
गणेश जी का असली नाम क्या है?
गणेश जी का असली नाम “गणपति” है। उन्हें विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे विनायक, लंबोदर, एकदंत, वक्रतुंड आदि। उनका प्रत्येक नाम उनके किसी विशेष गुण या विशेषता को दर्शाता है।
गणेश जी का शक्तिशाली मंत्र क्या है?
गणेश जी का सबसे शक्तिशाली मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” है। यह मंत्र भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक प्रभावी माना जाता है। इस मंत्र का नियमित जप करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और सफलता प्राप्त होती है।
गणेश चालीसा: हर बुधवार को करें गणेश चालीसा का पाठ, हर इच्छा पूरी करेंगे गणपति
गणेश चालीसा का महत्व: गणेश चालीसा भगवान गणेश की स्तुति में लिखा गया एक महत्वपूर्ण भजन है। इसमें 40 श्लोक होते हैं, जो भगवान गणेश के गुणों और उनके दिव्य कार्यों का वर्णन करते हैं। गणेश चालीसा का नियमित पाठ करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और सफलता प्राप्त होती है।
हर बुधवार को गणेश चालीसा का पाठ: गणेश जी को बुधवार का दिन विशेष रूप से प्रिय है। इसलिए हर बुधवार को गणेश चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यह माना जाता है कि बुधवार को गणेश चालीसा का पाठ करने से भगवान गणेश सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं।
गणेश चालीसा का पाठ कैसे करें:
तैयारी:
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को साफ कर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
दीपक जलाएं और धूपबत्ती (अगरबत्ती) अर्पित करें।
सामग्री:
ताजे फूल, विशेषकर लाल और पीले रंग के फूल अर्पित करें।
फल, मिठाई (जैसे मोदक), और जल भगवान गणेश को अर्पित करें।
यदि संभव हो तो माला (prayer beads) का उपयोग करें।
मंत्र उच्चारण:
आराम से बैठकर आँखें बंद करें।
“ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।