Friday, November 22, 2024
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चित्रगुप्त चालीसा – Chitragupt Chalisa PDF 2024-25

चित्रगुप्त चालीसा (Chitragupt Chalisa Pdf) एक भक्ति स्तोत्र है जो चित्रगुप्त भगवान को समर्पित है। चित्रगुप्त भगवान, जिन्हें यमराज के लेखनीधारी और लेखक माना जाता है, को इस चालीसा के माध्यम से भक्तों द्वारा पूजा और स्तुति की जाती है। चित्रगुप्त चालीसा में उनकी दिव्यता, कार्यक्षमता, और उनके द्वारा मानव जीवन के कर्मों का निरीक्षण करने की महिमा का वर्णन होता है। आप हमारी वेबसाइट में हनुमान चालीसा और हनुमान अमृतवाणी भी पढ़ सकते हैं।

यह चालीसा उन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है जो धर्म, न्याय, और कर्म के महत्व को समझते हैं और चित्रगुप्त भगवान की कृपा और अनुग्रह में विश्वास रखते हैं। चित्रगुप्त चालीसा के पाठ से भक्तों को न्याय, सत्यता, और कर्मफल की महत्वपूर्णता का अनुभव होता है।

इस चालीसा में चित्रगुप्त भगवान के विभिन्न स्वरूपों, उनके कार्यों की महिमा, और उनके द्वारा सम्पन्न किए गए कर्मों के फल का वर्णन किया गया है। चित्रगुप्त चालीसा के पाठ से भक्तों का मन शुद्ध होता है, उन्हें कर्मफल के लिए सच्चाई और न्याय का पाठ होता है और उनके जीवन में समृद्धि और सफलता का संचार होता है।

चित्रगुप्त चालीसा का नियमित पाठ विशेष रूप से पितृ पक्ष के अवसर पर किया जाता है, जिससे भक्तों को चित्रगुप्त भगवान की कृपा और पितृ श्राद्ध के अनुग्रह से लाभ मिलता है।


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|| चित्रगुप्त चालीसा ||

॥ दोहा ॥
सुमिर चित्रगुप्त ईश को, सतत नवाऊ शीश।
ब्रह्मा विष्णु महेश सह, रिनिहा भए जगदीश॥
करो कृपा करिवर वदन, जो सरशुती सहाय।
चित्रगुप्त जस विमलयश, वंदन गुरूपद लाय॥

॥ चौपाई ॥
जय चित्रगुप्त ज्ञान रत्नाकर।
जय यमेश दिगंत उजागर॥

अज सहाय अवतरेउ गुसांई।
कीन्हेउ काज ब्रम्ह कीनाई॥

श्रृष्टि सृजनहित अजमन जांचा।
भांति-भांति के जीवन राचा॥

अज की रचना मानव संदर।
मानव मति अज होइ निरूत्तर॥ ४ ॥

भए प्रकट चित्रगुप्त सहाई।
धर्माधर्म गुण ज्ञान कराई॥

राचेउ धरम धरम जग मांही।
धर्म अवतार लेत तुम पांही॥

अहम विवेकइ तुमहि विधाता।
निज सत्ता पा करहिं कुघाता॥

श्रष्टि संतुलन के तुम स्वामी।
त्रय देवन कर शक्ति समानी॥ ८ ॥

पाप मृत्यु जग में तुम लाए।
भयका भूत सकल जग छाए॥

महाकाल के तुम हो साक्षी।
ब्रम्हउ मरन न जान मीनाक्षी॥

धर्म कृष्ण तुम जग उपजायो।
कर्म क्षेत्र गुण ज्ञान करायो॥

राम धर्म हित जग पगु धारे।
मानवगुण सदगुण अति प्यारे॥ १२ ॥

विष्णु चक्र पर तुमहि विराजें।
पालन धर्म करम शुचि साजे॥

महादेव के तुम त्रय लोचन।
प्रेरकशिव अस ताण्डव नर्तन॥

सावित्री पर कृपा निराली।
विद्यानिधि माँ सब जग आली॥

रमा भाल पर कर अति दाया।
श्रीनिधि अगम अकूत अगाया॥ २० ॥

ऊमा विच शक्ति शुचि राच्यो।
जाकेबिन शिव शव जग बाच्यो॥

गुरू बृहस्पति सुर पति नाथा।
जाके कर्म गहइ तव हाथा॥

रावण कंस सकल मतवारे।
तव प्रताप सब सरग सिधारे॥

प्रथम् पूज्य गणपति महदेवा।
सोउ करत तुम्हारी सेवा॥ २४ ॥

रिद्धि सिद्धि पाय द्वैनारी।
विघ्न हरण शुभ काज संवारी॥

व्यास चहइ रच वेद पुराना।
गणपति लिपिबध हितमन ठाना॥

पोथी मसि शुचि लेखनी दीन्हा।
असवर देय जगत कृत कीन्हा॥

लेखनि मसि सह कागद कोरा।
तव प्रताप अजु जगत मझोरा॥ २८ ॥

विद्या विनय पराक्रम भारी।
तुम आधार जगत आभारी॥

द्वादस पूत जगत अस लाए।
राशी चक्र आधार सुहाए॥

जस पूता तस राशि रचाना।
ज्योतिष केतुम जनक महाना॥

तिथी लगन होरा दिग्दर्शन।
चारि अष्ट चित्रांश सुदर्शन॥ ३२ ॥

राशी नखत जो जातक धारे।
धरम करम फल तुमहि अधारे॥

राम कृष्ण गुरूवर गृह जाई।
प्रथम गुरू महिमा गुण गाई॥

श्री गणेश तव बंदन कीना।
कर्म अकर्म तुमहि आधीना॥

देववृत जप तप वृत कीन्हा।
इच्छा मृत्यु परम वर दीन्हा॥ ३६ ॥

धर्महीन सौदास कुराजा।
तप तुम्हार बैकुण्ठ विराजा॥

हरि पद दीन्ह धर्म हरि नामा।
कायथ परिजन परम पितामा॥

शुर शुयशमा बन जामाता।
क्षत्रिय विप्र सकल आदाता॥

जय जय चित्रगुप्त गुसांई।
गुरूवर गुरू पद पाय सहाई॥ ४० ॥

जो शत पाठ करइ चालीसा।
जन्ममरण दुःख कटइ कलेसा॥

विनय करैं कुलदीप शुवेशा।
राख पिता सम नेह हमेशा॥

॥ दोहा ॥
ज्ञान कलम, मसि सरस्वती, अंबर है मसिपात्र।
कालचक्र की पुस्तिका, सदा रखे दंडास्त्र॥
पाप पुन्य लेखा करन, धार्यो चित्र स्वरूप।
श्रृष्टिसंतुलन स्वामीसदा, सरग नरक कर भूप॥

॥ इति श्री चित्रगुप्त चालीसा समाप्त॥

|| Chitragupt Chalisa PDF ||

॥ Doha ॥
sumir chitragupt eesh ko, satat navau sheesha ॥
brahma vishnu mahesh sah, riniha bhe jagadeesh ॥
karo krpa karivar vadan, jo sarashuti sahaayata ॥
chitragupt jas vimalayash, vandan gurupad laay ॥

॥ Chaupaee ॥
jay chitragupt gyaan ratnaakar ॥
jay yamesh digant sparsh ॥

aj sahaayata avataareu gusaanee ॥
keenheu kaaj bramh keenai ॥

shrrshti rachanaahit ajaman jaancha ॥
parivaar-bhakti ke jeevan rachaaya ॥

aaj kee rachana maanav sandar ॥
maanav mati aj hoi niroottar ॥ 4 ॥

bhe prakat chitragupt sahaay ॥
dharmadharm gun gyaan kiya ॥

raacheu dharam dharam jag maanhi ॥
dharm avataar let tum paanhee ॥

aham viveki tumahi vidhaata ॥
nij satta pa karahin kughaata ॥

shrashti santulan ke tum svaamee ॥
tray devan kar shakti samaanee ॥ 8 ॥

paap kee maut jag mein tumhaaree kahaanee ॥
bhayaka bhoot sakal jag chhae ॥

mahaakaal ke tum hosaakshee ॥
bramhau maran na jaan meenaakshee ॥

dharm krshn tum jag upajaayo ॥
karm kshetr gun gyaan karaayo ॥

raam dharm hit jag pagu dhaare ॥
maanavagun sadagun ati priye ॥ 12 ॥

vishnu chakr par tumhee viraajen ॥
dharm karm shuchi saaje ॥

mahaadev ke tum tray lochan ॥
prerakashiv as taandav nartan ॥

saavitree par krpa niraalee ॥
vidyaanidhi maan sab jag alee ॥

raam bhaal par kar ati daya ॥
shreenidhi agam akoot aagaya ॥ 20 ॥

uma vich shakti shuchi rachyo ॥
jaakebin shiv shav jag bachyo ॥

guru brhaspati sur pati naatha ॥
jaake karm gahi tav haatha ॥

raavan kans sakal matavaare ॥
tav prataap sab sarag sidhaare ॥

pratham poojy ganapati mahaadeva ॥
sou karat vivaah seva ॥ 24 ॥

riddhi siddhi paay daivanaaree ॥
vighn haran shubh kaaj sanvaaree ॥

vyaas chaahi raach ved puraana ॥
ganapati lipibadh hitaman thaana ॥

pothee masi shuchi lekhi deenha ॥
asvar dey jagat krt keenha ॥

lekhani masi sah kaagad kora ॥
tav prataap aju jagat majhora ॥ 28 ॥

vidya vigy sambhaavit bhaaree ॥
aadhaar tum jagat stor ॥

dvaadas poot jagat as kaal ॥
raashi chakr aadhaar suhae ॥

jas poota tas raashi rachana ॥
jyotish ketum jan mahaana ॥

tithi lagn hora digdarshan ॥
chaari asht chitraansh sudarshan ॥ 32 ॥

raashi nakhat jo jaatak dhaare ॥
dharam karam phal tumahi adhaare ॥

raam krshn guruvar grh jaee ॥
pratham guru mahima gun gaay ॥

shree ganesh tav bandan keena ॥
karm akarm tumahi aadheena ॥

devavrt jap tap vrt keenha ॥
ichchha mrtyu param var deenha ॥ 36 ॥

dharmaheen saudaas kuraja ॥
tumhaara tap baikunth viha ॥

hari pad deenh dharm hari naama ॥
kaayath parivaar param pitaama ॥

shoor shuyashama ban jaamaata ॥
kshatriy vipr sakal adaata ॥

jay jay chitragupt gusaanee ॥
guruvar guru pad paay sahaee ॥ 40 ॥

jo shat paath karai chaaleesa ॥
janmamaran duhkh kati kalesa ॥

vinee karain boleen suvesha ॥
raakh pita sam neh sada ॥

॥ Doha ॥
gyaan kamal, masi sarasvatee, ambar masipaatr hai ॥
kaalachakr kee pustika, sada tike dandashaastr ॥
paap puny lekha karan, dhaaryo chitr svaroop ॥
srshtisantulan svaameesada, sarg narak kar bhoop ॥

॥ Iti Shree Chitragupt chaaleesa samaapt ॥




चित्रगुप्त चालीसा के लाभ

चित्रगुप्त चालीसा एक महत्वपूर्ण हिन्दू भजन है, जिसे चित्रगुप्त जी की पूजा के समय गाया जाता है। चित्रगुप्त जी, यमराज के सचिव और लेखाकार माने जाते हैं। उनका कार्य मृत्यु के बाद आत्माओं के कर्मों का लेखा-जोखा रखना है। इस चालीसा का पाठ धार्मिक और आध्यात्मिक लाभों से भरा हुआ है। यहाँ चित्रगुप्त चालीसा के लाभों को विस्तार से समझाने का प्रयास किया गया है।

कर्मों का लेखा-जोखा सही रहता है:

चित्रगुप्त जी की पूजा और चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा सही ढंग से रखा जाता है। यह माना जाता है कि चित्रगुप्त जी उन लोगों की मदद करते हैं, जो सच्चे मन से अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं और सुधार करने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार, चित्रगुप्त चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के कर्मों में शुद्धता और संतुलन बना रहता है।

धार्मिक अनुशासन:

चित्रगुप्त चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति में धार्मिक अनुशासन विकसित करता है। यह व्यक्ति को हर दिन एक निश्चित समय पर पूजा और ध्यान की आदत डालता है, जो जीवन में एक स्थिरता और अनुशासन प्रदान करता है। धार्मिक अनुशासन व्यक्ति की मानसिक स्थिति को बेहतर बनाता है और उसे शांति और संतुलन की ओर ले जाता है।

आध्यात्मिक उन्नति:

चालीसा का पाठ व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चित्रगुप्त जी की आराधना से व्यक्ति को आध्यात्मिक दृष्टि प्राप्त होती है, जो उसकी मानसिक स्थिति को सशक्त बनाती है। इस प्रक्रिया के माध्यम से व्यक्ति आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है और अपने जीवन के गहरे अर्थ को समझ सकता है।

पापों का नाश:

चित्रगुप्त चालीसा का पाठ करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इस चालीसा का नियमित पाठ उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी है जो अपने पूर्वजन्म के पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं। यह माना जाता है कि चित्रगुप्त जी पापों का नाश करने में सहायता करते हैं और पुण्य की प्राप्ति में मदद करते हैं।

आर्थिक समृद्धि:

चित्रगुप्त जी की आराधना और चालीसा का पाठ आर्थिक समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति में सहायक हो सकता है। यह माना जाता है कि चित्रगुप्त जी धन और समृद्धि के देवता हैं, और उनकी पूजा करने से व्यक्ति को आर्थिक कठिनाइयों से राहत मिल सकती है। चालीसा का पाठ करने से धन और समृद्धि के स्रोत खुल सकते हैं।

पारिवारिक सुख-शांति:

चित्रगुप्त चालीसा का नियमित पाठ पारिवारिक सुख-शांति में भी योगदान कर सकता है। परिवार के सभी सदस्यों के बीच संबंध बेहतर होते हैं और आपसी समझ में वृद्धि होती है। यह चालीसा परिवार में प्रेम और सहयोग का वातावरण बनाती है, जिससे पारिवारिक समस्याएं कम होती हैं और खुशी की भावना बढ़ती है।

स्वास्थ्य और सुरक्षा:

स्वास्थ्य और सुरक्षा के मामले में भी चित्रगुप्त चालीसा का पाठ लाभकारी हो सकता है। यह विश्वास है कि चित्रगुप्त जी भक्तों को सुरक्षित रखते हैं और उनके जीवन में स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से बचाते हैं। चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

मानसिक शांति और संतुलन:

चित्रगुप्त चालीसा का पाठ मानसिक शांति और संतुलन में भी सहायक होता है। जब व्यक्ति नियमित रूप से चालीसा का पाठ करता है, तो उसकी मानसिक स्थिति स्थिर रहती है और तनाव कम होता है। ध्यान और पूजा के दौरान मन की शांति बनी रहती है, जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

आध्यात्मिक सुरक्षा:

चित्रगुप्त जी की पूजा और चालीसा का पाठ आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है। यह विश्वास किया जाता है कि चित्रगुप्त जी अपने भक्तों को आध्यात्मिक रूप से सुरक्षित रखते हैं और उन्हें नकारात्मक ऊर्जा और आत्मा की बुरी शक्तियों से बचाते हैं। यह आध्यात्मिक सुरक्षा व्यक्ति को मानसिक और भावनात्मक रूप से सशक्त बनाती है।

सच्चे भक्तों को सम्मान और पुरस्कार:

चित्रगुप्त चालीसा के पाठ से सच्चे भक्तों को सम्मान और पुरस्कार प्राप्त होते हैं। यह माना जाता है कि चित्रगुप्त जी उन भक्तों को विशेष पुरस्कार और आशीर्वाद प्रदान करते हैं जो सच्चे मन से उनकी पूजा और चालीसा का पाठ करते हैं। यह पुरस्कार व्यक्तिगत और आध्यात्मिक जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं।

चित्रगुप्त चालीसा का पाठ धार्मिक, आध्यात्मिक, और भौतिक लाभों से भरा हुआ है। यह व्यक्ति के जीवन को संतुलित, सुखी, और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को अपनी धार्मिक आस्था को मजबूत बनाने का अवसर मिलता है और उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

Hemlata
Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
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