श्री शीतलनाथ जी चालीसा (Bhagwan Shri Sheetalnath Ji Chalisa Pdf) के पाठ से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। इस चालीसा का नियमित जप करने से शारीरिक और मानसिक रोगों का उपचार होता है और उन्हें स्वस्थ रहने में सहायता मिलती है। भगवान शीतलनाथ जी की कृपा से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
इस चालीसा के माध्यम से भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए ईश्वर की आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह चालीसा भक्ति और श्रद्धा के साथ पढ़ी जाती है, जो जीवन को सकारात्मक और उत्तम दिशा में ले जाती है।
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|| श्री शीतलनाथ जी चालीसा ||
शीतल हैं शीतल वचन, चन्दन से अधिकाय।
कल्प वृक्ष सम प्रभु चरण, हैं सबको सुखकाय॥
जय श्री शीतलनाथ गुणाकर, महिमा मंडित करुणासागर।
भाद्दिलपुर के दृढरथ राय, भूप प्रजावत्सल कहलाये॥
रमणी रत्न सुनन्दा रानी, गर्भ आये श्री जिनवर ज्ञानी।
द्वादशी माघ बदी को जन्मे, हर्ष लहर उठी त्रिभुवन में॥
उत्सव करते देव अनेक, मेरु पर करते अभिषेक।
नाम दिया शिशु जिन को शीतल, भीष्म ज्वाल अध् होती शीतल॥
एक लक्ष पुर्वायु प्रभु की, नब्बे धनुष अवगाहना वपु की।
वर्ण स्वर्ण सम उज्जवलपीत, दया धर्मं था उनका मीत॥
निरासक्त थे विषय भोगो में, रत रहते थे आत्म योग में।
एक दिन गए भ्रमण को वन में, करे प्रकृति दर्शन उपवन में॥
लगे ओसकण मोती जैसे, लुप्त हुए सब सूर्योदय से।
देख ह्रदय में हुआ वैराग्य, आत्म राग में छोड़ा राग॥
तप करने का निश्चय करते, ब्रह्मर्षि अनुमोदन करते।
विराजे शुक्र प्रभा शिविका में, गए सहेतुक वन में जिनवर॥
संध्या समय ली दीक्षा अश्रुण, चार ज्ञान धारी हुए तत्क्षण।
दो दिन का व्रत करके इष्ट, प्रथामाहार हुआ नगर अरिष्ट॥
दिया आहार पुनर्वसु नृप ने, पंचाश्चार्य किये देवों ने।
किया तीन वर्ष तप घोर, शीतलता फैली चहु और॥
कृष्ण चतुर्दशी पौषविख्यता, केवलज्ञानी हुए जगात्ग्यता।
रचना हुई तब समोशरण की, दिव्यदेशना खिरी प्रभु की॥
आतम हित का मार्ग बताया, शंकित चित्त समाधान कराया।
तीन प्रकार आत्मा जानो, बहिरातम अन्तरातम मानो॥
निश्चय करके निज आतम का, चिंतन कर लो परमातम का।
मोह महामद से मोहित जो, परमातम को नहीं माने वो॥
वे ही भव भव में भटकाते, वे ही बहिरातम कहलाते।
पर पदार्थ से ममता तज के, परमातम में श्रद्धा कर के॥
जो नित आतम ध्यान लगाते, वे अंतर आतम कहलाते।
गुण अनंत के धारी हे जो, कर्मो के परिहारी है जो॥
लोक शिखर के वासी है वे, परमातम अविनाशी है वे।
जिनवाणी पर श्रद्धा धर के, पार उतारते भविजन भव से॥
श्री जिन के इक्यासी गणधर, एक लक्ष थे पूज्य मुनिवर।
अंत समय में गए सम्म्मेदाचल, योग धार कर हो गए निश्चल॥
अश्विन शुक्ल अष्टमी आई, मुक्तिमहल पहुचे जिनराई।
लक्षण प्रभु का कल्पवृक्ष था, त्याग सकल सुख वरा मोक्ष था॥
शीतल चरण शरण में आओ, कूट विद्युतवर शीश झुकाओ।
शीतल जिन शीतल करें, सबके भव आतप।
अरुणा के मन में बसे, हरे सकल संताप॥
|| Shri Sheetalnaath Ji Chalisa PDF ||
Sheetal hain sheetal vachan, chandan se adhik.
Kalp vrksh sam prabhu charan, hain sarvopari sukhakaay.
Jay shree sheetalanaath gunaakar, mahima mandit karunaasaagar.
Bhaddeelapur ke drathaarth raay, bhoop prajaavatsal kahalaaye.
Ramanee ratn sunanda raanee, garbh aaye shree jinavar gyaanee.
Dvaadashee maagh badee ko madhyam, harsh lahar uthee tribhuvan mein.
Utsav dev anek, meru karo abhishek.
Naam diya gaya shishu grh jin ko sheetal, bheeshm jvaal aadi sheetalata.
Ek laksh poorvau prabhu kee, nabbe dhanurdhar avagaahana vapu kee.
Varn svarn samaanandapeet, daya dharman tha unaka mit.
Niraasakt the vishay bhogo mein, rat rahate the aatm yog mein.
Ek din gaee yaatra van mein, kare prakrti darshan upavan mein.
Os laakekan motee jaise, lupt hue sab sooryoday se.
Dekhiye hrday mein hua vairaagy, aatm raag mein nikala raag.
Tap karane ka nishchay karo, brahmarshi manzoor karo.
Viraaje shukr prabha shivika mein, gae sahetuk van mein jinavar.
Sandhya samay lee deeksha ashrun, chaar gyaan dhaaree hue tatkshan.
Do din ka vrat karake ist, poorvamaahaar hua nagar arisht.
Diya aahaar punarvasu nrp ne, panchaachaary kise devon ne.
Teen saal ka ghor taap, sheetalata banda chahu aur.
Krshn chaturdashee paushavikhyaata, kevalagyaanee jagatgyata.
Rachana huee tab samosharan kee, divyadeshana khiree prabhu kee.
Aatam hit ka maarg bataaya, shankit chitt solyooshan.
Teen prakaar aatma jaano, bahiraatma antaraatam mano.
Nishchay karake nij aatma ka, dhyaan kar lo paramaatma ka.
Moh mahamad se mohit jo, paramaatma ko nahin maane vo.
Ve hi bhav bhav mein bhatakate, ve hi bhav bhav mein bhatakate.
Par padaarth se mitrata taj ke, paramaatma mein shraddha kar ke.
Jo nit aatm dhyaan kaalaantar, ve antar aatma kahalaate.
Gun anant ke dhaaree he jo, karmo ke dhaaree he jo.
Lok shikhar ke vaasee hain ve, paramaatma agyaanee hain ve.
Jinavaanee par shraddha dhar ke, paar uttergate bhaavan bhav se.
Shree jin ke ikyaasee ganadhar, ek laakh the poojy munivar.
Ant samay mein gae sammedaachal, yog dhaar kar ho gae nishchal.
Aashvin shukl ashtamee aaee, muktimahal pahunche jinaraee.
Lakshan prabhu ka kalpavrksh tha, tyaag sakal sukh var moksh tha.
Sheetal charan sharan mein aao, vidyut shaktivardhak sheesha dekho.
Sheetal jin sheetal karen, saamaany bhav atap.
Aruna ke man mein base, hare sakal santaap.
Shri Sheetalnath Ji Chalisa Lyrics
Shri Sheetalnath Ji Chalisa Benefits
श्री शीतलनाथ जी चालीसा के लाभ
आध्यात्मिक लाभ:
आध्यात्मिक उन्नति: श्री शीतलनाथ जी चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह चालीसा व्यक्ति को ध्यान और साधना की ओर प्रेरित करती है।
आत्मिक शांति: इसके नियमित पाठ से मन को शांति और संतुलन प्राप्त होता है, जिससे आत्मा को शुद्धि मिलती है।
भगवान के प्रति भक्ति: श्री शीतलनाथ जी चालीसा भगवान के प्रति भक्ति और विश्वास को बढ़ाता है, जिससे भक्त को दिव्य अनुग्रह प्राप्त होता है।
मानसिक लाभ:
मानसिक शांति: इस चालीसा का पाठ मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होता है। यह मन को शांति और संतुलन प्रदान करता है।
सकारात्मकता: नियमित पाठ से नकारात्मक विचारों का नाश होता है और सकारात्मकता का विकास होता है।
ध्यान केंद्रित करना: श्री शीतलनाथ जी चालीसा का पाठ करने से ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति अपने कार्यों में सफल होता है।
शारीरिक लाभ:
स्वास्थ्य में सुधार: नियमित रूप से चालीसा का पाठ करने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह शरीर में ऊर्जा का संचार करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
तनाव मुक्ति: इसके पाठ से व्यक्ति तनावमुक्त रहता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
सामाजिक लाभ:
सामाजिक समरसता: इस चालीसा का पाठ व्यक्ति को समाज में सौहार्द और समरसता बनाए रखने में सहायता करता है। यह व्यक्ति को दूसरों के प्रति सहानुभूति और करुणा विकसित करने में मदद करता है।
सदाचार: श्री शीतलनाथ जी चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति में सदाचार और नैतिक मूल्यों का विकास होता है।
पारिवारिक लाभ:
पारिवारिक सुख-शांति: इस चालीसा का पाठ परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है। यह परिवार के सभी सदस्यों को एकजुट रखता है।
संस्कार और मूल्य: चालीसा का पाठ बच्चों में संस्कार और नैतिक मूल्यों का विकास करता है, जिससे उनका व्यक्तित्व और चरित्र निर्माण होता है।
आर्थिक लाभ:
धन और समृद्धि: श्री शीतलनाथ जी चालीसा का पाठ आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है और व्यक्ति को धन और समृद्धि प्रदान करता है।
व्यवसाय में सफलता: व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए इस चालीसा का पाठ विशेष रूप से लाभकारी होता है।
आध्यात्मिक अनुभूति:
दिव्य अनुभूति: इस चालीसा का पाठ करते हुए व्यक्ति को दिव्य अनुभूति होती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
मुक्ति की ओर अग्रसर: श्री शीतलनाथ जी चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।
अन्य लाभ:
कर्मों का शोधन: चालीसा का पाठ पापों का नाश करता है और अच्छे कर्मों की ओर प्रेरित करता है।
सभी इच्छाओं की पूर्ति: इस चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है और उसे संतोष प्राप्त होता है।
संकटों का निवारण: इसके पाठ से जीवन के सभी संकटों का निवारण होता है और व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है।
आध्यात्मिक ज्ञान:
ज्ञान की प्राप्ति: श्री शीतलनाथ जी चालीसा का पाठ व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान और बुद्धि प्रदान करता है।
जीवन का उद्देश्य: इस चालीसा का पाठ व्यक्ति को जीवन का उद्देश्य समझने में सहायता करता है और उसे सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
श्री शीतलनाथ जी चालीसा का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह चालीसा मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक और सामाजिक हर दृष्टिकोण से लाभकारी है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन को सुखमय और सफल बना सकता है।