एकादशी माता की आरती (Ekadashi Mata Ki Aarti) एक अत्यंत प्रिय और पवित्र भजन है, जो विशेष रूप से एकादशी व्रत के दिन गाया जाता है। एकादशी माता, जिन्हें “एकादशी देवी” भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती हैं। यह आरती देवी एकादशी की पूजा-अर्चना का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भक्तों को उनके व्रत और धार्मिक कर्तव्यों में मदद करती है।
आरती का गान भक्तों की श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसमें एकादशी माता के गुण, उनके कृपा और उनके महत्व का गुणगान किया जाता है। यह आरती विशेष रूप से उन लोगों द्वारा गाई जाती है जो एकादशी के दिन उपवासी रहते हैं और देवी एकादशी से विशेष आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं।
आरती की शुरुआत ओम जय एकादशी के उद्घोष से होती है, जो भक्तों की भक्ति को व्यक्त करता है और एकादशी माता की पूजा में मनोबल और श्रद्धा को बढ़ाता है। इस आरती के माध्यम से भक्त अपनी आत्मा की शुद्धि और देवी के आशीर्वाद की प्राप्ति की कामना करते हैं।
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|| एकादशी माता की आरती ||
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥
||Ekadashi Mata Ki Aarti Lyrics||
Om Jay Ekadashi, Jay Ekadashi, Jay Ekadashi Mata.
Vishnu puja vrat ko dharan kar, shakti mukti pata.
Om Jay Ekadashi…
Tere naam gināūṁ devī, bhakti pradān karani.
Gan gaurav kī deni mātā, shāstroṁ meṁ varani.
Om Jay Ekadashi…
Mārgaśīrṣa ke kṛṣṇapakṣa kī utpannā, viśvatāranī janmī.
Śukla pakṣa meṁ huī mokṣadā, muktidātā ban āī.
Om Jay Ekadashi…
Pauṣ ke kṛṣṇapakṣa kī, saphalā nāmaka hai.
Śuklapakṣa meṁ hoy putradā, ānanda adhik rahai.
Om Jay Ekadashi…
Nāma ṣaṭatilā māgha māsa meṁ, kṛṣṇapakṣa āvai.
Śuklapakṣa meṁ jayā, kahāvai, vijaya sadā pāvai.
Om Jay Ekadashi…
Vijayā phāgun kṛṣṇapakṣa meṁ śuklā āmalakī.
Pāpamocanī kṛṣṇa pakṣa meṁ, caitra mahābalī kī.
Om Jay Ekadashi…
Caitra śukla meṁ nāma kāmadā, dhan dene vālī.
Nāma baruthinī kṛṣṇapakṣa meṁ, vaisākha māha vālī.
Om Jay Ekadashi…
Śukla pakṣa meṁ hoy mohinī aparā jyeṣṭha kṛṣṇapakṣī.
Nāma nirjalā sab sukh karanī, śuklapakṣa rakhi.
Om Jay Ekadashi…
Yogini naam aashaadh mein jaanon, krishnapaksh karani.
Devashayani naam kahayo, shuklapaksh dharani.
Om Jay Ekadashi…
Kaamika shraavan maas mein aavai, krishnapaksh kahiyai.
Shraavan shukla hoy pavitra, aanand se rahiye.
Om Jay Ekadashi…
Aja bhaadrapad krishnapaksh ki, parivartini shukla.
Indraa ashchin krishnapaksh mein, vrat se bhavsaagar nikala.
Om Jay Ekadashi…
Paapaankushaa hai shukla paksh mein, aap haranhaari.
Rama maas kaartik mein aavai, sukhadaayak bhaari.
Om Jay Ekadashi…
Devotthaanii shuklapaksh ki, dukhnaashak maiyaa.
Paavan maas mein karu vinati, paar karo naiyaa.
Om Jay Ekadashi…
Paramaa krishnapaksh mein hoti, jan mangal karani.
Shukla maas mein hoy padminii, dukh daaridra harani.
Om Jay Ekadashi…
Jo koi aarati ekadashi ki, bhakti sahit gaavai.
Jan guraditaa swarg ka vaasa, nishchay vah paavai.
Om Jay Ekadashi…
Ekadashi Mata Ki Aarti Video
Ekadashi Mata Ki Aarti Benefits
एकादशी माता की आरती के लाभ और इतिहास
लाभ
आध्यात्मिक लाभ: एकादशी माता की आरती के नियमित पाठ से भक्तों को आध्यात्मिक शांति और मानसिक सुकून प्राप्त होता है। यह आरती भक्तों को ध्यान और समर्पण की ओर प्रेरित करती है, जिससे उनकी आत्मा की शुद्धि होती है।
पाप नाश: एकादशी व्रत के साथ आरती का गान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत और आरती भक्तों को धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने और जीवन को संयमित बनाने में मदद करती है।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: व्रत के दौरान उपवासी रहने और आरती का गान करने से शरीर और मन की शुद्धि होती है। यह एक प्रकार का detoxification होता है, जो शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है और मानसिक तनाव को कम करता है।
धार्मिक कर्तव्यों की पूर्ति: एकादशी माता की आरती के माध्यम से भक्त अपने धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करते हैं और देवी एकादशी की कृपा प्राप्त करते हैं। यह उनके जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
परिवारिक समृद्धि: एकादशी माता की आरती और व्रत के पालन से परिवार में सुख-समृद्धि और समन्वय बना रहता है। यह पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने और शांति बनाए रखने में मदद करती है।
इतिहास
एकादशी माता की आरती का इतिहास बहुत पुराना है और इसका संबंध हिंदू धर्म की प्राचीन परंपराओं से है। एकादशी, हर माह की चौदहवीं तिथि के बाद आने वाली ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से व्रत और उपवास के लिए समर्पित होता है।
एकादशी का महत्व
एकादशी का व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन उपवासी रहने और पूजा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन का व्रत और आरती भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की ओर मार्गदर्शित करती है।
आरती का इतिहास
एकादशी माता की आरती की परंपरा भी इसी धार्मिक महत्व से जुड़ी हुई है। यह आरती भक्तों द्वारा एकादशी के दिन देवी एकादशी की पूजा में गाई जाती है। आरती में देवी एकादशी के गुणों और उनकी कृपा का गुणगान किया जाता है, जिससे भक्तों की भक्ति और श्रद्धा को बढ़ावा मिलता है। यह आरती विशेष रूप से उन भक्तों द्वारा गाई जाती है जो एकादशी व्रत का पालन कर रहे होते हैं और देवी की कृपा प्राप्त करने की आकांक्षा रखते हैं।
इस प्रकार, एकादशी माता की आरती न केवल धार्मिक पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ भी प्रदान करती है।
FAQs – एकादशी माता की आरती (Ekadashi Mata Ki Aarti)
एकादशी व्रत में शाम की पूजा कैसे करें?
एकादशी व्रत में शाम की पूजा करते समय सबसे पहले भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं। फिर भगवान को तिलक करें और फूल चढ़ाएं। धूप, दीप और नैवेद्य (फल या अन्य सात्विक भोजन) अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु की आरती गाएं और अंत में व्रत कथा सुनें या पढ़ें। ध्यान रखें कि पूजा पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
एकादशी व्रत कितने बजे खोलना चाहिए?
एकादशी व्रत अगले दिन, यानी द्वादशी तिथि के सूर्योदय के बाद, परन्तु दोपहर से पहले खोलना चाहिए। व्रत खोलने का सबसे शुभ समय द्वादशी तिथि के पहले चार घंटे होते हैं, जिसे ‘पारणा’ कहा जाता है।
एकादशी व्रत कैसे खोलें?
एकादशी व्रत खोलने के लिए सबसे पहले भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें नैवेद्य अर्पित करें। फिर गंगाजल से स्नान करने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करें। पारणा के समय व्रत खोलने के लिए फल, दूध, या पंचामृत ग्रहण करना उत्तम माना जाता है।
एकादशी के व्रत में शाम को क्या खाया जाता है?
एकादशी के व्रत में शाम को सात्विक और फलाहार का सेवन किया जा सकता है। फल, दूध, मेवा, और साबूदाने की खिचड़ी जैसे खाद्य पदार्थ खाए जा सकते हैं। ध्यान रहे कि इस दिन अनाज और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
एकादशी व्रत क्या खाकर तोड़ना चाहिए?
एकादशी व्रत को पारणा के समय फल, दूध, या पंचामृत का सेवन करके तोड़ना चाहिए। इसके बाद अन्य सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं। अनाज और तामसिक भोजन का सेवन न करें, और व्रत खोलने के बाद भी सात्विक आहार ही लें।