Thursday, November 21, 2024
HomeChalisaअन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa PDF)

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa PDF)

अन्नपूर्णा चालीसा (Annapurna Chalisa Pdf) एक भक्ति स्तोत्र है जो माँ अन्नपूर्णा को समर्पित है। माँ अन्नपूर्णा, जिन्हें अन्न और पोषण की देवी माना जाता है, को इस चालीसा के माध्यम से भक्तों द्वारा पूजा और स्तुति की जाती है। अन्नपूर्णा चालीसा माँ अन्नपूर्णा की कृपा, उनकी महिमा, और उनके द्वारा समस्त भक्तों को प्रदान की जाने वाली आहारिक संतोष की वरदान का वर्णन करती है।

यह चालीसा उन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है जो अन्नदाता माँ अन्नपूर्णा की कृपा और आशीर्वाद में विश्वास रखते हैं। अन्नपूर्णा चालीसा के पाठ से भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक संतोष, समृद्धि, और प्रसन्नता की प्राप्ति होती है।

इस चालीसा में माँ अन्नपूर्णा के दिव्य स्वरूप, उनके प्रसाद का महत्व, और उनके द्वारा प्रदान की गई आहारिक संतोष की महिमा का वर्णन किया गया है। अन्नपूर्णा चालीसा के पाठ करने से भक्तों की मनोयोग्यता में वृद्धि होती है, उन्हें अन्नदाता की कृपा से प्राप्त आशीर्वाद मिलता है।

अन्नपूर्णा चालीसा का नियमित पाठ अन्नपूर्णा जयंती, नवरात्रि के दौरान और विशेष पवित्र अवसरों पर किया जाता है, जिससे भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन में आनंद और समृद्धि का संचार होता है।


Download Annapurna Chalisa PDF


  • हिंदी / संस्कृत
  • English

॥ माँ अन्नपूर्णा चालीसा ॥

॥ दोहा ॥
विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय ।

॥ चौपाई ॥
नित्य आनंद करिणी माता,
वर अरु अभय भाव प्रख्याता ॥

जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी,
अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ॥

श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि,
संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि ॥

काशी पुराधीश्वरी माता,
माहेश्वरी सकल जग त्राता ॥

वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी,
विश्व विहारिणि जय ! कल्याणी ॥

पतिदेवता सुतीत शिरोमणि,
पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि ॥

पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा,
योग अग्नि तब बदन जरावा ॥

देह तजत शिव चरण सनेहू,
राखेहु जात हिमगिरि गेहू ॥

प्रकटी गिरिजा नाम धरायो,
अति आनंद भवन मँह छायो ॥

नारद ने तब तोहिं भरमायहु,
ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु ॥ 10 ॥

ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये,
देवराज आदिक कहि गाये ॥

सब देवन को सुजस बखानी,
मति पलटन की मन मँह ठानी ॥

अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या,
कीहनी सिद्ध हिमाचल कन्या ॥

निज कौ तब नारद घबराये,
तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये ॥

करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ,
संत बचन तुम सत्य परेखेहु ॥

गगनगिरा सुनि टरी न टारे,
ब्रहां तब तुव पास पधारे ॥

कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा,
देहुँ आज तुव मति अनुरुपा ॥

तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी,
कष्ट उठायहु अति सुकुमारी ॥

अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों,
है सौगंध नहीं छल तोसों ॥

करत वेद विद ब्रहमा जानहु,
वचन मोर यह सांचा मानहु ॥ 20 ॥

तजि संकोच कहहु निज इच्छा,
देहौं मैं मनमानी भिक्षा ॥

सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी,
मुख सों कछु मुसुकाय भवानी ॥

बोली तुम का कहहु विधाता,
तुम तो जगके स्रष्टाधाता ॥

मम कामना गुप्त नहिं तोंसों,
कहवावा चाहहु का मोंसों ॥

दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा,
शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ॥

सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये,
कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये ॥

तब गिरिजा शंकर तव भयऊ,
फल कामना संशयो गयऊ ॥

चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा,
तब आनन महँ करत निवासा ॥

माला पुस्तक अंकुश सोहै,
कर मँह अपर पाश मन मोहै ॥

अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे,
अज अनवघ अनंत पूर्णे ॥ 30 ॥

कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ,
भव विभूति आनंद भरी माँ ॥

कमल विलोचन विलसित भाले,
देवि कालिके चण्डि कराले ॥

तुम कैलास मांहि है गिरिजा,
विलसी आनंद साथ सिंधुजा ॥

स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी,
मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी ॥

विलसी सब मँह सर्व सरुपा,
सेवत तोहिं अमर पुर भूपा ॥

जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा,
फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा ॥

प्रात समय जो जन मन लायो,
पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अघिकायो ॥

स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत,
परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत ॥

राज विमुख को राज दिवावै,
जस तेरो जन सुजस बढ़ावै ॥

पाठ महा मुद मंगल दाता,
भक्त मनोवांछित निधि पाता ॥ 40 ॥

॥ दोहा ॥
जो यह चालीसा सुभग,
पढ़ि नावैंगे माथ ।
तिनके कारज सिद्ध सब,
साखी काशी नाथ ॥

Annapurna Chalisa PDF (in English)

॥ Doha ॥
vishveshvar padapadam kee raj nij chamakaay ॥
annapoorne, tav suyash barnaun kavi matilaay ॥

॥ chaupaee ॥
nity aanand karinee maata,
var aru abhay bhaav aadhyaatm ॥

jay ! saundary sindhu jag jananee,
sampoorn paap har bhav-bhay-haranee ॥

shvet badan par shvet basan puni,
santan tuv pad sevat rshimuni ॥

kaashee puraadheeshvaree maata,
maaheshvaree sakal jag traata ॥

vrshabhaaroodh naam rudraanee,
vishv vihaarinee jay ! kalyaanee ॥

patidevata suteet shiromani,
padavee keenh giree nandinee ॥

pati vichho duhkh sahi nahin paava,
yog agni tab badan jaraava ॥

deh tajat shiv charan sanehoo,
raakhehu jaat himagiri gehoo ॥

prakatee girija naam dharayo,
ati aanand bhavan manh chhaayo ॥

naarad ne tab tohin bharmayahu,
byaah karn hit paath payaahu ॥ 10 ॥

brahma varun kuber ganaye,
devaraaj aadik kahi gaaye ॥

sab devan ko sujas bakhaanee,
mati palatan kee man mahan thaanee ॥

achal raho tum par dhanyavaad,
keehanee siddh himaachal kanya ॥

nij ko tab naarad aashcharyaye,
tab praan puraan mantr padhie ॥

karn uchche tap tohin upadesheu,
sant bachan tum saty parekehu ॥

gaganagira suni taari na taare,
braahn tab tuv paas padhaare ॥

kaheu putree var maanguskopa,
dehun aj tuv mati anuroopa ॥

tum tap keenh alaukik bhaaree,
abhilaasha uthaahu ati sukumaaree ॥

ab sanshay chhaandee kachhu moson,
hai saugandh nahin chhal toson ॥

karat ved vid brahma jaanhu,
vachan mor yah saancha manahu ॥ 20 ॥

taji aardr kahahu nij chaahat,
dehaun main skool bhiksha ॥

suni brahma kee madhuree vaanee,
mukh son kachhu musukaay bhavaanee ॥

bolee tum ka kahu vidhaata,
tum to jagake srshtaata ॥

mam kaamana gupt nahin tonson,
kahava chaahu ka manson ॥

daksh yagy mahan maratee baara,
shambhunaathapuni hohin hamaara ॥

so ab milahin mohin manabhaaye,
kahi tathaastu vidhi dhaam siddhaye ॥

tab girija shankar tav bhayau,
phal kaamana sanshayo gayau ॥

chandrakoti ravi koti prakaasha,
tab sangat mahan karat nivaasa ॥

maigel buk kraikad sohaee,
kar manh apar paash man mohaee ॥

annpoorne ! sadaapoorne,
aj anavagh anant poorne ॥ 30 ॥

krpa saagar kshemankaaree maan,
bhav vibhooti aanand bharee maan ॥

kamal vilochan vilaseet bhaale,
devee kaalike chandee karaale ॥

tum kailaas nahin ho girija,
vasee aanand saath sindhuja ॥

svarg mahaalakshmee kahalaayee,
marty lok lakshmee padapaayee ॥

vilasee sab manh sarv saroopa,
sevat tohin amar pur bhoopa ॥

jo padhihahin yah tav chaaleesa,
phal painhaahi shubh saakhee eesa ॥

praat samay jo jan man laayo,
padhihahin bhakti suruchi aghikaayo ॥

stree kalatr pati mitr putr yut,
paramashrvary laabh lahi adbhut ॥

raaj vimukh ko raaj divaavai,
jas tero jan sujas badhaavai ॥

paath mahaamud mangal daata,
bhakt manovaanchhit nidhi paata ॥ 40 ॥


अन्नपूर्णा चालीसा के लाभ

अन्नपूर्णा चालीसा, माँ अन्नपूर्णा की आराधना के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसे 40 श्लोकों में लिखा गया है और यह विशेष रूप से माता अन्नपूर्णा की पूजा और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए जानी जाती है। यहाँ हम अन्नपूर्णा चालीसा के लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे:

आध्यात्मिक शांति और संतुलन

अन्नपूर्णा चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति को मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतुलन प्राप्त होता है। यह चालीसा व्यक्ति को तनाव और चिंता से दूर रखने में मदद करती है, क्योंकि यह भगवान अन्नपूर्णा की शक्ति और कृपा पर विश्वास को मजबूत करती है। पाठक को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है और उसके जीवन में शांति का प्रवाह होता है।

आर्थिक समृद्धि

माँ अन्नपूर्णा को अन्न और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति दिखाते हुए अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करने से आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी है जो आर्थिक संकट या वित्तीय समस्याओं का सामना कर रहे हैं। माँ की कृपा से धन-धान्य में वृद्धि होती है और वित्तीय स्थिरता प्राप्त होती है।

भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य

अन्नपूर्णा चालीसा के नियमित पाठ से भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह चालीसा मानसिक तनाव और शारीरिक समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है। माता अन्नपूर्णा की कृपा से शरीर को ऊर्जा मिलती है और मानसिक स्थिति मजबूत होती है, जिससे व्यक्ति एक स्वस्थ और सुखमय जीवन जी सकता है।

कृषि और खाद्य उत्पादन में वृद्धि

माँ अन्नपूर्णा को खाद्य और अन्न की देवी माना जाता है। उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति से कृषि में वृद्धि और खाद्य उत्पादन में सुधार होता है। यह विशेष रूप से किसानों के लिए फायदेमंद है, जो फसल उत्पादन और कृषि संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करके किसान अपनी फसलों की वृद्धि और समृद्धि की कामना कर सकते हैं।

आध्यात्मिक जागरूकता और विकास

अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक जागरूकता और विकास होता है। यह चालीसा व्यक्ति को ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना को जगाने में मदद करती है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर होता है और आत्मा की सच्ची पहचान प्राप्त करता है।

नैतिक और चरित्र विकास

अन्नपूर्णा चालीसा के पाठ से व्यक्ति का नैतिक और चरित्र विकास होता है। यह चालीसा व्यक्ति को सही और गलत का अंतर समझाने में मदद करती है और उसे जीवन में उच्च आदर्शों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने चरित्र को सुधारता है और एक अच्छे इंसान बनने की ओर अग्रसर होता है।

संबंधों में सुधार

अन्नपूर्णा चालीसा का नियमित पाठ परिवारिक और व्यक्तिगत संबंधों में सुधार लाने में भी सहायक हो सकता है। माता अन्नपूर्णा की कृपा से व्यक्ति के संबंधों में सामंजस्य और प्यार बढ़ता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनके रिश्तों में तनाव या विवाद हैं।

भक्तों की रक्षा

माँ अन्नपूर्णा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उन्हें कठिनाइयों से उबारती हैं। चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की समस्याओं से राहत मिलती है और उसकी समस्याओं का समाधान होता है। यह एक प्रकार की सुरक्षा कवच की तरह कार्य करता है जो भक्तों को संकटों से बचाता है।

समाज में सकारात्मक परिवर्तन

अन्नपूर्णा चालीसा के पाठ से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की प्रेरणा मिलती है। जब लोग इस चालीसा का पाठ करते हैं और माँ अन्नपूर्णा की आराधना करते हैं, तो वे समाज में अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। यह समाज में सामंजस्य और शांति स्थापित करने में सहायक होती है।

आध्यात्मिक मार्गदर्शन

अन्नपूर्णा चालीसा पढ़ने से व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त होता है। यह चालीसा व्यक्ति को सही दिशा में मार्गदर्शन करती है और उसके जीवन के उद्देश्यों को स्पष्ट करती है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन की समस्याओं का समाधान ढूंढ सकता है और आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर हो सकता है।

अन्नपूर्णा चालीसा एक शक्तिशाली ग्रंथ है जो माँ अन्नपूर्णा की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसके पाठ से न केवल व्यक्तिगत जीवन में सुधार होता है बल्कि समाज और परिवार में भी सकारात्मक परिवर्तन आता है। इसका नियमित पाठ आध्यात्मिक शांति, आर्थिक समृद्धि, स्वास्थ्य, नैतिक विकास, और संबंधों में सुधार लाने में सहायक होता है। इस प्रकार, अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाने का एक महत्वपूर्ण उपाय है।


अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि, दीपावली या किसी भी शुभ दिन पर किया जा सकता है। इसके अलावा, रोज़ाना सुबह के समय पाठ करने से घर में समृद्धि, अन्न-धन की वृद्धि और परिवार की खुशहाली बनी रहती है।

अन्नपूर्णा चालीसा पढ़ने से क्या लाभ होता है?

अन्नपूर्णा चालीसा पढ़ने से जीवन में धन, धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इससे घर में अन्न की कभी कमी नहीं होती, और मां अन्नपूर्णा की कृपा से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ कैसे करना चाहिए?

अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ एकाग्रता और श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए। सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर, चालीसा का पाठ किया जाता है।

क्या अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ किसी विशेष मुहूर्त में करना चाहिए?

अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन यदि शुभ मुहूर्त में या ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) में किया जाए, तो इसका प्रभाव अधिक शुभकारी होता है।

अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ कितने दिनों तक करना चाहिए?

अन्नपूर्णा चालीसा का पाठ नियमित रूप से प्रतिदिन करना श्रेष्ठ माना जाता है। विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिए, इसे 21 दिनों तक या 108 बार लगातार पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है।

Hemlata
Hemlatahttps://www.chalisa-pdf.com
Ms. Hemlata is a prominent Indian author and spiritual writer known for her contributions to the realm of devotional literature. She is best recognized for her work on the "Chalisa", a series of devotional hymns dedicated to various Hindu deities. Her book, available on Chalisa PDF, has garnered widespread acclaim for its accessible presentation of these spiritual texts.
RELATED ARTICLES
spot_img

Most Popular