Thursday, September 19, 2024
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गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि (Gananaykay Gandevatay Ganadhyakshay Dheemahi)

गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि (Gananaykay Gandevatay Ganadhyakshay Dheemahi) एक प्रसिद्ध मंत्र है जो भगवान गणेश की स्तुति में गाया जाता है। भगवान गणेश को हिन्दू धर्म में विघ्नहर्ता और मंगलमूर्ति के रूप में पूजनीय माना जाता है। वे बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता हैं और हर शुभ कार्य के प्रारंभ में उनकी आराधना की जाती है।

मंत्र का अर्थ है:

  • गणनायकाय: जो गणों के नायक हैं।
  • गणदेवताय: जो गणों के देवता हैं।
  • गणाध्यक्षाय: जो गणों के अध्यक्ष हैं।
  • धीमहि: हम उनका ध्यान करते हैं।

भगवान गणेश का स्वरूप और उनका महत्व: भगवान गणेश की पूजा हर शुभ कार्य से पहले की जाती है क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं, अर्थात वे सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में पाश, दूसरे में अंकुश, तीसरे में मोदक और चौथे हाथ में आशीर्वाद मुद्रा होती है। उनका मुख हाथी का होता है और उनकी सवारी मूषक (चूहा) होती है।

गणेश चतुर्थी और अन्य त्यौहार: गणेश चतुर्थी भगवान गणेश का प्रमुख त्यौहार है, जो भारत के विभिन्न भागों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है और दस दिनों तक विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना की जाती है। इस त्यौहार के दौरान भक्त गणेश जी के इस मंत्र का जप करते हैं और उनसे बुद्धि, समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व: भगवान गणेश का मंत्र “गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि” न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। यह मंत्र हमारी आस्था और भक्ति का प्रतीक है और इसे गाने से मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यह मंत्र विशेषकर बच्चों को पढ़ाई में सफलता और बड़े लोगों को जीवन की कठिनाइयों से पार पाने में मदद करता है।

समाज में भगवान गणेश की प्रतिष्ठा: भगवान गणेश को हर व्यक्ति की दिनचर्या में महत्व दिया जाता है। उनकी मूर्तियाँ और चित्र लगभग हर घर और कार्यालय में पाए जाते हैं। वे न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में भी गहरे से जुड़े हुए हैं। उनका यह मंत्र भक्तों को एकता और समृद्धि का संदेश देता है और जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है।

इस प्रकार, “गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि” मंत्र भगवान गणेश की स्तुति और आशीर्वाद प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसके माध्यम से भक्त भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करते हैं और जीवन में सफलता और समृद्धि का अनुभव करते हैं।


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|| गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि ||

गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि ।
गुणशरीराय गुणमण्डिताय गुणेशानाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि ।
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

गानचतुराय गानप्राणाय गानान्तरात्मने,
गानोत्सुकाय गानमत्ताय गानोत्सुकमनसे ।
गुरुपूजिताय गुरुदेवताय गुरुकुलस्थायिने,
गुरुविक्रमाय गुह्यप्रवराय गुरवे गुणगुरवे ।
गुरुदैत्यगलच्छेत्रे गुरुधर्मसदाराध्याय,
गुरुपुत्रपरित्रात्रे गुरुपाखण्डखण्डकाय ।


गीतसाराय गीततत्त्वाय गीतगोत्राय धीमहि,
गूढगुल्फाय गन्धमत्ताय गोजयप्रदाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि,
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

ग्रन्थगीताय ग्रन्थगेयाय ग्रन्थान्तरात्मने,
गीतलीनाय गीताश्रयाय गीतवाद्यपटवे ।
गेयचरिताय गायकवराय गन्धर्वप्रियकृते,
गायकाधीनविग्रहाय गङ्गाजलप्रणयवते ।
गौरीस्तनन्धयाय गौरीहृदयनन्दनाय,
गौरभानुसुताय गौरीगणेश्वराय ।

गौरीप्रणयाय गौरीप्रवणाय गौरभावाय धीमहि,
गोसहस्राय गोवर्धनाय गोपगोपाय धीमहि ।
गुणातीताय गुणाधीशाय गुणप्रविष्टाय धीमहि,
एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि ।
गजेशानाय भालचन्द्राय श्रीगणेशाय धीमहि ॥

|| Gananaykay Gandevatay Ganadhyakshay Dheemahi ||

Gananaayakaay ganeshadevataay ganaadhyakshaay dheemahi॥
Gunashareeraay gunamanditaay guneshaanaay dheemahi॥
Gunateetaay gunaadhishaay gunapravishtaay dheemahi॥
Ekadantaay vajatundaay gaureetanyaay dheemahi॥
Gajeshanaay bhaalachandraay shreeganeshaay dheemahi॥

Ganachaturaay ganapraanaay gaanaantaraatmane,
Ganotsukaay gaanamattay ganotsukamanase॥
Gurupoojitaay gurudevataay gurukulasthaayine,
Guruvikramaay guhyapravaraay gurave gunagurave॥
Gurudaityagalachchhetre gurudharmasadaaraadhyaay,
Guruputraparitraatre gurupaakhandakhandakaay॥

Geetasaaraay geetatattvay geetagotraay dheemahi,
Gungulphaay gandhamaataay gojayapradaay dheemahi॥
Gunateetaay gunaadhishaay gunapravishtaay dheemahi॥
Ekadantaay vajatundaay gaureetanyaay dheemahi॥
Gajeshanaay bhaalachandraay shreeganeshaay dheemahi॥

Granthageetaay granthageyaay granthaantaraatmane,
Geetaleenaay geetaashrayaay geetavaadyapatave॥
Gaayacharitaay gaayakavaraay gandharvapriyakrte,
Gaayak adhinavigrahaay gangaajalapranayavate॥
Gaureestanandhaay gaureehrdayannandanaay,
Gauravabhaanasutaay gaureeganeshvaraay॥

Gaureepranyaay gaureepravaanaay gaurabhaavaay dheemahi,
Gosahasraay govardhanaay popagopaay dheemahi॥
Gunateetaay gunaadhishaay gunapravishtaay dheemahi॥
Ekadantaay vajatundaay gaureetanyaay dheemahi॥
Gajeshanaay bhaalachandraay shreeganeshaay dheemahi॥


गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि के लाभ

गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि मंत्र का जाप करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह मंत्र भगवान गणेश की स्तुति में गाया जाता है, जो विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि, तथा सफलता के देवता हैं। इस मंत्र के नियमित जाप से भक्तों को कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख लाभों का विवरण दिया जा रहा है:

मानसिक शांति और स्थिरता:

मंत्र का नियमित जाप करने से मन को शांति और स्थिरता मिलती है। यह तनाव और चिंता को दूर करने में सहायक होता है। मानसिक शांति के कारण व्यक्ति बेहतर निर्णय ले सकता है और जीवन की समस्याओं का सामना धैर्यपूर्वक कर सकता है।

बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति:

भगवान गणेश को बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से बुद्धि तीव्र होती है और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। छात्र और विद्या-अध्ययन में लगे लोग इस मंत्र का जाप करके अपनी पढ़ाई में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

विघ्नों का नाश:

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, अर्थात वे सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं। इस मंत्र का जाप करने से जीवन में आने वाले विघ्न और बाधाएँ दूर होती हैं और कार्य में सफलता प्राप्त होती है। विशेषकर नए कार्यों की शुरुआत में इस मंत्र का जाप अत्यंत शुभ माना जाता है।

समृद्धि और सुख-सम्पन्नता:

भगवान गणेश को समृद्धि और सुख-सम्पन्नता के देवता माना जाता है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और जीवन में खुशहाली आती है।

सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास:

मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यह मंत्र व्यक्ति को आत्म-संयम और आत्म-विश्वास प्रदान करता है, जिससे वह जीवन के कठिन समय में भी दृढ़ बना रहता है।

आध्यात्मिक विकास:

भगवान गणेश का यह मंत्र व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है। यह मंत्र साधक को ध्यान और साधना में गहराई प्रदान करता है और उसे आत्मज्ञान की ओर अग्रसर करता है।

परिवार और समाज में एकता:

इस मंत्र का जाप करने से परिवार और समाज में एकता और सौहार्द की भावना का विकास होता है। भगवान गणेश की कृपा से परिवार में प्रेम और सहयोग का वातावरण बनता है और सभी सदस्य मिलजुल कर रहते हैं।

रोगों से मुक्ति:

भगवान गणेश का यह मंत्र शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता है। इसके नियमित जाप से स्वास्थ्य में सुधार होता है और व्यक्ति ऊर्जा से भरा रहता है।

शुभता और मंगलकारी प्रभाव:

गणेश जी का यह मंत्र व्यक्ति के जीवन में शुभता और मंगलकारी प्रभाव लाता है। यह मंत्र हर कार्य में सफलता और शुभ फल की प्राप्ति कराता है।

ध्यान और मेडिटेशन में सहायता:

इस मंत्र का उच्चारण ध्यान और मेडिटेशन के समय करने से मन को एकाग्रता प्राप्त होती है और साधक गहरी ध्यान अवस्था में पहुँच सकता है।

इन सभी लाभों को प्राप्त करने के लिए “गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि” मंत्र का नियमित जाप अत्यंत फलदायी होता है। यह मंत्र जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।

“गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि” क्या है?

“गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि” एक महत्वपूर्ण मंत्र है जो गणेश जी की पूजा और आराधना में उपयोग किया जाता है। यह मंत्र गणेश जी को गणनायक, गणदेवता, और गणाध्यक्ष के रूप में पूजा करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए बोला जाता है।

“गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि” का क्या अर्थ है?

इस मंत्र का अर्थ है:

गणनायकाय: गणों का प्रमुख, गणों का नायक।
गणदेवताय: गणेश जी, जो गणों के देवता हैं।
गणाध्यक्षाय: गणों के अध्यक्ष, गणों के संरक्षक।
धीमहि: हम ध्यान करते हैं।

इस प्रकार, मंत्र का मतलब है कि हम गणेश जी, जो गणों के नायक और देवता हैं, के प्रति श्रद्धा और ध्यान करते हैं।

इस मंत्र का जाप कब और कैसे किया जाता है?

इस मंत्र का जाप गणेश चतुर्थी, गणेश उत्सव, या अन्य विशेष धार्मिक अवसरों पर किया जाता है। इसका जाप नियमित रूप से सुबह या शाम के समय किया जा सकता है। जाप के दौरान, एकाग्रता और श्रद्धा के साथ इस मंत्र को बोलना चाहिए।

इस मंत्र का उपयोग क्यों किया जाता है?

इस मंत्र का उपयोग गणेश जी की पूजा और आराधना के दौरान किया जाता है। इसे बोलने से भक्त गणेश जी की कृपा प्राप्त करते हैं, जो विघ्नहर्ता (विघ्नों को हटाने वाले) हैं। यह मंत्र समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है और गणेश जी की शक्ति और आशीर्वाद को आकर्षित करता है।

इस मंत्र से क्या लाभ होता है?

इस मंत्र के जाप से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं:

विघ्नों से मुक्ति: गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में आने वाली बाधाएँ और विघ्न दूर होते हैं।

सफलता: यह मंत्र सफलता, समृद्धि और उन्नति में सहायता कर सकता है।

ध्यान और शांति: मंत्र का जाप मानसिक शांति और ध्यान में सुधार करता है।

क्या इस मंत्र का कोई विशेष पूजा विधि है?

हां, इस मंत्र के जाप के दौरान विशेष पूजा विधि अपनाई जा सकती है:

स्वच्छता: पूजा स्थल और पूजा करने वाले व्यक्ति को स्वच्छ और पवित्र रखना चाहिए।

मंत्र जाप: मंत्र को नियमित रूप से जाप करें, 108 बार, विशेष रूप से गणेश चतुर्थी जैसे पर्वों पर।

अर्चना: गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर इस मंत्र का जाप करें और उन्हें फूल, फल, और दीपक अर्पित करें।

इस मंत्र की उपासना से कौन-कौन सी समस्याएँ दूर हो सकती हैं?

इस मंत्र की उपासना से निम्नलिखित समस्याएँ दूर हो सकती हैं:

जीवन की बाधाएँ और विघ्न: गणेश जी की पूजा से जीवन में आने वाली बाधाएँ और विघ्न दूर हो सकते हैं।

सामान्य समस्याएँ: व्यक्तिगत, पारिवारिक, या व्यवसायिक समस्याओं में सुधार हो सकता है।

धार्मिक उन्नति: यह मंत्र भक्ति और धार्मिक उन्नति में भी मदद कर सकता है।

Hemlata
Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
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